Edited By Kamini,Updated: 28 Jun, 2024 06:09 PM
भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर के प्रदेश प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि एसकेएम (गैर राजनीतिक) ने बेंगलुरु के प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है।
जैतो (रघुनंदन पराशर) : भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर के प्रदेश प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि एसकेएम (गैर राजनीतिक) ने बेंगलुरु के प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक से किसान नेता कुरबारू शांताकुमार, पंजाब से जगजीत सिंह डल्लेवाल, सुखजीत सिंह, हरसुलिंदर सिंह, हरियाणा से अभिमन्यु कोहाड़, लखविंदर सिंह औलख, जफर खान, तमिलनाडु से पीआर पांडयान, केरला से के.वी. बीजू आदि किसान मौजूद रहे।
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि कम से कम समर्थन मूल्य गारंटी कानून की मांग को लेकर शंभू, खनौरी, डब्बेवाली और रतनपुरा बॉर्डर पर 13 फरवरी से किसान आंदोलन-2 चल रहा है। हजारों किसान 135 दिनों से ज्यादा समय से सड़कों पर मजबूरी से प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब तक केंद्र सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसान समुदाय के गुस्से के कारण भाजपा सरकार इस बार के चुनाव में 2019 के चुनाव की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में 71 से अधिक लोकसभा सीटें हार गई है और अगर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने अपनी किसान विरोधी नीतियों में बदलाव किया गया तो भाजपा को किसानों के और भी कड़े विरोध का सामना करना पड़ेगा।
हरियाणा, महाराष्ट्र समेत देशभर में आगामी विधानसभा चुनाव वाले सभी राज्यों में किसानों में बीजेपी के खिलाफ काफी गुस्सा है। कुरबारू शांताकुमार ने कहा कि 8 जुलाई को एसकेएम (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा बीजेपी के 240 सांसदों को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों के सांसदों और निर्दलीय सांसदों को किसानों की 12 मांगों को लेकर ज्ञापन देंगे। उन्होंने कहा कि जुलाई माह में दोनों मंचों की ओर से दिल्ली में किसान सम्मेलन किया जाएगा। आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसी कड़ी के तहत दक्षिण भारत के किसानों ने चल रहे किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए 24 जून को शिवमोगा में एक विशाल किसान सम्मेलन का आयोजन किया था।
लखविंदर सिंह औलख ने कहा कि एसकेएम (गैर राजनीतिक) सितंबर में हरियाणा में किसान रैली का आयोजन कर रहा है, जिसमें सभी राज्यों के 1 लाख से अधिक किसान भाग लेंगे जो किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी कानून बनाने के लिए मौजूदा एनडीए सरकार पर दबाव बनाया जा सके। किसान नेताओं ने आगे कहा कि फरवरी में केंद्र सरकार के साथ हुई 4 दौर की बातचीत में उन्होंने दक्षिण भारत के किसानों से जुड़े मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया था। जैसे मजबूत संरचित मसाला अयोग्य का गठन, नारियल और गन्ना किसानों के लिए डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सी-2+50% फार्मूले के अनुसार फसलों की कीमत आदि। किसान नेताओं ने आगे कहा कि एसकेएम (गैर-राजनीतिक) पूरे देश भर में किसान समुदाय के बीच एकता को मजबूत करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
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