Corona के बचाव को लेकर ट्रेनों में लगाया जाएगा यह सिस्टम

Edited By Urmila,Updated: 11 May, 2022 02:11 PM

this will be installed in trains to protect the corona

कोरोना के बढ़ते कहर को रोकने के लिए काऊंसल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिर्सच-सैंटर साईंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स आर्गेनाइजेशन (सी.एस.आई.आर.-सी.एस.आई.ओ) का डक्ट व्यवस्था ट्रेनों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाली ...

कपूरथलाः कोरोना के बढ़ते कहर को रोकने के लिए काऊंसल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिर्सच-सैंटर साईंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स आर्गेनाइजेशन (सी.एस.आई.आर.-सी.एस.आई.ओ) का डक्ट व्यवस्था ट्रेनों और पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाली ए.सी. बसों में भी लगाया जाएगा। ट्रेनों में हुए ट्रायल के बाद इसको सुरक्षित मानते हुए टेक्नोलॉजी को रेल प्रशिक्षक फैक्टरी कपूरथला को सौंप दिया गया है। आर.डी.एस.ओ. ने खास तौर पर ट्रेनों के लिए बनाए डिजाइन को पास भी कर दिया है। बसों के लिए मनिस्ट्री ऑफ हाईवेय एंड रोड ने भी इसको लगाने के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। सी.एस.आई.ओ. शोधकर्ताओं की तरफ से तैयार इस डक्ट यू.वी.सी. डिस-इंफैक्शन व्यवस्था को अब लिफ्ट के मुताबिक भी तैयार कर लिया गया है। देश की ए.सी. और इलेक्ट्रानिक प्रोडक्ट बनाने वाली एक नामी कंपनी के साथ उनका समझौता हुआ है, जो अब लिफ्ट वाले कोरोना मुक्त होने वाले ए.सी. तैयार करेगी। लोक सभा और राज्य सभा में इसका प्रयोग पहले से हा रहा है। 

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इस डक्ट को बनाने वाली टीम को लीड कर रहे डा. हैरी गर्ग मुताबिक कोरोना ए.सी. या बंद क्षेत्र में ज्यादा फैलता है। यह बात कोरोना की शुरूआत में ही स्टडी में साबित हो गई थी। कोरोना को लेकर इसको सी.एस.आई.आर. के कोविड  स्टूेटजिक ग्रुप ने इस इंफैक्शन को खत्म करने पर काफी चिंता में पाया। उन दिनों में हर कोई युवी वाले प्रोडक्ट ले आया था जबकि यह इतने नुकसानदायक हैं कि इनके कारण कैंसर भी हो सकता है। करीब डेढ़ साल तक सोचने के बाद सबसे पहले इन यू.वी.सी. डिस-इंफैक्शन व्यवस्था बनाई जो हॉल या ऑडीटोरियम के मुताबिक था। इसकी कपैसिटी 100 लोगों वाले हॉल की थी। इसे किसी भी हॉल या ऑडीटोरियम में 70 प्रतिशत एयर रि-सर्कुलेट होती है। इमटैक सैक्टर-39 के साथ मिलकर इसको वैलीडिएट किया। इसके बाद इस को पार्लियामेंट में लगाया गया। साउथ के मॉल में भी लगाया गया। सभी स्थानों पर कामयाब रहने के बाद करीब 35 कंपनियों को इसके लिए टेक्नोलॉजी दी है जो इसको बनाकर आम लोगों को बेच रही है। यू.पी. स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसों में भी यही व्यवस्था लगाई थी। इसमें भी मोडीफिकेशन हुआ है। यह बसें करीब 50 किलोमीटर चल चुकी है, वह व्यवस्था कामयाब है। 

बसों में बेहद जरूरी 
बसों में यह व्यवस्था लगाने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि यदि 45 में एक आदमी भी कोरोना का शिकार है तो 60 प्रतिशत इंफैक्शन होने की संभावना अधिक जाती है। यू.पी.सी.आर.टी.सी. की कामयाबी के बाद मनिस्ट्री ऑफ हाईवेय एंड रोड ने इसको सभी स्थानों पर लगाने को कहा है। सी.एम.आई.आई.ओ. अलग-अलग राज्यों के साथ संपर्क में है। बैंक, ए.टी.एम. या जहां भी ए.सी. नहीं या विंडो ए.सी. है, वहां स्टैंड अलोन व्यवस्था बनाई गई है, जो कुल्हड़ की तरह रखा जा सकता है। सी.एस.आई.ओ. के डायरेकर्ट प्रो. अनंत रामकृष्ण बताते हैं कि इसके लिए यूरोपियन स्टैंडर्ड ए.सी. लिया है। टीम में सुपांकर दास, लखविन्दर, सूरज प्रकाश, सुरिन्दर, अजय, उपिन्दर, बलदेव शामिल हैं।

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