Edited By Kamini,Updated: 07 Jun, 2025 05:56 PM

शहर में पिछले एक दशक से सीवरेज व जलापूर्ति व्यवस्था संभाल रही त्रिवेणी इंजीनियरिंग कंपनी 16 जून के बाद काम छोड़ने की तैयारी में थी, लेकिन नगर निगम ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कंपनी को 31 जुलाई तक का एक्सटेंशन दे दिया है।
बठिंडा (विजय वर्मा) : शहर में पिछले एक दशक से सीवरेज व जलापूर्ति व्यवस्था संभाल रही त्रिवेणी इंजीनियरिंग कंपनी 16 जून के बाद काम छोड़ने की तैयारी में थी, लेकिन नगर निगम ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कंपनी को 31 जुलाई तक का एक्सटेंशन दे दिया है। इससे पहले कंपनी ने टेंडर अवधि पूरी होने की जानकारी देते हुए नगर निगम और सीवरेज बोर्ड को नोटिस भेजा था।
त्रिवेणी ने कहा था कि 17 जून से वह कोई कार्य नहीं करेगी और सीवरेज व वॉटर ट्रीटमेंट प्लांटों को बोर्ड के हवाले कर देगी। कंपनी ने मशीनरी व सिस्टम की सूची भी तैयार कर ली है ताकि किसी तरह की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का सवाल न उठे। ऐसे में अब नगर निगम और सीवरेज बोर्ड को खुद शहर का जिम्मा संभालने के लिए मैनपावर और संसाधनों का इंतजाम करना होगा, जो एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आया है, विशेषकर आगामी मानसून को देखते हुए।
आर्बिट्रेशन में कंपनी को राहत, बोर्ड को देना होगा जुर्माना
त्रिवेणी कंपनी ने 2022 में सीवरेज बोर्ड पर आर्बिट्रेशन में केस दर्ज किया था, जिसमें दावा किया गया कि बोर्ड ने निर्धारित समय पर पेमेंट नहीं की और प्रोजेक्ट कार्यों के लिए जमीन (फ्रंट) उपलब्ध नहीं करवाई। केरल हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में हुए फैसले में कंपनी के पक्ष में निर्णय आया है।
आर्बिट्रेशन ने सीवरेज बोर्ड को 37 करोड़ रुपये जुर्माने के रूप में चुकाने और उस पर 18% सालाना ब्याज (2022 से फैसले की तारीख तक) देने के आदेश दिए हैं। साथ ही भुगतान में देरी की स्थिति में 9% अतिरिक्त ब्याज भी लागू रहेगा।
पिछले 10 सालों का था ठेका, कई बार रोका गया काम
गौर है कि साल 2015 में तत्कालीन सरकार ने 210 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत शहर की सीवरेज व जलापूर्ति प्रणाली के उन्नयन और रखरखाव का ठेका त्रिवेणी कंपनी को सौंपा था। इसमें पाइपलाइन बिछाने, ट्रीटमेंट प्लांट व पानी की टंकियों के निर्माण जैसे कार्य शामिल थे। कंपनी को 10 वर्षों तक सिस्टम की देखरेख का जिम्मा भी सौंपा गया था, जिसके लिए 60 करोड़ की अदायगी होनी थी। हालांकि भुगतान में देरी और कार्यस्थल न मिलने की वजह से कंपनी ने कई बार काम रोक दिया था। अब ठेका खत्म होने पर कंपनी ने सिस्टम हैंडओवर की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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