रुक-रुक कर बमबारी के साए में हर कदम पर दिख रही मौत

Edited By Urmila,Updated: 04 Mar, 2022 01:22 PM

death seen at every step under the shadow of intermittent bombardment

खारकीव यूक्रेन में सबसे खतरे वाला शहर है जहां रुक-रुक कर बमबारी होती जा रही है। ऐसे हालात में समय गुजरना बहुत मुश्किल हो रहा है और हर कदम पर मौत दिखाई दे रही है।

जालंधर (पुनीत): खारकीव यूक्रेन में सबसे खतरे वाला शहर है जहां रुक-रुक कर बमबारी होती जा रही है। ऐसे हालात में समय गुजरना बहुत मुश्किल हो रहा है और हर कदम पर मौत दिखाई दे रही है। पारिवारिक मैंबर अपने बच्चों की मासूम जिंदगियों के लिए दुआएं कर रहे हैं जिससे वह जल्द वापिस अपने वतन लौट सकें। खारकीव में फंसे हए जालंधर के जतिन सहगल ने अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ बातचीत करके हालात बयां किए जिससे पारिवारिक मैंबर बहुत फिक्रमन्द हैं।

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स्थानीय जी.टी.बी. नगर नजदीक पड़ते गुरु गोबिन्द सिंह नगर निवासी विद्यार्थी जतिन के भाई हितिन सहगल और मां बिक्की सहगल ने बताया कि यूक्रेन में हालात खराब हुए एक सप्ताह बीत चुका है परन्तु उनके बेटे की अभी तक वापसी नहीं हो पा रही। पहले तो रुटीन में बात हो रही थी परन्तु अब बात भी बहुत मुश्किल के साथ हो रही है।

जतिन सहगल ने पारिवारिक सदस्यों को बताया कि बुधवार सुबह उन्होंने खारकीव में यूक्रेनी सेना की तरफ से बनाए बंकरों में पनाह ली हुई थी। इस दौरान यूक्रेनी सेना अपने सुरक्षा कवच में सैंकड़ों विद्यार्थियों को लेकर खारकीव में स्टेशन के लिए रवाना हुई। बंकरों से 5 किलोमीटर दूर स्टेशन तक पैदल ले जाया गया। इस दौरान जो कोई रेल गाड़ियां आ रही थीं उनमें सबसे पहले यूक्रेनी लोगों को बिठाया जा रहा था। इसके बाद इंडियन लड़कियों को बैठने की इजाजत थी। इस दौरान सबसे आखिर में लड़कों की बारी आनी थी। अभी वह आगे वाली ट्रेन के आने का इतजार कर रहे थे कि यूक्रेन के समय मुताबिक दोपहर 2 बजे बमबारी शुरू हो गई। वहां तुरंत स्टेशन खाली करने के आदेश जारी हुए जिसके बाद विद्यार्थियों में अफरा-तफरी मच गई। सभी ने भाग कर जान बचाई। उनके सामने सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर एक बम गिरा परन्तु वह ज्यादा पावरफुल नहीं था। इस बम धमाके में उनको ऐसा लगा कि अब बचना मुश्किल है।

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इसके बाद फौज के साथ वह 10 किलोमीटर दूर स्थित परेसोचिन इलाके में पहुंचे जोकि बिल्कुल वीरान पड़ा है क्योंकि वहां के लोग उक्त इलाके को छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर जा चुके हैं। सेना वहां सैंकड़ों विद्यार्थियों को छोड़ कर दूसरे स्थान पर चली गई। हालात यह हैं कि उनके पास खाने-पीने का कोई सामान मुहैया नहीं है और ब्लैकआउट में रातें काट रहे हैं। सभी ने नुकसानियां इमारतों में शरण ली हुई है। कोई अस्पताल में रह रहा है और कोई स्कूल में। कुछ विद्यार्थी लोगों के घरों में बैठे हुए हैं। वह बुधवार की रात से इस इलाके में रुके और डर के साए समय गुजारा। वहां रात को बिजली नहीं आई और ब्लेकआउट में रात बितानी पड़ी। वहां इंडियन व्यक्ति कर्ण संधू बड़ी मुश्किलें बर्दाश्त करके भारतीयों की मदद कर रहा है। उनको दिन में थोड़ा-बहुत कुछ खाने को दिया जा रहा है। संधू को खाने का प्रबंध करने के लिए कई किलोमीटर दूर तक जाना पड़ रहा है। एम्बेसी की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही, सिर्फ जान बचाने के लिए शेल्टर मुहैया करवाया गया। यहां कब बमबारी हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। पारिवारिक सदस्यों ने सरकार को फरियाद करते कहा कि उनकी मदद की जाए और बच्चों को वापिस लाने के लिए खारकीव से 10 किलोमीटर दूर स्थित परेसोचिन इलाको में गाड़ियां भेजी जाएं।

रिस्क लेकर स्टेशन पर गए विद्यार्थियों की कोई खबर नहीं
वीरान इलाकों में रुके सैंकड़ों की संख्या में मौजूद विद्यार्थियों में से दर्जनों इंडियन विद्यार्थी यहां के समय अनुसार गुरुवार सुबह 9 बजे के लगभग स्टेशन की तरफ रवाना हो गए। सभी ने उनको जाने से रोका परन्तु वह अपने रिस्क पर रवाना हो गए। वह 10 किलोमीटर दूर स्टेशन के लिए पैदल गए हैं परन्तु लगभग 10 घंटों बाद भी उनकी कोई खबर नहीं आई।

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