Edited By Urmila,Updated: 20 Aug, 2025 12:35 PM
पंजाब सरकार द्वारा लागू की गई ईजी रजिस्ट्रेशन प्रणाली में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं। अब सरकार ने एक नया नियम लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
जालंधर (चोपड़ा) : पंजाब सरकार द्वारा लागू की गई ईजी रजिस्ट्रेशन प्रणाली में लगातार बदलाव किए जा रहे हैं। अब सरकार ने एक नया नियम लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, जिसके तहत हर ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट के साथ खरीदार और विक्रेता को निश्चित समय पर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में पहुंचना होगा। यदि वे तय समय पर उपस्थित नहीं होते तो सिस्टम उनकी अप्वाइंटमैंट को ऑटोमैटिकली लॉक कर देगा।
इस नए सिस्टम का राज्य भर की तहसीलों और सब-तहसीलों में ट्रायल किया गया। ट्रायल के दौरान सुबह 11 बजे की अप्वाइंटमैंट वाले कई आवेदक 12 बजे के बाद पहुंचे तो उनकी रजिस्ट्री नहीं हो पाई। आवेदक के देरी से पहुंचने पर रजिस्ट्रेशन सिस्टम ने उनकी अप्वाइंटमैंट देरी की वजह से लॉक कर दी। एकाएक बने ऐसे हालातों को देख सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में हडकंप सा मच गया, कई लोग परेशानी का आलम में अधिकारियों और कर्मचारियों से उलझते रहे। यहां तक कि कई लोग अपने दस्तावेजों की अप्रूवल न होने से मायूस होकर वापस लौट गए।
हालांकि दोपहर 1 बजे के बाद सिस्टम अचानक पुराने स्वरूप पर लौट आया और सभी अप्वाइंटमैंट्स फिर से खुल गईं। जैसे ही यह खबर फैली तो कई आवेदक जो लौट चुके थे, वापस आए और अपनी रजिस्ट्री का कार्य पूरा कराया। इससे जहां लोगों को राहत तो मिली, लेकिन ट्रायल ने नई व्यवस्था की खामियों को साफ उजागर कर दिया। यह नया नियम प्रॉपर्टी रजिस्ट्री और अन्य दस्तावेजों की अप्रूवल प्रक्रिया से जुड़े आवेदकों के लिए गले की फांस साबित हो सकता है, क्योंकि अब थोड़ी-सी देरी भी पूरी प्रक्रिया को प्रभावित कर देगी।
वहीं रजिस्ट्री कराने आए लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा साफ दिखाई दिया। जसविंदर सिंह, बलजीत कुमार, राजेश खोखर व अन्य कुछ आवेदकों का कहना था कि पंजाब सरकार की इजी रजिस्ट्रेशन का नया सिस्टम आम आदमी को और ज्यादा परेशान कर रहा है। आए दिन तकनीकी गड़बड़ियों के कारण उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है।
आखिर क्या होगा अपॉइंटमेंट टाइमिंग और नया नियम
पंजाब सरकार द्वारा ट्रायल के तौर पर किए नए सिस्टम के अनुसार यदि किसी आवेदक को ऑनलाइन अप्वाइंटमैंट के लिए 11.30 बजे का समय मिला है तो उसे खरीदार, विक्रेता, गवाह और नंबरदार को लेकर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में उसी समय के आसपास उपस्थित होना होगा। 11.30 बजे की मिली इस अप्वाइंटमैंट का समय एक घंटा पहले यानी 10:30 बजे से और एक घंटा बाद यानी 12.30 बजे तक मान्य होगा। यदि इन दो घंटों में सभी आवश्यक पक्ष सब रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थित नहीं होते तो अप्वाइंटमैंट लॉक हो जाएगी और आवेदक को अगले दिन फिर से अप्वाइंटमैंट री-शैड्यूल करानी होगी।
सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में तैनात अधिकारियों का क्या कहना है?
सब रजिस्ट्रार -1 कार्यालय में तैनात नायब तहसीलदार-1 दमनवीर सिंह, नायब रजिस्ट्रार-2 गुरमन गोल्डी और सब रजिस्ट्रार-2 कार्यालय में तैनात नायब तहसीलदार-1 जगतार सिंह और नायब तहसीलदार-2 रवनीत कौर ने बताया कि वह भी इस ट्रायल सिस्टम से अभिज्ञ थे। जब आवेदक के देरी से आने को लेकर अप्वाइंटमैंट लॉक होने की दिक्कत सामने आई तो उन्होंने उच्च अधिकारियों से संपर्क साधा तो नए सिस्टम की सारी स्थिति क्लीयर हुई।
उन्होंने कहा कि दोपहर 1 बजे के बाद सॉफ्टवेयर ने यथावत काम करना शुरू कर दिया। दमनवीर सिंह और जगतार सिंह ने बताया कि नया सिस्टम फिलहाल ट्रायल आधार पर लागू किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक इस सिस्टम को पूरी तरह से लागू करने के उन्हें कोई आदेश नहीं मिले हैं।
आखिर क्यों परेशान हुए लोग?
किसी भी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री प्रक्रिया सिर्फ दस्तावेजी कार्रवाई नहीं होती बल्कि इसके साथ भारी भरकम लेन-देन भी जुड़ा होता है। वहीं कई मामलों में खरीदार और विक्रेता आपस में तय सौदे के तहत व्हाइट और ब्लैक, दोनों प्रकार की पेमैंट पहले ही निपटा चुके थे। अष्टाम पर लिखी रजिस्ट्री पर दोनों पक्ष साइन करने और अन्य औपचारिकताएं पूरी कर चुके थे। लेकिन जब सिस्टम ने अप्वाइंटमैंट लॉक कर दी, तो उनकी रजिस्ट्री मंजूर नहीं हो पाई। इससे मुख्य तौर पर सारा भुगतान कर चुके खरीदार की स्थिति बेहद कठिन हो गई।
अभी तक क्या है प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का सिस्टम?
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के मौजूदा सिस्टम के अनुसार, यदि किसी आवेदक ने एक दिन की अप्वाइंटमैंट ली है तो वह निर्धारित समय के बावजूद दिन भर में किसी भी समय सब रजिस्ट्रार के समक्ष पेश होकर अपनी रजिस्ट्री करा सकता है। इससे लोगों को लचीलापन मिलता था।
सर्वर की समस्या खड़ी करेगी बड़ी चुनौती
सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में सर्वर का स्लो होना या बार-बार खराब होना आम बात है। यदि नए सिस्टम में देरी की जिम्मेदारी पूरी तरह से आवेदक पर डाली जाती है तो सर्वर की तकनीकी खराबियों का खामियाजा भी आम जनता को भुगतना होगा। यह एक बड़ा सवाल है कि अगर विभागीय गलती हुई तो आखिर जनता ही परेशानी क्यों भुगते।
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