अकाली-भाजपा में पड़ी दरार के चलते मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे सकती हैं हरसिमरत बादल!

Edited By Vatika,Updated: 04 Oct, 2019 09:05 AM

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हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर अकाली-भाजपा गठबंधन में पड़ी दरार के चलते अब गठबंधन में तलवारें पूरी तरह से खिंच चुकी हैं।

पटियाला(राजेश पंजोला): हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर अकाली-भाजपा गठबंधन में पड़ी दरार के चलते अब गठबंधन में तलवारें पूरी तरह से खिंच चुकी हैं। भाजपा की तरफ से अकाली दल से पंथक मुद्दे छीनने, हरियाणा में अकाली दल के विधायक को भाजपा में शामिल करने के बाद बेशक अकाली दल ने पलटवार करते हुए हरियाणा के विधानसभा हलका कालांवाली के नेता रजिन्द्र सिंह देसूजोधा को अकाली दल में शामिल कर उन्हें अकाली दल का उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी है परंतु अकाली दल अब इस मामले में और आक्रामक होता दिखाई दे रहा है।

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सूत्रों के मुताबिक अकाली-भाजपा में पड़ी दरार के चलते हरसिमरत कौर बादल मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे सकती हैं। अकाली दल के उच्च स्तरीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बादल व मजीठिया परिवार की बैठक हुई। बैठक में आर-पार की लड़ाई लडऩे का फैसला किया गया। बिक्रमजीत सिंह मजीठिया का स्पष्ट स्टैंड है कि अब ऊहापोह में न रहा जाए और अकाली दल को स्पष्ट स्टैंड लेना चाहिए। अकाली नेतृत्व के पास भी यह रिपोर्ट पहुंच रही है कि अगर अकाली दल पंजाब की कांग्रेस सरकार व केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ पंजाब के किसानों व सिखों के मुद्दों को लेकर संघर्ष करता है तो अकाली दल के लिए यह फायदे में रहेगा। अकाली दल को हमेशा तभी सत्ता मिली है जब वह केंद्र सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहा है। केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार से अकाली दल व पंजाब को कोई बड़ा फायदा नहीं मिल पा रहा है। अकाली दल ने धारा 370 को हटाने समेत भाजपा के प्रत्येक स्टैंड का समर्थन किया है जबकि भाजपा ने कभी भी बरगाड़ी मु्द्दे पर अकाली दल के हक में आवाज नहीं उठाई।
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पंजाब सरकार के आर्थिक हालात बद से बदतर हैं। पंजाब सरकार के लिए कर्मचारियों को वेतन देना भी मुश्किल हो रहा है। पहली बार पंजाब सरकार अपने कर्मचारियों को डी.ए. की किस्त नहीं दे पा रही है, जिसके कारण कर्मचारी वर्ग बेहद दुखी है। केंद्र सरकार की नीतियों से भी पंजाब के लोग बेहद दुखी हैं। अकाली राजनीति के रणनीतिकारों ने बादल परिवार को स्पष्ट कर दिया है कि आगामी दिनों में पंजाब के आर्थिक हालात और खराब होंगे। कैप्टन सरकार के अढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में विकास के नाम पर सिर्फ सरकारी प्रैस नोट ही निकले हैं, जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हुआ। पंजाब का किसान, व्यापारी केंद्र सरकार के खिलाफ है। पंजाब का कर्मचारी व दलित वर्ग प्रदेश सरकार के खिलाफ है। ऐसे में अकाली दल को स्टैंड लेते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा दिलवा कर अकाली दल को पंजाब के हितों के लिए सड़कों पर उतरना चाहिए ताकि पंजाब में अकाली दल अपना खोया हुआ वोट बैंक हासिल कर सके। अकाली रणनीतिकारों का मानना है कि हरसिमरत कौर को जो मंत्रालय दिया है, उसका पंजाब को कोई राजनीतिक लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। एक केंद्रीय मंत्री पद के लिए अकाली दल के अस्तित्व को दाव पर लगाना ठीक नहीं। लिहाजा अब समय आ गया है कि अकाली दल अपने वजूद को बचाने के लिए करो या मरो की राजनीति पर काम करते हुए सख्त स्टैंड ले।

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