‘जाऊं तो जाऊं कहां’ पर अटक सकती है नवजोत सिंह सिद्धू की राजनीति

Edited By Vatika,Updated: 22 Jul, 2019 02:13 PM

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भाजपा के सीनियर नेता अरुण जेतली के सुझाव पर 2004 के लोकसभा चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नवजोत सिंह सिद्धू को अमृतसर से पार्टी का टिकट दिया और सिद्धू ने कांग्रेस के दिग्गज रघुनन्दन लाल भाटिया को 1 लाख 11 हजार मतों से हरा दिया।

अमृतसर(जिया): भाजपा के सीनियर नेता अरुण जेतली के सुझाव पर 2004 के लोकसभा चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने नवजोत सिंह सिद्धू को अमृतसर से पार्टी का टिकट दिया और सिद्धू ने कांग्रेस के दिग्गज रघुनन्दन लाल भाटिया को 1 लाख 11 हजार मतों से हरा दिया। वह इस जीत का श्रेय भाजपा के आम वर्कर को देने की बजाय स्वयं लेते रहे। वहीं 2007 के उपचुनाव में सिद्धू ने कांग्रेस उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंगला को 77 हजार मतों से हराया जो 2004 में हुई जीत से 34 हजार वोट कम थे। सिद्धू बेशक यह कहते रहे कि 2014 में उनकी टिकट काट कर पार्टी ने गलत किया है, लेकिन वह ये भूल गए कि 2004 में एक लाख से ज्यादा मतों से जीत का 2009 में अन्तर साढ़े 5 हजार रह गया। 2014 में पार्टी ने उनके राजनीतिक गुरु, वरिष्ठ नेता अरुण जेतली को टिकट दे दिया पर सिद्धू अमृतसर वोट देने भी नहीं गए। अरुण जेतली ने फिर भी सब कुछ भूलकर सिद्धू को राज्य सभा पहुंचा दिया। 

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केजरीवाल के झांसे में आकर सिद्धू ने भाजपा से दिया था त्यागपत्र
पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की लालसा में केजरीवाल के झांसे में आकर सिद्धू ने भाजपा छोड़ दी पर केजरीवाल ने सिद्धू से कह दिया कि वह सिर्फ स्टार प्रचारक होंगे न कि मुख्यमंत्री का चेहरा। उसके बाद सिद्धू जिस कांग्रेस को मुन्नी से भी ज्यादा बदनाम कहते थे उसका दामन थाम लिया। उप-मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद कांग्रेस में शामिल हुए सिद्धू ये भूल गए कि वह उस राज्य में हैं जहां कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के सामने राहुल राजनीति में बच्चा हैं। कैप्टन हर विषय पर सोनिया से बात करते हैं और वे उनकी बात नहीं टालतीं। ऐसे में कैप्टन की पोजीशन कांग्रेस में हाईकमान से कम नहीं जिसे सिद्धू अंडर इसीटिमेट कर भारी भूल कर गए। कैप्टन ने अढ़ाई सालों में ही सिद्धू को जमीन पर ला दिया है। अब ‘जाऊं तो जाऊं कहां’ पर सिद्धू की राजनीति अटक गई है और भाजपा में सिद्धू वापसी के दरवाजे खुद कर बंद चुके हैं। 

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त्यागपत्र के बाद कांग्रेस में असहज महसूस करेंगे सिद्धू  
सिद्धू को गर्व था कि राहुल-प्रियंका के दरबार में उनकी तूती बोलती है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने जब सिद्धू का  विभाग बदला तो वे दिल्ली पहुंच गए। तब राहुल ने उन्हें समझा लौटा दिया। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पुन: जब वे राहुल से मिलना चाहते थे जो उन्होंने समय नहीं दिया। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पहले ही नाजुक दौर से गुजर रही है, पंजाब में सिद्धू की स्थिति यह है कि जो कांग्रेसी उनके साथ खड़े थे वे भी किनारा कर चुके हैं। वहीं मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए सिद्धू की कांग्रेस में आने वाले दिनों में पोजीशन ठीक नहीं रहने वाली।

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अब सिद्धू को स्वीकार नहीं करेगी भाजपा
यदि सिद्धूू यह समझें कि वह फिर भाजपा में चले जाएं और भाजपा उनके कारनामों को नजर अंदाज कर गले लगा लेगी तो ये उनकी नासमझी ही होगी। भाजपा ऐसे व्यक्ति को कभी गले नहीं लगाएगी जो हजारों बेगुनाह भारतीयों का खून बहाने वाले पाक सेना प्रमुख बाजवा के गले मिला हो। जिसने कांग्रेस के पक्ष में चुनाव प्रचार के दौरान कटिहार (बिहार) में मुस्लिम तुस्टीकरण का नंगा नाच करते हुए कहा था कि तुम 65 प्रतिशत हो और मिलकर कांग्रेस को वोट देकर मोदी को मार दो। इसलिए भाजपा कभी भी सिद्धू को स्वीकार नहीं करेगी।

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