गोली लगने के बाद बच्ची के ब्रेन में फंसा है बुलेट का खोल, खेल-कूद में रहती है मस्त

Edited By Vatika,Updated: 02 Sep, 2019 12:00 PM

21 licensed revolvers not captured

फिलहाल यह बच्ची बिलकुल स्वस्थ है और सामान्य बच्चों की तरह खेल-कूद में मस्त रहती है।

लुधियाना (ऋषि)। 10 महीने पहले किदवई नगर इलाके में बने शिव शक्ति मंदिर की छत पर अपनी मां मीरा शर्मा की गोद में खेल रही उस समय की 2 साल की फालगुनी शर्मा के सिर में लगी गोली के मामले में पुलिस की जांच एफ.एस.एल. रिपोर्ट पर टिकी थी, लेकिन मोहाली से आई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि पुलिस द्वारा जो 32 बोर के 21 लाइसैंसी रिवाल्वर कब्जे में लेकर जांच के लिए भेजे थे, उनमें से किसी से गोली नहीं चली है। गोली लगने के बाद डॉक्टरो ने फालगुनी को तो बचा लिया लेकिन गोली का खोल अभी भी उसके दिमाग में ही है। डॉक्टरों को कहना है कि इसे निकाला गया तो बच्ची की जान भी जा सकती है। फिलहाल यह बच्ची बिलकुल स्वस्थ है और सामान्य बच्चों की तरह खेल-कूद में मस्त रहती है।PunjabKesari

ये है मामला
इससे पुलिस की जांच को बड़ा झटका लगा है और दूसरी तरफ गोली चलाने वाले का अभी भी रहस्य बरकरार है। 9 नवंबर 2018 को पुलिस को दी शिकायत में मंदिर के पुजारी दीपक शर्मा ने बताया था कि उसकी पत्नी और बेटी छत पर मौजूद थे, शाम के समय अचानक बेटी के सिर से खून निकलने लग पड़ा, उन्हें लगा कि किसी ने पत्थर मारकर बेटी को घायल किया है, जिसे पास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने बड़े अस्पताल ले जाने की बात कही, जिस पर मॉडल टाऊन स्थित प्राइवेट अस्पताल में ले आए, जहां इलाज करने पर पता चला कि बच्ची के सिर में गोली का खोल घुसा है, जिस पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए केस दर्ज किया था।PunjabKesari

कब्जे में लिए थे 21 लाइसैंसी रिवाल्वर 
पुलिस की तरफ से मंदिर के दायरे के 500 मीटर में रहने वाले लोगों की लिस्ट तैयार की गई थी, जिनमें से 21 लोगों के नाम सामने आए थे, जिनके पास 32 बोर का लाइसैंसी रिवाल्वर था। पुलिस की तरफ से सभी की फोरैंसिक जांच करवाई गई थी, जहां से विगत दिनों आई रिपोर्ट में पता चला कि उनमें से किसी भी रिवाल्वर से गोली नहीं चली। इससे पुलिस जांच को काफी बड़ा झटका लगा है, ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि पुलिस जांच अभी भी वहीं खड़ी है, जहां से शुरू हुई थी।PunjabKesari

महीने तक रही अस्पताल में, खोल दिमाग के अंदर
पिता दीपक ने बताया कि उनकी किसी से कोई दुश्मनी नही है, लेकिन पुलिस अभी तक यह भी पता नही लगा पाई है कि गोली किसने चलाई है, हादसे के बाद बेटी लगभग 1 महीने तक अस्पताल में ही उपचाराधीन रही। डाक्टरों के अनुसार खोल दिमाग के अंदर घुस चुका है, अगर उसे निकालने का प्रयास किया गया तो बच्ची की जान जोखिम में पड़ सकती है, जिस कारण उन्होंने आप्रेशन नहीं करवाया, लेकिन उनकी बेटी आम बच्चों की तरफ खेल कूद रही है। उसकी 5 वर्षो तक लगातार दवाई चलेगी।

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