Edited By Sunita sarangal,Updated: 26 Jun, 2022 09:00 AM
संगरूर लोकसभा उपचुनावों में जीत का सेहरा किस पार्टी के सिर सजेगा इसका फैसला आज हो जाएगा। इस हलके में 9.....
संगरूर : संगरूर लोकसभा उपचुनावों में जीत का सेहरा किस पार्टी के सिर सजेगा इसका फैसला आज हो जाएगा। इस हलके में 9 विधानसभा हलकों से संबंधित विधायकों का नाम दांव पर लगा हुआ है जो विधानसभा चुनावों में जीते थे। सिर्फ विधानसभा ही नहीं, बल्कि लोकसभा उपचुनावों का नतीजा भी सत्ताधारी पार्टियों के हक में जाता रहा है। पंजाब के मौजूदा मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राज्य प्रधान भगवंत मान यहां दो बार जीत कर संसद की सीढ़ियां चढ़े थे। आम आदमी पार्टी के पास पूरे देश में संगरूर की ही लोकसभा सीट थी जिसे बचाने के लिए पार्टी ने सब कुछ दांव पर लगा दिया।
सबसे पहले पार्टी के आम वर्कर गांव घराचों के सरपंच गुरमेल सिंह घराचों को अपना उम्मीदवार बनाया गया। फिर चुनाव प्रचार दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान में सभी मंत्रियों, विधायकों की फौज उतार दी लेकिन सिमरनजीत सिंह मान सहित अन्य विरोधियों का कड़ा मुकाबला देखकर वह खुद भी चुनाव प्रचार में उतर आए और एक हफ्ते तक संगरूर के हलकों में रोड शो किया। सुस्त वोटिंग के चलते इस सीट के नतीजे और भी दिलचस्प बन गए हैं। सियासी पार्टियों के साथ-साथ सियासी माहिरों के भी गणित बिगड़ चुके हैं। यह मुकाबला आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमेल सिंह घराचों और शिरोमणि अकाली दल अमृतसर के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान के बीच ही रह सकता है लेकिन कम वोटिंग होने के चलते कुछ सियासी माहिर मान रहे हैं कि इसका सीधा-सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है क्योंकि शहरी वोटरों में आम आदमी पार्टी के प्रति काफी निराशा देखी जा रही है और कांग्रेस में चल रहे कलह-कलेश के कारण इसके भाजपा की तरफ शिफ्ट होने की पूरी संभावना है।
कुछ सियासी पंडित यह भी मान रहे हैं कि कांग्रेस के मानसा से उम्मीदवार रहे और प्रसिद्ध मरहूम पंजाबी गायक सिद्धू मुसेवाला की चुनावों से कुछ दिन पहले हुई मौत के कारण कांग्रेस को बहुत सारे वोटरों ने भावुक होकर वोट दिए हैं। कांग्रेस पार्टी द्वारा खासतौर पर प्रधान राजा वड़िंग ने कांग्रेसी उम्मीदवार दलवीर सिंह गोल्डी के हक में चुनाव प्रचार दौरान सिद्धू मूसेवाला के कत्ल को काफी बड़ा मुद्दा बनाया था। अकाली दल की बात करें तो उसके द्वारा अपनी सियासी जमीन बचाने के लिए इस बार बंदी सिंहों का मुद्दा उठाया गया था और अपने उम्मीदवार पटियाला जेल में बंद बलवंत सिंह राजोआना की बहन बीबी कमलदीप कौर राजोआना को बनाया गया है।
गुजरे विधानसभा चुनावों में सबसे बुरी हालत अकाली दल की हुई थी जिसके मद्देनजर अकाली दल के पार्टी प्रधान सुखबीर बादल द्वारा अपना सियासी आधार बचाने के लिए बंदी सिंहों का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उठाया गया लेकिन यह कुछ खास काम करता दिखाई नहीं दे रहा, बल्कि उल्टा इसका भी फायदा सिमरनजीत सिंह मान को ही होता दिखाई दे रहा है क्योंकि बहुत सारी पंथक पार्टियों द्वारा सिमरनजीत सिंह मान की खुलेआम हिमायत की गई थी।
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