सरना बंधुओं की भाजपा से नजदीकियों ने उड़ाई बादलों की नींद

Edited By Sunita sarangal,Updated: 26 Jan, 2020 09:04 AM

close ties with bjp of sarna brothers dangerous for badal family

दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ-साथ भाजपा द्वारा अकाली दल की घेराबंदी तेज कर दी गई है।

जालंधर(बुलंद): दिल्ली विधानसभा चुनावों के साथ-साथ भाजपा द्वारा अकाली दल की घेराबंदी तेज कर दी गई है। हरियाणा में अकाली दल की जमीन छीनने के बाद दिल्ली में भाजपा ने अकाली दल को मैदान से बाहर का रास्ता दिखाने के साथ ही दिल्ली में सिख वोटरों को अपने साथ जोड़ने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। इसी रणनीति के तहत 2 दशकों से ज्यादा समय तक कांग्रेस के मजबूत सिख समर्थकों के तौर पर दिल्ली के सरना बंधुओं की भाजपा के साथ नजदीकियों ने शिरोमणि अकाली दल बादल की नींद उड़ा दी है।

बादल विरोधी सिखों को एक स्टेज पर लाएगी भाजपा
मामले बारे दिल्ली के भाजपा सूत्रों की मानें तो जिस प्रकार अकाली दल को भाजपा ने एक भी सीट देने से इंकार करके चुनावी मैदान से बाहर किया है, उसके बाद बादल दल ने भाजपा को सबक सिखाने के लिए दिल्ली में अपने सिख नेताओं को निर्देश दिए थे कि अपने सिख वोट बैंक को ‘आप’ की ओर मूव कर दो ताकि भाजपा को इसका नुक्सान हो, लेकिन भाजपा ने दो कदम आगे चलते हुए दिल्ली के पुराने सिख नेता सरना बंधुओं के साथ संपर्क स्थापित करके अकाली दल में सेध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। परमजीत सरना के जरिए भाजपा ने बादल दल के कई अकाली नेताओं से संपर्क साधा है कि चुनावों में अगर सिखो के वोट बैंक को भाजपा की झोली में डलवाते हैं तो उसका चुनावों के बाद उन्हें फायदा मिलेगा जिसके बाद कई अकाली नेता भाजपा के साथ जुड़ने लगे हैं।

भाजपा अकाली दल का साथ छोड़े तो उसके साथ होंगे हम: सरना
वहीं इस संबंध में परमजीत सिंह सरना से बात की गई तो उन्होंने कहा कि भाजपा एक बड़ी पार्टी है पर पंजाब में शिअद ने भाजपा के साथ मिलकर सिख सिद्धांतों, गुरुद्वारों, इंस्टीच्यूटों का सत्यनाश किया है। अगर भाजपा अकाली दल बादल का साथ त्यागती है तो वह अपने पूरे बल के साथ भाजपा के साथ चल सकते हैं। जब उनसे पूछा गया कि भाजपा के सिर पर आर.एस.एस. का हाथ है जो कि सिखी सिद्धांतों को सदा नुक्सान पहुंचाती आई है तो आप कैसे उससे बचेंगे, इस पर सरना ने कहा कि हम बादलों की तरह नहीं हैं कि भाजपा से सियासी पद लेकर सिखी सिद्धांतों को बेच दें और गुरु साहिबान की बेअदबियां करवाएं।

उन्होंने कहा कि हम भाजपा के साथ मिलकर भी सिख सिद्धांतों और सिख संस्थाओं को आगे लेकर जाएंगे। उनसे पूछा गया कि कांग्रेस के साथ आपका इतना पुराना रिश्ता रहा है तो कैसे आप उससे पीछे हटेंगे, तो सरना ने कहा कि 20 साल से ज्यादा वह कांग्रेस के साथ रहे हैं पर आज तक उन्होंने कांग्रेस से कोई राजनीतिक पद या लाभ नहीं लिया उलटा कांग्रेस को सहयोग ही दिया है। हमारा मुख्य टार्गेट है सिखों को बादलों से बचाना और एस.जी.पी.सी. व दिल्ली कमेटी को बादलों से मुक्त करवाना। 

भाजपा हुई सफल तो उल्ट सकता है डी.एस.जी.एम.सी. का तख्ता-
वहीं मामले बारे दिल्ली चुनावों पर नजर जमाए बैठे सियासी माहिरों का कहना है कि जिस प्रकार सरना ग्रुप ने सीधे तौर पर सिख वोट बैंक को भाजपा के हक मे शिफ्ट करने के लिए प्रयत्न शुरू किए हुए हैं और जिस प्रकार बादल दल का सिख वोट बैंक दिल्ली में कमजोर हुआ है, उनसे लगता है कि अगर दिल्ली में भाजपा मजबूत स्थिति में पहुंच जाती है या सरकार बनाने मे कामयाब होती है तो इसका सीधा लाभ सरना बंधुओं को मिलना तय है। इसके चलते दिल्ली में अगर भाजपा की सरकार बनती है तो डी.एस.जी.एम.सी. में उल्टफेर हो सकता है और सिरसा का तख्ता पल्ट हो सकता है और वापिस दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी की कमान सरना बंधुओं के हाथ में आ सकती है।

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