Edited By Subhash Kapoor,Updated: 23 Aug, 2023 06:50 PM

भारत के चंद्रयान की आज शाम चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है।
पंजाब डैस्क : भारत के चंद्रयान की आज शाम चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद पूरे देश में खुशी की लहर दौड़ गई है। दरअसल चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड कर गया है, जिसके बाद भारत तथा दुनिया भर के लोगों में खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है। लेकिन इस सबके बीच एक सवाल लोगों के मन में उठ रहा है कि आखिर भारत को चंद्रयान की लैंडिंग का क्या फायदा होगा। तो हम आपको बता दें कि दरअसल चंद्रयान की सफल लैंडिंग के साथ ही भारत को चंद्रमा का खजाना हाथ लग सकता है।
आपको बता दें के दुनिया भर में कई ऐसे देश हैं, जो चांद पर सफल लैंडिंग नहीं कर सकते। वे रिसर्च के लिए भारत से करोड़ों डॉलर में डाटा खरीद सकते हैं। इससे वे बिना चांद पर जाए अपनी रिसर्च कर सकते हैं। चांद पर पानी मिलता है, तो उस पानी से ऑक्सीजन बनाई जा सकती है। इससे भविष्य में वहां बेस भी बनाए जा सकते हैं। एक अनुमान के अनुसार साल 2030 तक चांद पर 40 और साल 2040 तक 1000 एस्ट्रोनॉट रह रहे होंगे। इसके लिए चंद्रयान-3 की रिसर्च काफी काम आएगी।
दरअसल, चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव वह हिस्सा है जिसमें वैज्ञानिकों की हमेशा से रुचि रही है। दक्षिणी ध्रुव पर वह जगह है जहां पर कुछ हिस्सों में एकदम अंधेरा है तो कुछ पर रोशनी नजर आती है। इसके करीब धूप-पानी दोनों है। कुछ हिस्सों में स्थाई रूप से छाया के साथ बर्फ जमा होने की बातें भी सामने आई है। अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान नासा का दावा है कि, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के कुछ गड्ढों पर तो अरबों वर्षों से सूरज की रोशनी नहीं पहुंची है। इन गड्ढों वाली जगह का तापमान -203 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा पर यह बर्फ दरअसल अंतरिक्ष का सोना है। इसका खनन पीने के पानी के लिए किया जा सकता है। साथ ही साथ या सांस लेने के लिए जरूरी ऑक्सीजन और रॉकेट फ्यूल के लिए भी इसे हाइड्रोजन में बांटा जा सकता है।
वैसे तो वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती से अलग चंद्रमा का वातावरण बहुत हल्का है यानी गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी का सिर्फ छठे हिस्से के बराबर है। इस वजह से अंतरिक्ष यान की लैंडिंग के समय इसकी स्पीड को कम करने के लिए खिंचाव नहीं मिल पाता है। इसके अलावा, चंद्रमा पर किसी भी यान को उसकी लैंडिंग वाली जगह पर जाने के लिए कोई जीपीएस जैसी कोई चीज नहीं है।