पंजाबी शादियों में तामझाम पर लगेगी ब्रेक,जरा संभल कर करें खर्च

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Sep, 2017 03:34 PM

big fat punjabi wedding reject

पंजाबी शादियों की तामझाम को लगता है किसी की नजर लग गई। पंजाबी परिवारों द्वारा की जानें वाली शादियों की चर्चाएं देश ही नहीं विदेशों में भी होती हैं लेकिन अब एेसा नहीं होगा क्योंकि जब तामझाम ही नहीं होगी तो चर्चे किस बात के।

नई दिल्ली/अमृतसर(पुरी):  पंजाबी शादियों की तामझाम को लगता है किसी की नजर लग गई।  पंजाबी परिवारों द्वारा की जानें वाली शादियों की चर्चाएं देश ही नहीं विदेशों में भी होती हैं लेकिन अब एेसा नहीं होगा क्योंकि जब तामझाम ही नहीं होगी तो चर्चे किस बात के।


दिल्ली और देश के बाकी राज्यों में बिग फैट वेडिंग को रिजेक्ट कर दिया गया है। इस बात पर अकाल तख्त ने भी मुहर लगा दी है। इंटरनैशनल पंजाब फोरम ने मंगलवार को एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था जिसमें कई राज्यों से गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्षों ने हिस्सा लिया। इसमें सिखों और पंजाबियों की शादियों में बेवजह खर्चों के साथ-साथ कैसे दिखावा किया जाता है, इस पर चर्चा हुई। सुझाव दिया गया कि ऐसी शादियों पर रोक लगाई जानी चाहिए। 


सिखों की सुप्रीम बॉडी अकाल तख्त और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीपीसी) को भी इस मामले में लिखा गया था। दोनों ने ऐसी शादियों को रोकने पर हामी भरी है। सिख लीडर्स ने कहा कि इसे लागू करने के लिए हम लोग बड़े लेवल पर कैंपेन चलाएंगे। सभी लोगों को जागरूक किया जाएगा। 


डीएसजीपीसी के प्रेजिडेंट मनजीत सिंह जी.के. ने कहा कि मैं अपने बेटे की शादी में कोई फालतू खर्च नहीं करूंगा। न कार्ड प्रिंट होंगे, न सजावट होगी। सभी को इनवाइट मेसेज और मेल के जरिए भेजे जाएंगे। जी.के. ने बताया कि रकाबगंज गुरुद्वारे में बने लक्खी शाह वंजारा हॉल में बड़े लेवल पर शादियां होती हैं। अब से यहां जिसकी भी शादी होगी उसका मेन्यू डीएसजीपीसी तय करेगी। शादी में कितने तरह की सब्जी बननी है, दाल बननी है और कौन सा मीठा रखा जाएगा इसका फैसला कमेटी लेगी। 


फोरम में उठी सभी जायज मांगों को मान लिया गया है। इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा कि शादियों पर होने वाले खर्च को कम से कम किया जाए। जी.के. ने कहा कि इससे एक बड़ी गंभीर समस्या दूर होगी। जो लड़की वाले सिर्फ दिखावे के लिए बैंकों से लोन लेकर शादी करते हैं उन्हें ऐसा नहीं करना पड़ेगा। शायद इस ट्रेंड को भी लोग फॉलो करेंगे। कई सालों से हम लोग रात में शादियां न करने की मुहिम चला रहे हैं। इसका असर भी देखने को मिल रहा है। सिखों की 90 पर्सेंट शादियां अब दिन में हो रही हैं। 

 

वहीं जब इस विषय में श्री आकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने संगतों को  संदेश जारी कर कहा  कि वह शादियों फज़ूल खर्च  करने से गुरेज करें। उन्होंने कहा कि शिरोमणि समिति और सिख संगठनों को मुहिम शुरू कर लोगों में जागरूकता पैदा करनी चाहिए कि वे सादे ढंग से विवाह करें ताकि ज्यादा खर्च न हो सके।

 

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