लोकसभा चुनाव 2019: पंजाब में हावी रहेगा बेअदबी का मुद्दा

Edited By Vatika,Updated: 14 Mar, 2019 10:35 AM

lok sabha election 2019

लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा होने के साथ ही सियासी पार्टियों व नेताओं ने एक-दूसरे पर हमले तेज कर दिए हैं। इसके तहत जहां विरोधी पार्टियों द्वारा नैशनल लैवल पर पी.एम. मोदी के विरुद्ध वायदा खिलाफी का मुद्दा बनाया जा रहा है,

लुधियाना(हितेश): लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा होने के साथ ही सियासी पार्टियों व नेताओं ने एक-दूसरे पर हमले तेज कर दिए हैं। इसके तहत जहां विरोधी पार्टियों द्वारा नैशनल लैवल पर पी.एम. मोदी के विरुद्ध वायदा खिलाफी का मुद्दा बनाया जा रहा है, वहीं मोदी द्वारा कांग्रेस के खिलाफ करप्शन के आरोप लगाते हुए उसकी देशभक्ति पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
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इसके अलावा स्टेट लैवल पर वहां के हालात को लेकर अलग मुद्दे भी छाए हुए हैं। इनमें अगर पंजाब की बात करें तो अकाली दल व भाजपा सहित तमाम विरोधी पार्टियों द्वारा कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान किए वायदे पूरे न करने के पहलू को उजागर करने की कोशिश की जा रही है, साथ ही नशों का मुद्दा एक बार फिर गर्माने लगा है।इन सब आरोपों के मुकाबले के लिए कांग्रेस द्वारा जहां अपनी सरकार की उपलब्धियों की लिस्ट तैयार की जा रही है, वहीं मुख्य विरोधी अकाली दल के खिलाफ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मुद्दा एक बार फिर से उठाने का फैसला किया गया है।

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दोफाड़ हो चुका है अकाली दल
पंजाब में बेअदबी का मुद्दा इस कदर हावी हो चुका है कि उसका नतीजा अकाली दल के दोफाड़ होने के रूप में सबके सामने है। इसके तहत माझा के प्रमुख नेताओं रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सेवा सिंह सेखवां, रत्न सिंह अजनाला ने सुखबीर सिंह बादल व बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ खुलेआम बगावत करके अकाली दल टकसाली का गठन कर लिया जिसके तहत वे सभी लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने जा रहे हैं।
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हरसिमरत को बदलनी पड़ सकती है सीट
बेअदबी का मामला मुख्य रूप से बहबलकलां, बरगाड़ी व कोटकपूरा के साथ जुड़ा हुआ है जो बठिंडा एरिया के अधीन आते हैं। यहां अकाली दल के खिलाफ सबसे ज्यादा गुस्सा देखने को मिल रहा है। शायद यही वजह है कि बठिंडा में सबसे ज्यादा विकास करवाने के दावों के बावजूद हरसिमरत कौर बादल द्वारा सीट बदल कर फिरोजपुर से चुनाव लडऩे पर विचार किया जा रहा है।

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ढींडसा परिवार कर चुका है चुनाव लडऩे से इंकार
सीनियर अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा भी अपने सभी पदों से इस्तीफा दे चुके हैं जिसे लेकर उन्होंने भले ही ’यादा उम्र व सेहत ठीक न होने का हवाला दिया हो लेकिन उनके इस फैसले को बेअदबी के मुद्दे के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने गढ़ माने जाते संगरूर से लोकसभा चुनाव लडऩे से इंकार कर दिया है जहां से वह पहले एम.पी. व विधायक रह चुके हैं। उनका बेटा परमिंदर सिंह ढींडसा भी चुनाव लडऩे के लिए तैयार नहीं है जो इस एरिया से कई चुनाव जीत चुका है।

जिला परिषद व पंचायत चुनाव में देखने को मिला है असर
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अदबी के मुद्दे का असर जिला परिषद व पंचायत चुनाव में देखने को मिल चुका है। इस दौरान गांवों में विकास से ज्यादा बेअदबी को लेकर कांग्रेस द्वारा अकाली दल को निशाना बनाया गया था और इसका फायदा भी कांग्रेस को मिला है। 

एस.आई.टी. पर सबकी नजर 
बेअदबी के मामले में सबकी नजर एस.आई.टी. पर लगी हुई है जिसके द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी से पूछताछ की जा चुकी है। इसके अलावा आई.जी. परमराज सिंह उमरानंगल व पूर्व एस.एस.पी. चरणजीत सिंह को गिरफ्तार किया जा चुका है। अब चर्चा है कि इस मामले में पूर्व डी.जी.पी. के जरिए बादल पर शिकंजा कसा जा सकता है। इससे पहले कोटकपूरा के पूर्व विधायक मनतार बराड़ का नंबर लग सकता है जिसे लेकर अकाली दल द्वारा कांग्रेस पर सियासी फायदे के लिए एस.आई.टी. का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया जा रहा है।

कांग्रेस को पहली बार मिला है अकाली दल के खिलाफ हथियार 
अब तक अकाली दल द्वारा सिख विरोधी दंगों के अलावा ब्लू स्टार ऑप्रेशन को लेकर कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया जाता रहा है लेकिन बेअदबी के मामले में सिखों की धार्मिक भावनाओं को लेकर कांग्रेस को पहली बार अकाली दल के खिलाफ हथियार मिला है।

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