कृषि कानून: किसानों की चुनौती से मोदी-शाह की जोड़ी फिक्रमंद

Edited By Vatika,Updated: 01 Dec, 2020 12:47 PM

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कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत देश भर के किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी को सीधी चुनौती देकर चिंता में डाल दिया है।

बठिंडाः कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत देश भर के किसानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी को सीधी चुनौती देकर चिंता में डाल दिया है। वहीं भारी संख्या में पंजाब, हरियाणा , उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व अन्य प्रदेशों के किसानों ने दिल्ली के 5 बार्डरों पर धरने देकर दिल्ली को पूरी तरह सील कर दिया है जिस कारण आने वाले दिनों में दिल्ली के लिए नई मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। ऐसे में केंद्र सरकार अब लगातार किसानों के साथ राबता कायम कर रही है व उन्हें बातचीत के लिए मनाया जा रहा है। हालांकि किसानों ने बातचीत के दरवाजे हमेशा ही खुले रखे हुए थे व अब भी किसानों का कहना है कि वह बिना शर्त  सरकार के साथ कभी भी बातचीत करने को तैयार हैं। दूसरी ओर सरकार ने मामले की गंभीरता को अब समझा है व यही कारण है कि गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बार-बार किसान नेताओं को फोन करके उन्हें बातचीत की पेशकश की जा रही है। आने वाले 1-2 दिनों के दौरान ही किसान आंदोलन की स्थिति काफी हद तक स्पष्ट होने के आसार हैं। 

‘पीछे मुड़कर न देखने वाली मोदी-शाह की जोड़ी बातचीत के लिए तैयार’
हालांकि केंद्र सरकार ने पहले किसानों के साथ होने वाली बातचीत को गंभीरता से नहीं लिया व पहले हुई 2 बैठकों के दौरान किसानों को कृषि बिलों के फायदे ही समझाए जाते रहे। लेकिन अब जब किसान दिल्ली के बार्डरों पर बैठ गए हैं तो केंद्र सरकार को मसले की गंभीरता का अंदाजा हुआ है। राजनीतिक हल्कों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के बारे एक धारणा है कि उक्त जोड़ी कोई भी फैसला लेती है तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखती। भले ही सरकार को अपने फैसलों का कितना बड़ा नुकसान हो या कितना ही बड़ा खामियाजा भुगतना पड़े, इस जोड़ी ने कभी भी किसी भी फैसले पर पुनॢवचार नहीं किया। देश में चाहे नोटबंदी हो या जी.एस.टी. को लागू करना या जम्मू कश्मीर से धारा-370 को हटाना, मोदी-शाह की जोड़ी द्वारा किए गए फैसलों को देशवासियों को स्वीकार करना ही पड़ा है। सी.ए.ए. व एन.आर.सी. के विरोध में भी आंदोलन हुए थे लेकिन उक्त आंदोलन भी बिना किसी परिणाम के समाप्त हो गए। लेकिन किसानों ने पहली बार उक्त जोड़ी को इतनी कड़ी चुनौती दी है। अब आने वाला समय ही बताएगा कि सरकार कृषि कानूनों के फैसले पर क्या रुख अख्तयार करती है। 

‘दिल्ली के दरवाजे पर पहुंचने पर हुआ आंदोलन की ताकत का अहसास’
केंद्र की भाजपा सरकार ने इतने बड़े किसान आंदोलन की उम्मीद ही नहीं की थी। केंद्र सरकार हरियाणा की खट्टर सरकार के माध्यम से पंजाब के किसानों को पंजाब में ही रोक देना चाहती थी जिसके लिए हरियाणा सरकार की ओर से बड़े स्तर पर तैयारियां भी की गईं थी। 
ऐसे में केंद्र सरकार पूरी तरह आश्वस्त थी कि पंजाब के किसान पंजाब की सीमाओं से बाहर ही नहीं निकल सकेंगे जबकि हरियाणा के किसानों को भी हरियाणा की सरकार रोक लेगी। लेकिन लाखों की संख्या में दिल्ली की ओर बढ़े किसानों के सामने हरियाणा सरकार की तैयारियां धरी  रह गईं व किसान सभी नाके तोड़ते हुए दिल्ली जा पहुंचे। किसानों के दिल्ली के दरवाजे पर पहुंचने के बाद केंद्र सरकार को इस आंदोलन की ताकत का अहसास हुआ। यही कारण है कि अब सरकार बार-बार किसानों के साथ बातचीत करने के प्रयास कर रही है। 

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