लोकसभा चुनाव 2019: बाजवा का चुनाव लड़ना तय, हलके को लेकर फंसा पेंच

Edited By Vatika,Updated: 15 Mar, 2019 08:28 AM

partap singh bajwa lok sabha election 2019

पंजाब में होने जा रहे लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर पर पूरे पंजाब की नजरें टिकी हुई हैं, जहां पंजाब कांग्रेस के मौजूदा प्रधान और पूर्व प्रधान के बीच टिकट प्राप्त करने की जोर-आजमाइश के चर्चे सुनने को मिल रहे हैं।

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): पंजाब में होने जा रहे लोकसभा चुनावों के मद्देनजर लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर पर पूरे पंजाब की नजरें टिकी हुई हैं, जहां पंजाब कांग्रेस के मौजूदा प्रधान और पूर्व प्रधान के बीच टिकट प्राप्त करने की जोर-आजमाइश के चर्चे सुनने को मिल रहे हैं।

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इस मामले में दिलचस्प बात यह उभर कर सामने आ रही है कि भले ही कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने अपने तौर पर कुछ दिन पहले ही इस क्षेत्र में पार्टी के मौजूदा लोकसभा सदस्य सुनील जाखड़ को ही दोबारा चुनाव लड़ाने का स्पष्ट संकेत दे दिया था मगर दूसरी तरफ अब जब फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र से हरसिमरत कौर बादल के चुनाव लडऩे की चर्चाएं तथा अमृतसर से पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के चुनाव न लडऩे संबंधी स्थिति स्पष्ट हो चुकी है तो सियासी माहिरों का मानना है कि इस नई स्थिति का असर गुरदासपुर क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवार के चुनाव पर भी पड़ सकता है। विशेषकर प्रताप सिंह बाजवा द्वारा पंजाब तथा अपने पैतृक जिले की सियासत में अपनी पैठ बचाई रखने के लिए इस क्षेत्र की सीट से जताई जा रही मजबूत दावेदारी के कारण सियासी माहिर यह मानकर चल रहे हैं कि बाजवा इस बार किसी न किसी क्षेत्र से चुनाव अवश्य लड़ेंगे मगर यह देखने वाली बात होगी कि पार्टी उस संबंधी क्या फैसला लेती है तथा उन्हें कौन से क्षेत्र से चुनाव में उतारती है।
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गुरदासपुर में वापसी की कोशिश
प्रताप सिंह बाजवा अभी स्वयं तो इस मामले में कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं मगर उनके समर्थक यह दावा कर रहे हैं कि बाजवा के पिता और पत्नी के अलावा भाई तथा बाजवा स्वयं करीब 10 बार इस जिले में विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं तथा इस जिले के जमपल होने के कारण उनका विभिन्न क्षेत्रों में निचले स्तर तक लोगों के साथ सीधा संपर्क है। 2014 के लोकसभा चुनाव हार जाने के बाद 2017 के उप-चुनाव के दौरान बदली सियासी स्थितियों के कारण उस समय तो बाजवा ने इस क्षेत्र से अपने लिए लोकसभा टिकट मांगने की बजाय अपनी पत्नी व पूर्व विधायक चरणजीत कौर बाजवा के लिए टिकट मांगी थी मगर पार्टी ने सुनील जाखड़ को चुनाव मैदान में उतारा था, इस बार जब प्रताप सिंह बाजवा अपने लिए टिकट की मांग कर रहे हैं तो बाजवा समर्थक यह दावा कर रहे हैं कि जाखड़ की बजाय बाजवा इस क्षेत्र की टिकट के ज्यादा हकदार हैं। यहां तक कि बाजवा समर्थक तो कैप्टन के ऐलान को भी यह कह कर अहमियत नहीं दे रहे कि पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान भी जालंधर कैंट तथा बङ्क्षठडा की 2 टिकटों संबंधी कैप्टन ने पहले ऐलान कर दिया था मगर बाद में पार्टी हाईकमान ने इन दोनों सीटों पर क्रमवार परगट सिंह तथा मनप्रीत सिंह बादल को उम्मीदवार बना दिया था।
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फिरोजपुर में हरसिमरत बादल की आमद से बदल सकती है स्थिति
अगर अकाली दल ने हरसिमरत कौर बादल को फिरोजपुर क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया तो कुछ कांग्रेसी नेताओं का यह मानना है कि हरसिमरत को कड़ी टक्कर देने के लिए किसी बड़े चेहरे की जरूरत है, जिससे कुछ नेता यह भी मान रहे हैंकि ऐसी स्थिति में पार्टी फिरोजपुर के लिए सुनील जाखड़ के नाम पर भी विचार कर सकती है क्योंकि पहले भी इस क्षेत्र में जाखड़ परिवार जीत दर्ज कर चुका है। जाखड़ स्वयं भी इस समय पंजाब कांग्रेस के एक प्रसिद्ध व लोकप्रिय नेता माने जाते हैं जिनके अच्छे अक्श का लाभ उठाने के लिए पार्टी हरसंभव दाव खेल सकती है। इतना ही नहीं, इस मामले में एक तीर से दो निशाने करने वाली स्थिति भी बन सकती है, क्योंकि इस समय फिरोजपुर के एम.पी. शेर सिंह घुबाया कांग्रेस की टिकट के दावेदार हैं मगर घुबाया अनुसूचित जाति से संबंधित होने से कुछ नेता यह भी मांग कर रहे हैं कि घुबाया को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित क्षेत्र फरीदकोट से चुनाव मैदान में उतारा जाए ताकि घुबाया को भी अच्छी तरह एडजस्ट किया जा सके।
 

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