मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र ने सांसदों की बैठक में राज्यसभा सांसदों को किया दरकिनार

Edited By swetha,Updated: 18 Jul, 2019 12:36 PM

captain amarinder singh meet punjab mp in loksabha

पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा संसद भवन के सैंट्रल हाल में कांग्रेसी सांसदों के साथ बैठक में लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद तो मौजूद थे, परंतु इस बैठक में राज्यसभा में पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेसी सांसदों की गैर-मौजूदगी ने राजनीतिक...

जालंधर(चोपड़ा): पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा संसद भवन के सैंट्रल हाल में कांग्रेसी सांसदों के साथ बैठक में लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद तो मौजूद थे, परंतु इस बैठक में राज्यसभा में पंजाब का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेसी सांसदों की गैर-मौजूदगी ने राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चाएं छेड़ दी हैं। 

इन नेताओं ने बनाई दूरी
राज्यसभा सांसद व पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा, सांसद व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान शमशेर सिंह दूलो व पूर्व केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी ने बैठक से दूरी बनाए रखी। वहीं, लुधियाना से लोकसभा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू भी गैर-हाजिर रहे जबकि मीटिंग के संदर्भ में कांग्रेसी सांसदों को पहले से सूचना दे दी गई थी। करीब एक घंटा चली इस मीटिंग के दौरान पंजाब कांग्रेस के मामलों की प्रभारी आशा कुमारी भी मौजूद थी। 

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राज्यसभा सांसदों की नजरअंदाजी ने कांग्रेसी खेमे में बढ़ाई हलचल
बैठक के दौरान कैप्टन अमरेन्द्र ने सांसद परनीत कौर, मनीष तिवारी, गुरजीत सिंह औजला, जसबीर सिंह डिंपा, संतोख चौधरी, डा. अमर सिंह, मोहम्मद कोट सदीक शामिल थे। बैठक के दौरान पंजाब कांग्रेस मामलों की प्रभारी आशा कुमारी ने भी भाग लिया परंतु राज्यसभा सांसदों की नजरअंदाजी ने कांग्रेसी खेमे में हलचल बढ़ा दी है क्योंकि तीनों राज्यसभा सांसद ऐसे टकसाली कांग्रेसी परिवारों से सबंधित हैं, जिन्होंने कई दशकों तक पार्टी की सेवा की है। इनमें से बाजवा व दूलो का तो कैप्टन अमरेन्द्र के साथ छत्तीस का आंकड़ा भी रहा है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कै. अमरेन्द्र के हाथों प्रदेश की कमान आने के बाद पुराने व टकसाली कांग्रेस पूरी तरह से दरकिनार कर दिए गए हैं। कांग्रेस में दल-बदलुओं का बोलबाला है। पंजाब कैबिनेट में भी कुछ ऐसे चेहरे शामिल हैं जोकि दूसरी राजनीतिक पार्टियों को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे और आज सत्ता सुख भोग रहे हैं। उक्त वरिष्ठ नेता का कहना है कि हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान की भांति पंजाब कांग्रेस में भी विद्रोह की ज्वालामुखी धधक रही है। पार्टी से दरकिनार किए गए कांग्रेसी केवल उचित समय के इंतजार में हैं। एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता का कहना है कि मुख्यमंत्री लोकसभा सांसदों को तो प्रेरित करते हैं कि वे पंजाब और पंजाबियत से जुड़े मुद्दों को लोकसभा में दृढ़ता से उठाएं ताकि इन मसलों के निपटारों के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जा सके। पर इस सारे प्रकरण से बड़ा शून्य पैदा होता है कि क्या कांग्रेस को राज्यसभा में इन मसलों की सपोर्ट की कोई जरूरत नहीं है? क्या आज तक उनके द्वारा उठाए सभी मसले प्रभावहीन थे? 

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कभी भी फट सकता है ज्वालामुखी
एक अन्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता का मानना है कि समूचे देश की भांति पंजाब में भी कांग्रेस संकट के मुहाने पर खड़ी और मौजूदा हालात ऐसे हैं कि पार्टी कैडर के भीतर धधक रहा ज्वालामुखी किसी भी समय फट सकता है। एक तरफ नवजोत सिंह सिद्धू की नाराजगी को दूसरी तरफ कांग्रेस विधायकों की किसी स्तर पर सुनवाई न होना, उनमें असंतोष बढ़ा रहा है। पंजाब सरकार के पहले अढ़ाई सालों में कांग्रेस नेता निगम, बोर्डों व चेयरमैनियों को तरसते रहे परंतु अब पिछले दिनों की गई नियुक्तियों ने पार्टी कैडर में असंतोष को खासा बढ़ा दिया है। ऐसे में बाजवा, दूलो, अंबिका सोनी व बिट्टू की अनुपस्थिति से प्रमाणित होता है कि पार्टी में गुटबाजी चरम पर है।

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भगवान के घर के अलावा बिन बुलाए कहीं नहीं जाता : प्रताप सिंह बाजवा
राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री के साथ सांसदों की बैठक में गैर-हाजिर रहने पर बताया कि उन्हें मीटिंग में शामिल होने की कोई सूचना नहीं दी गई जबकि सांसदों को इस सदंर्भ में पहले से ही सूचित कर दिया गया था। बाजवा ने कहा कि न तो उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय ने बैठक में शामिल होने को आमंत्रित किया और न ही प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी ने कोई जानकारी दी। पंजाब के मसलों को लेकर हमेशा से ही गंभीर रहे हैं और समय-समय पर इन मसलों को राज्यसभा में उठा रहे हैं। बाजवा ने कहा कि मुख्यमंत्री को राज्यसभा व लोकसभा सांसदों को एक साथ बिठा कर प्रदेश के उन गंभीर मुद्दों पर सामंजस्य बिठाना चाहिए था। 

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कै. अमरेन्द्र ही बता सकते हैं कि उन्हें मीटिंग में क्यों नहीं बुलाया : शमशेर दूलो
राज्यसभा सांसद शमशेर सिंह दूलो ने बताया कि उन्हें बैठक में शामिल होने के लिए कोई निमंत्रण नहीं मिला, जबकि लोकसभा के सभी सांसदों को पहले ही मैसेज लगा रखे थे। राज्यसभा के तीनों सांसदों को न बुलाना उनके समझ से परे है। अब मीटिंग में क्यों नहीं बुलाया गया इसका जवाब तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह खुद ही दे सकते हैं। दूलो ने कहा कि हमें कोई मीटिंग में बुलाए या न बुलाए परंतु हम पंजाब के हितों से संबंधित मसलों को राज्यसभा में लगातार टेकअप कर रहे हैं। अगर बाकी सांसदों को बुलावा दिया गया है तो मैं तो इंदिरा गांधी के समय से कांग्रेस का फाऊंडर मैंबर रहा हूं। मैंने लगातार पंजाब के हितों को लेकर संसद में पानी के मसले, प्रदेश में फैले ड्रग्स, किसानों की आत्महत्याएं, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप जैसे मुद्दे राज्यसभा में उठाए हैं और आगे भी अपने दायित्व को निभाता रहूंगा। 

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