Edited By Kamini,Updated: 04 Aug, 2025 06:55 PM

पंजाब में फर्जी एनकाउंटर मामले में 32 साल कोर्ट का फैसला आ गया है।
पंजाब डेस्क : पंजाब में फर्जी एनकाउंटर मामले में 32 साल कोर्ट का फैसला आ गया है। मोहाली सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि, कोर्ट ने इस मामले में रिटायर्ड SSP भूपेंद्रजीत सिंह, DSP दविंदर सिंह, इंस्पेक्टर सूबा सिंह, ASI रघबीर सिंह और ASI गुलबर्ग सिंह को दोषी करार दिया था।
इन सभी आरोपियों पर 7 लोंगों की हत्या के मामले में आईपीएस की धारा 302 और 120-B के तहत केस दर्ज किया गया था। बता दें कि इस मामले में 10 पुलिस अफसरों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई है। ट्रायल के दौरान 5 की मौत हो गई है। 1993 में तरनतारन फर्जी एनकाउंटर मामले में 1 अगस्त को सुनवाई हुई जिसमें कोर्ट सभी आरोपियों को दोषी करार दिया था। वहीं आज हुई सुनवाई में कोर्ट ने आरोपियों को सजा का फैसला सुना दिया है।
कोर्ट के आज इस फैसले के बाद पीड़ित परिवार हाथों में मृतकों की तस्वीरें लेकर बाहर आते हुए दिखाई दिए। परिवार वालों ने कहा कि उन्होंने अब जाकर हारत की सांस ली है। इस फर्जी एनकाउंटर मामले में मृतक सुखदेव सिंह की पत्नी ने कहा कि जब उनके पति का एनकाउंटर किया गया था। उस समय वह गर्भवती थी। पति की मौत के बाद उन्होंने बच्चे को जन्म दिया और उन्हें एक हमीने बात पता चला था कि उनके पति की एक एनकाउंटर में मौत हो गई है।
क्या था मामला?
1993 में तरनतारन जिले में 7 युवकों की 2 फर्जी पुलिस एनकाउंटर में हत्या कर दी गई थी। इन युवकों को पुलिस ने उनके घरों से उठाया, कई दिनों तक गैरकानूनी हिरासत में रखा और अमानवीय यातनाएं दीं। फिर पुलिस ने थाना वैरोवाल और थाना सहराली में झूठे एनकाउंटर की एफआईआर दर्ज की गई और फिर उन्हें झूठे एनकाउंटर में मार गिराया।
मारे गए युवकों में 4 एसपीओ :
झूठे एनकाउंटर में से 4 युवक पंजाब सरकार के एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) पद पर तैनात थे। इसके बावजूद, पुलिस ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर फर्जी एनकाउंटर में मार दिया। दुख की बात यह रही कि परिजनों को न तो शव सौंपे गए, न ही अस्थियां दी गईं, और अंतिम संस्कार तक करने नहीं दिया गया। करीब 33 साल बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है।
पुलिस ने सुनाई थी ये कहानी :
फर्जी एनकाऊंचर के बाद पुलिस ने झूठी कहानी पेश की थी। पुलिस ने दावा किया कि एक आरोपी मंगल सिंह को जब रिकवरी के लिए ले जाया जा रहा था, तब उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। इस दौरान जवाबी कार्रवाई में मंगल सिंह सहित 3 लोग मारे गए। दूसरे मामले में पुलिस ने कहा कि एक नाके पर फायरिंग हुई, जिसमें 3 अन्य युवक मारे गए। पुलिस ने कहा कि, नाका लगा हुआ था कि इस दौरान फायरिंग हो गई, जिसमें 3 लोग मारे गए। हालांकि, सीबीआई जांच में इन दोनों कहानियों को पूरी तरह झूठा पाया गया। यह मामला बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने जांच के बाद 10 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल के दौरान इनमें से 5 अधिकारियों की मौत हो गई, जबकि बाकी 5 को अदालत ने अब दोषी ठहराया है।
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