अमृतसर हादसे का मंजर याद कर बेचैन हो जाता है करण, सरकार का चैक अभी तक नहीं हुआ कैश

Edited By swetha,Updated: 10 Nov, 2018 07:38 PM

amritsar accident

20 साल का करण अभी भी 19 अक्तूबर के रेल हादसे को भूल नहीं पा रहा है। वह मंजर जैसे ही दिमाग में घूमता है वह बेचैन हो जाता है, आंखें बरस पड़ती हैं। शरीर के कई जगहों से टूटी हड्डियों ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया है। करीब 4.5 लाख रुपए इलाज में खर्च हुए...

अमृतसर(स.ह., नवदीप): 20 साल का करण अभी भी 19 अक्तूबर के रेल हादसे को भूल नहीं पा रहा है। वह मंजर जैसे ही दिमाग में घूमता है वह बेचैन हो जाता है, आंखें बरस पड़ती हैं। शरीर के कई जगहों से टूटी हड्डियों ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया है। करीब 4.5 लाख रुपए इलाज में खर्च हुए जिसे पंजाब सरकार ने चुकाने का वायदा कर छुट्टी दिला दी। निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जो 50 हजार का चैक दिया था वह कई दिनों बाद भी कैश नहीं हो सका है। 

जौड़ा फाटक के समीप दशमेश नगर में रहने वाले करण व अर्जुन दोनों जुड़वा हैं। उस दिन अर्जुन करण के साथ दशहरा देखने नहीं गया था। करण का बड़ा भाई रोहित कहता है कि करण हादसे में इस तरह जख्मी मिला कि उसके ऊपर कई लाशें पड़ी थीं, लाशों के बीच उसे भी लिटा दिया गया। करण बेहोश था, कई घंटे बाद पता चला कि उसकी सांसें चल रही हैं। तभी करण को इलाज के लिए सिविल अस्पताल से एस्कार्ट रैफर कर दिया गया। 

करण के पिता हीरा लाल करीब 7 साल पहले दुनिया से चल बसे। मां सुरेष्टा रानी गृहिणी हैं। तीनों अलग-अलग प्राइवेट काम करते हैं। माध्यम वर्गीय परिवार है, तीनों बेटों की कमाई से घर चल रहा था कि रेल हादसे में करण के जख्मी होने के बाद उसके इलाज में जहां जमा पूंजी चली गई वहीं घर में कमाने वाले ने चारपाई पकड़ ली। करण बताता है कि ट्रेन बड़ी तेज आ रही थी, तभी वह अपने 2 दोस्तों को धकेल कर खुद संभल ही रहा था कि तभी दोस्त राहुल को ट्रेन घसीटते ले गई, मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया, मैं बेहोश होकर गिर पड़ा, जब आंख खुली को अस्पताल में था।

दोनों हाथों, पैरों के साथ पसली की हड्डी टूटी है। यह हादसा इतना भयानक था कि बताते हुए भी आंखों के आगे वही खूनी मंजर नाच उठता है।‘करण’ के साथ जुड़वा भाई ‘अर्जुन’ नहीं गया था दशहरा देखनेकरण और अर्जुन दोनों जुड़वा हैं। आमतौर पर दोनों एक साथ घूमने जाया करते थे लेकिन दशहरे के दिन करण अपने 4 दोस्तों के साथ जौड़ा फाटक गया था। अर्जुन कहता है कि रेलवे की क्लीन चिट गलत है और मेला आयोजक भी गलत हैं। जिन लोगों को दशहरे ने छीन लिया उनके परिवार दर्द से बिलख रहे हैं, उन पर मरहम लगाया जा रहा है और आरोपियों को बचाया जा रहा है।

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