Edited By Vatika,Updated: 13 Aug, 2025 09:44 AM

रीजनल ट्रांसपोर्ट कार्यालय (आर.टी.ओ.) के अधीन आने वाले ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट सैंटर में लोगों की
जालंधर (चोपड़ा): रीजनल ट्रांसपोर्ट कार्यालय (आर.टी.ओ.) के अधीन आने वाले ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट सैंटर में लोगों की परेशानियां लगातार बनी हुई हैं। यहां आए दिन कभी तकनीकी खराबी तो कभी कर्मचारियों की कमी के कारण काम ठप्प पड़ जाता है। नतीजा यह कि समय पर ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट लेकर पहुंचने वाले आवेदकों को भी खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है।
आज भी टेस्ट ट्रैक पर लगे कंप्यूटर में अचानक खराबी आ गई। खासतौर पर दोपहिया वाहनों के टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाले कम्प्यूटर का मदरबोर्ड जल जाने से पूरे दिन दोपहिया टैस्ट नहीं हो सके। सुबह से आए आवेदक घंटों इंतजार करते रहे कि सिस्टम दोबारा चालू हो जाएगा, लेकिन तकनीकी गड़बड़ी इतनी गंभीर थी कि तुरंत ठीक नहीं हो सकी। विभाग ने दोपहर बाद नया मदरबोर्ड तो इंस्टॉल करवा दिया, लेकिन संबंधित सॉफ्टवेयर उपलब्ध न होने की वजह से टैस्टिंग का काम बहाल नहीं हो सका। नतीजतन, दोपहिया वाहनों के सभी निर्धारित टैस्ट दिनभर बंद रहे और 72 अवेदकों के टैस्ट नहीं हो पाए। हालांकि, चार पहिया वाहनों के टेस्ट ट्रैक पर टैस्ट बदस्तूर जारी रहे, जिससे यह साफ है कि तकनीकी समस्या केवल दोपहिया टैस्ट वाले सिस्टम में आई थी।
आवेदकों का दिन खराब, फिर से लेनी होगी ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट
आज की गड़बड़ी के कारण करीब 72 आवेदक अपना टेस्ट नहीं दे पाए। इन सभी ने पहले से ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेकर निर्धारित समय पर सैंटर पर पहुंच गए थे परंतु विभागीय खराबी की कीमत आवेदकों को चुकानी पड़ेगी। उन्हें अब फिर से ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट लेकर पूरी प्रक्रिया दोबारा करनी होगी। यह समय, पैसा और मेहनत—तीनों की बर्बादी है।
दीपक मोदी ने उठाए सवाल: ‘विभाग खुद क्यों नहीं करता रिशैड्यूल?’
कांग्रेस के युवा नेता दीपक मोदी का कहना है कि विभाग को चाहिए कि जिन आवेदकों का टैस्ट विभागीय गलती के कारण नहीं हो पाया, उनके लिए विभाग स्वयं रिशैड्यूल करे। दीपक मोदी ने कहा कि जनता पहले से ही ऑनलाइन स्लॉट पाने में परेशान है। अब जिनके स्लॉट बर्बाद हुए, उन्हें फिर से उसी लंबी लाइन में खड़ा कर देना पूरी तरह अन्याय है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में यह कोई पहली बार नहीं है जब ऑटोमेटिड ड्राइविंग टैस्ट सैंटर का काम तकनीकी खामी के कारण प्रभावित हुआ हो। कई बार सर्वर डाउन, सिस्टम हैंग, कैमरा या सेंसर की खराबी जैसी समस्याओं ने टैस्टिंग प्रक्रिया को रोका है। इन समस्याओं के कारण आवेदकों को न केवल टैस्ट में देरी होती है, बल्कि कई बार उन्हें फिर से फीस जमा करनी और समय बर्बाद करना पड़ता है।