पंजाब में बसों की हड़ताल को लेकर आई नई Update, 4 अगस्त से...

Edited By Vatika,Updated: 30 Jul, 2025 01:10 PM

punjab government bus

पंजाब भर में सरकारी बसों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए जरूरी खबर है।

पंजाब डेस्कः पंजाब भर में सरकारी बसों में सफर करने वाले यात्रियों के लिए जरूरी खबर है। दरअसल, ठेका कर्मचारियों को पक्का करने में हो रही देरी के बीच प्रदेश की परिवहन व्यवस्था एक बार फिर ठप्प होने के कगार पर खड़ी है। पनबस/पी.आर.टी.सी. ठेका कर्मचारी यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि 4 अगस्त तक उनकी लंबित मांगों का हल नहीं हुआ, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे और पूरे पंजाब में सरकारी बसों का चक्का जाम किया जाएगा।

इस संबंध में यूनियन की एक अहम मीटिंग ट्रांसपोर्ट मंत्री के कार्यालय में हुई, जिसमें ट्रांसपोर्ट विभाग के सचिव, पनबस के एम.डी. और यूनियन प्रतिनिधि शामिल हुए। हालांकि, बैठक में ट्रांसपोर्ट मंत्री स्वयं उपस्थित नहीं थे। यूनियन नेताओं ने इसे सरकार की असंवेदनशीलता करार दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं के फ्री बस सफर का 1100 करोड़ पंजाब सरकार पर बकाया हो गया है। प्रदेश प्रधान रेशम सिंह गिल और महासचिव शमशेर सिंह ढिल्लों ने बताया कि इससे पहले यूनियन द्वारा 3 दिन के चक्का जाम का ऐलान किया गया था, जिसके तहत 9 जुलाई को बसों का संचालन रोक दिया गया था। इसके बाद ट्रांसपोर्ट मंत्री व वित्त मंत्री के साथ बैठक तय हुई, जिसमें सरकार ने यूनियन की मांगें 16 जुलाई तक हल करने और 28 जुलाई तक सभी मुद्दों को सुलझाने का भरोसा दिया था।

इस भरोसे के चलते यूनियन ने हड़ताल को स्थगित कर दिया था। लेकिन यूनियन नेताओं के अनुसार, 16 जुलाई की निर्धारित बैठक तो हुई ही नहीं और 21 जुलाई को जो बैठक हुई, उसमें भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। बार-बार आश्वासन देने और समय टालने की नीति से यूनियन वर्करों में रोष बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण की दिशा में कदम बढ़ा रही है। किलोमीटर स्कीम के तहत 4 अगस्त को प्राइवेट बसों के टैंडर खोले जाने की योजना है। यदि टैंडर खोले गए, तो यूनियन उसी समय सड़क पर चल रही सभी सरकारी बसों का बीच रास्ते चक्का जाम करेगी। ढिल्लों ने बताया कि इस योजना के तहत प्रति बस लागत 32 से 35 लाख रुपए बताई जा रही है, जिससे निजी कंपनियों को फायदा पहुंचेगा और सरकारी संपत्ति को नुकसान होगा। यूनियन का आरोप है कि यह नीति कॉर्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई जा रही है।

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