Edited By Vatika,Updated: 09 Oct, 2019 02:33 PM
जोड़ा फाटक रेल हादसा 2018 के बाद इस बार दशहरा का रावण में इलाके में नहीं जला। इलाके में दशहरा के नाम से दहशत थी लेकिन वह रौनक नहीं थी जो हुआ करती थी।
अमृतसर: जोड़ा फाटक रेल हादसा 2018 के बाद इस बार दशहरा का रावण में इलाके में नहीं जला। इलाके में दशहरा के नाम से दहशत थी लेकिन वह रौनक नहीं थी जो हुआ करती थी। इलाके में इस बार न जलेबियों की रेहडिय़ां लगीं ना ही समोसे पकौड़े की दुकान।
दशहरे की रौनक 2018 रेल हादसे की भेंट ऐसी चढ़ी की इस बार जोड़ा फाटक में रावण जलाने का नाम ही किसी ने नहीं लिया। सियासत भी राजनीतिक करती रही। एक साल बाद भी रावण दहन का वह मंजर चश्मदीद के आंखों में गुजरता रहा, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी जहां रावण दहन हुआ था वहां पर बिछीं लाशें जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती रहीं।
वहीं 19 अक्तूबर, 2018 के दिन दशहरा की दर्दनाक यादों के बीच मंगलवार को जौड़़ा फाटक रेल क्रासिंग पर आधी रात करीब 2 बजे से ही पंजाब पुलिस व स्पैशल पुलिस दस्ते ने पहरा लगा दिया। रेल पटरी से 100 मीटर दूर भीड़ को रोक दिया गया। भारी सिक्योरिटी के बीच ट्रेनें गुजरती रहीं। जौड़ा फाटक रेलवे क्रासिंग इस दौरान राहगीरों के लिए बंद कर दी गई। ऐसे में जौड़ा फाटक आधी रात से दोपहर बाद तक बंद रहा। पुलिस द्वारा रेल क्रासिंग के दोनों तरफ घेरा डाल देने से रेल रोकने जैसी कोई घटना नहीं हुई।