अब मस्तुआना साहिब को ढींडसा मुक्त करवाने की उठी मांग

Edited By Vaneet,Updated: 25 Jan, 2020 05:33 PM

now the demand arises to free dhundasa from masutana sahib

सुखदेव सिंह ढींडसा और परमिन्दर ढींडसा को शिरोमणि अकाली दल से निरस्त किए जाने के बाद...

लोंगोवाल(वशिष्ठ ): सुखदेव सिंह ढींडसा और परमिन्दर ढींडसा को शिरोमणि अकाली दल से निरस्त किए जाने के बाद जिला संगरूर के अकाली नेताओं में बढ़ी कशमकश ने आज उस समय पर नया मोड़ ले लिया जब जत्थेदार प्रशोतम सिंह फग्गूवाला के नेतृत्व तले तकरीबन एक दर्जन सिखों के वफद ने यहां के गुरुद्वारा कैंबोवाल साहिब में पहुंच कर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान भाई गोबिन्द सिंह लौंगोवाल के पास मस्तुआना साहिब को ढींडसा मुक्त करवाने की मांग रख दी। इस जत्थे ने पहले गुरुद्वारा साहिब में दाखिल होकर भाई लौंगोवाल के कार्यालय के आगे संकेतक धरना दिया और बाद में मुलाकात के दौरान उन्होंने जहां मस्तुआना साहिब को ढींडसा से मुक्त करवाने की मांग की वहां सच्चखंड श्री हरिमन्दर साहिब की नकल और मस्तुआना साहिब में बन रहे दरबार साहिब का मामला भी उठाया। 

जत्थेदार फग्गूवाला ने पत्रकारों के साथ बातचीत करते कहा कि शिरोमणि कमेटी को आजाद करवाने की बातें करने वाले ढींडसा पहले मस्तुआना साहिब को खुद मुक्त करें। जहां करोड़ों रुपए के घपले हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति पर ढींडसा परिवार का पूरा दबदबा था जिस कारण वह इस संस्था और काबिज रहे और आज हम शिरोमणि समिति प्रधान भाई लोंगोवाल को इस सम्बन्धित मांग पत्र देने आए हैं। उन्होंने कहा कि संत बाबा अतर सिंह जी महाराज ने शिक्षा के पसार के लिए इस संस्था का निर्माण किया था और उनका स्वप्न था कि इस ट्रस्ट में गुरसिखों को ही शामिल किया जाए। परन्तु अफसोस की बात है कि इस संस्था में एक भी गुरसिख ट्रस्टी नहीं है। उन्होंने कहा कि बड़े बजट वाली इस संस्था के पास कोई हिसाब किताब नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि मस्तुआना साहिब में संत अतर सिंह ट्रस्ट और अकाल कॉलेज कौंसिल दो संस्थाएं हैं और दोनों का प्रमुख एक व्यक्ति नहीं हो सकता। परन्तु सुखदेव सिंह ढींडसा दोनों ही कुर्सियों को चुम्बड़ कर बैठे हुए हैं और अब अपने पुत्र परमिन्दर ढींडसा को भी इस का ट्रस्टी बना लिया है जो कि नियमों के उलट है। उन्होंने दावा किया की मस्तुआना साहिब संस्था का कोई हिसाब किताब नहीं है और 60 हजार रुपए का कड़ाह प्रसाद रोजमर्रा ही सड़क पर बेचा जाता है जो गुर मरियादा के उलट है। जत्थेदार ने कहा कि 400 एकड़ वाली इस संस्था का शरेआम दुरुपयोग हो रहा है और सिखों की झोली में कुछ भी नहीं पड़ रहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 2009 में भी उन्हों ने मस्तुआना साहिब को ढींडसा से मुक्त करवाने की मांग की थी।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी दोगली नीति बंद करके बैनर पकड़ कर गुरुद्वारा साहिब में दाखिल हुए इन व्यक्तियों ने ढींडसा वाले मसले के इलावा मस्तुआना साहिब में बन रहे दरबार साहिब का मामला भी शिरोमणि कमेटी प्रधान के पास उठाया। उन्होंने बताया कि 20 जून 2009 को श्री अकाल तख्त साहिब से हुक्मनामा जारी हुआ था कि सचखंड श्री हरिमंदिर साहिब की इमारत का भ्रम डालती इमारत वाले सरोवर को भरने समेत और तबदीलियां कर दी जाएं और इस काम को पूरा करवाने की शिरोमणि कमेटी को हिदायत भी की गई थी। परंतु सुखदेव सिंह ढींडसा के बड़े राजनितिक कद के चलते 10 साल बीत जाने पर भी हुक्मनामे को लागू नहीं होने दिया गया। उन्होंने बताया कि आज हम मांग पत्र के द्वारा मांग की है कि शिरोमणि कमेटी इस बाबत अपनी स्थिति स्पष्ट करे यदि पिछले 10 सालों से इस मसले को अनदेखा किया गया तो पंथक रिवायत के अनुसार इस मसले को लोगों की कचिहरी में लिजाया जाएगा।

भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल ने इस मौके कहा कि आज जत्थे.फग्गूवाला ने जो मांग पत्र दिया है उसके अनुसार पिछले 40 वर्षों से इस स्थान पर काबिज सुखदेव सिंह ढींडसा इस स्थान प्रति सिद्धांतहीन हो चुके हैं। इस स्थान पर भाई भतीजावाद और डिक्टेटरशिप चल रहा है। जिसके अधीन उन्होंने अपने सुपुत्र और रिश्तेदारों को इस ट्रस्ट का ट्रस्टी बना दिया गया है। इस स्थान को लेकर जो केस अदालत में विचारअधीन है वह बहस पर लगा हुआ है और शिरोमणि कमेटी पूरी सुहिरदता के साथ इस संबंधी अपना पक्ष अदालत में रखेगी। उन्होंने कहा श्री हरिमन्दर साहिब की नकल किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती इस संबंधी सदस्यों की कमेटी बना कर हुक्मनामे की जल्दी से जल्दी तामील की जाएगी।

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