Edited By Subhash Kapoor,Updated: 12 Jun, 2025 06:26 PM

शहर में एक निजी अस्पताल की लापरवाही ने एक 19 वर्षीय युवक की जान ले ली।
बठिंडा (विजय): शहर में एक निजी अस्पताल की लापरवाही ने एक 19 वर्षीय युवक की जान ले ली। युवक की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। परिजनों ने ऐलान किया है कि जब तक दोषी डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया जाएगा, वे मृतक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
मृतक की पहचान प्रभजोत सिंह (19) पुत्र नरोत्म सिंह निवासी बठिंडा के रूप में हुई है, जो बाबा फरीद कॉलेज में बी.ए का छात्र था। परिजनों के अनुसार, प्रभजोत को 6 जून को पीठ में तेज दर्द हुआ था, जिसके बाद वह भागू रोड स्थित एक निजी अस्पताल सिंमरन न्यूरो स्पाइन हॉस्पिटल में इलाज के लिए गया।
डॉक्टरों ने टेस्ट और एमआरआई करवाने के बाद उसे पांच दिन की दवाइयाँ देकर घर भेज दिया। लेकिन आराम न मिलने पर जब वह दोबारा अस्पताल गया, तो डॉक्टरों ने रीढ़ की हड्डी का ऑपरेशन करने की सलाह दी। ऑपरेशन से पहले रीढ़ में एक इंजेक्शन लगाया गया, जिससे युवक की तबीयत बिगड़ गई और उसके शरीर पर फफोले पड़ गए।परिजनों ने गंभीर हालत में उसे आदेश अस्पताल में भर्ती कराया, जहां 10 जून को उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने बताया कि गलत इंजेक्शन के कारण युवक की धड़कनें तेज हो गईं, जो उसकी मौत का कारण बनी।

घटना से आक्रोशित परिजनों ने किसान संगठनों के सहयोग से अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक संबंधित डॉक्टर पर मामला दर्ज नहीं किया जाता, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। वहीं पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचकर स्थिति को शांत कराने की कोशिश कर रहा है और जांच की बात कह रहा है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
इस संबंधी जब अस्पताल के डॉक्टर से बात की तो उन्होंने कहा कि मरीज ओपीडी में आया था। उससे 200 रुपए फीस ली थी। उसके बाद वह घर चला गया और चार दिन बाद उसकी मौत हो गई तो इसमें अस्पताल का कोई कसूर नहीं। डॉक्टर का कहना है कि अगर गलत इंजेक्शन लगता है तो उसका असर मात्र एक घंटे में सामने आता है। जबकि मौत चार दिन बाद आदेश अस्पताल में हुई। उनका कहना है कि पिछले 2 दिन से उनके परिवार की ओर से धमकी आ रही थी जो सेटिंग के लिए कह रहे थे। अगर उन्हें कोई परेशानी हुई तो वह कोर्ट जाएं या सिविल सर्जन के पास शिकायत दर्ज करवाए। सड़क जाम कर धरना देने से कुछ भी हासिल नहीं होगा।