Edited By Kalash,Updated: 17 Jun, 2022 10:00 AM
बांध परियोजना पर लगभग 80 करोड़ रुपए के कथित रूप से घोटाले की आशंका को लेकर
पठानकोट (शारदा, आदित्य): बांध परियोजना पर लगभग 80 करोड़ रुपए के कथित रूप से घोटाले की आशंका को लेकर एक शिकायतकर्ता ने पंजाब विधानसभा के स्पीकर को लिखित शिकायत की है। शिकायत के आधार पर जल स्रोत विभाग के सतर्कता विभाग के चीफ इंजीनियर ने बांध प्रशासन के कई अधिकारियों को उक्त शिकायत संबंधी दस्तावेजों सहित 18 जून को चंडीगढ़ में तलब किया है।
इसके लिए शिकायतकर्ता ने पूरे दस्तावेजों के साथ पंजाब सरकार के स्पीकर को बैराज बांध व आर.एस.डी. प्रोजेक्ट पर किए गए निर्माण कार्यों पर प्रश्न चिन्ह लगाकर शिकायत की है। शिकायतकर्ता ने बताया कि निर्माणाधीन बैराज बांध व रणजीत सागर बांध परियोजना पर लगभग 80 करोड़ रुपए के घोटाले की आशंका है जिससे सरकार को गलत तरीके से चूना लगाया गया है।
उन्होंने शिकायत में लिखा कि वर्ष 1996 से लेकर वर्ष 2013 तक बैराज बांध का निर्माण कार्य पूरी तरह बंद रहा है, जिसके लिए कई अधिकारियों ने मिलीभगत कर कई प्रकार के सामान व स्टोर की प्रचेज की थी, जो सरासर गलत थी। जब निर्माण कार्य बंद था तो मशीनरी की रिपेयर व अन्य कार्य क्यों करवाए गए थे।
जब रणजीत सागर बांध परियोजना को वर्ष 2001 में राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया था तो शाहपुरकंडी के समीप बनाई गई रेलवे लाइन का क्या लाभ हुआ, जिससे भी सरकार के फंड को हानि पहुंची है। इसके साथ ही करोड़ों रुपए का सीमैंट भी मंगवाया गया, जबकि उस समय कोई निर्माण कार्य भी नहीं चल रहा था।
उन्होंने कहा कि उसके पास कई ऐसे प्रमाण हैं, जिससे पूरी तरह साबित हो जाएगा की सरकार के फंडों में कथित रूप से हेरा-फेरी की गई है तथा वहां कई अधिकारियों ने घोटाले करके अपनी संपत्ति को कई गुणा अधिक बनाया है। इसी शिकायत के आधार पर जल स्रोत विभाग के विजीलैंस विंग के चीफ इंजीनियर ने बांध प्रशासन के कई अधिकारियों को पूरे दस्तावेजों सहित चंडीगढ़ बुलाया है।
जांच सही पाए जाने के बाद गिरेगी कई मौजूदा एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों पर गाज
जिस प्रकार से शिकायतकर्ता ने प्रदेश में सरकार के परिवर्तन के बाद यह विस्तृत रूप से शिकायत की है, उससे शिकायतकत्र्ता को लगता है कि वह निष्पक्ष जांच करवाने में सफल होगा। इसलिए उसने प्वाइंट वाइज विस्तृत रूप से अपनी बात को रखा है।
इस समय जल स्रोत विभाग के सचिव कृष्ण कुमार हैं जो साफ-सुथरी जांच करवाने के लिए जाने जाते हैं। यह तथ्य सामने आ रहा है कि जांच में अगर कुछ भी गलत पाया गया तो संबंधित कई मौजूदा एवं सेवानिवृत्त अधिकारियों पर गाज गिरना तय है।
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