Edited By Kalash,Updated: 06 Jun, 2022 12:13 PM
फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव दौरान आम आदमी पार्टी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए
जालंधर (खुराना): फरवरी-मार्च में हुए विधानसभा चुनाव दौरान आम आदमी पार्टी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए विधानसभा की 92 सीटें जीत तो ली परंतु अब कुछ ही महीनों बाद होने जा रहे नगर निगम चुनावों हेतु आम आदमी पार्टी के नेतागण कोई तैयारी करते नहीं दिख रहे।
गौरतलब है कि जालंधर निगम के साथ-साथ कई निगमों के चुनाव दिसंबर में होने हैं जिससे पहले वार्डबंदी अभी की जानी है।
जालंधर निगम की बात करें तो यहां 3 साल पहले 12 गांव निगम सीमा से जुड़े थे जिन्हें अब निगम का वार्ड बनाया जाना है इसलिए यहां वार्डबंदी होनी निश्चित है। अभी तक जालंधर निगम ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है और फिलहाल इन दिनों पुराने वार्डों की वर्तमान लिमिट की डिजिटल लोकेशन बनाने का काम ही किया जा रहा है।
आम आदमी पार्टी द्वारा जालंधर निगम के चुनावों हेतु कोई ठोस रणनीति न बनाए जाने और फिलहाल कोई तैयारी न किए जाने के चलते वह कांग्रेसी पार्षद खासे निराश दिख रहे हैं जिन्होंने विधानसभा चुनाव दौरान आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों संग प्यार की पींगें झूलीं और अपनी ही पार्टी (कांग्रेस) के उम्मीदवारों का नुक्सान किया। इसी के चलते कांग्रेसी पार्षदों ने भाजपा की ओर टकटकी लगाकर देखे लगे हैं।
भाजपा का दामन थाम सकते हैं शहर के कई कांग्रेसी
विधानसभा चुनावों से पहले राज्य कांग्रेस के सबसे शीर्ष नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा में चले गए और विधानसभा चुनावों के बाद भी पार्टी के अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़ के साथ-साथ करीब आधा दर्जन मंत्री भाजपा से जा मिले हैं। माना जा रहा है कि जिस प्रकार पंजाब कांग्रेस के शीर्ष नेता आम आदमी पार्टी में जाने की बजाय भाजपा का दामन थाम रहे हैं, उससे प्रभावित होकर जालंधर के कई कांग्रेसी नेता जिनमें कुछ मौजूदा पार्षद भी हैं, आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
‘आप’ के पावर सैंटर का ही पता नहीं चल पा रहा
पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद आरोप लग रहे हैं कि इसे दिल्ली से संचालित किया जा रहा है और मुख्यमंत्री भगवंत मान केजरीवाल की रबड़ स्टैंप के रूप में ही काम कर रहे हैं। विधानसभा चुनावों दौरान जालंधर के जिन कांग्रेसी पार्षदों ने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की खुलकर या लुक छुप कर मदद की, उन्हें अब ‘आप’ के संगठन तथा इस पार्टी के पावर सैंटर का ही पता नहीं चल पा रहा है।
देखा जाए तो जालंधर में दोनों ‘आप’ विधायकों के पास इतनी पावर नहीं है कि वह किसी को पार्टी में शामिल करके उसे निगम चुनाव में टिकट देने का वायदा कर सकें। फिलहाल निगम चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी में सिर्फ इतनी गतिविधियां चल रही हैं कि कुछ नेता अपने आप को आम आदमी पार्टी का लीडर बताकर अपने अपने वार्ड में सक्रिय हैं परंतु उन्हें भी नहीं पता कि उन्हें निगम चुनावों में टिकट मिलेगी या नहीं।
यही कारण है कि जालंधर जैसे बड़े शहर में भी आम आदमी पार्टी का ग्राफ ऊपर नहीं जा रहा और दलबदल करवाने तथा अपना आधार बढ़ाने में भारतीय जनता पार्टी के नेतागण ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। जिस हिसाब से सत्तापक्ष यानी आम आदमी पार्टी निगम चुनावों को लेकर उदासीन है, उस हिसाब से इस पार्टी द्वारा निगम चुनाव जीत पाना काफी मुश्किल भरा काम होगा।
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