अस्पताल में इलाज करवाने जा रहें मरीजों के लिए अहम खबर

Edited By Kalash,Updated: 18 May, 2022 12:01 PM

after 2 years doctors preparing to go on summer vacation

सरकारी मेडिकल कॉलेज के अधीन आते अस्पतालों में मरीजों की समस्या आने वाले दिनों में बढ़ सकती है। सरकारी मेडीकल कॉलेज के डाक्टर 2 साल के बाद

अमृतसर (दलजीत): सरकारी मेडिकल कॉलेज के अधीन आते अस्पतालों में मरीजों की समस्या आने वाले दिनों में बढ़ सकती है। सरकारी मेडीकल कॉलेज के डाक्टर 2 साल के बाद अब छुट्टियां मनाएंगे। कोरोना महामारी के कम हो रहे प्रभाव को देखते हुए डाक्टरों द्वारा अब समर वेकेशन धड़ाधड़ ली जा रही है। 26 विभागों के जहां प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर व एसोसिएट्स प्रोफेसरों ने छुट्टी के लिए आवेदन किया। वहीं 80 के करीब फैकल्टी डॉक्टर भी आवेदन अप्लाई कर चुके हैं। डाक्टरों की भारी कमी होने के कारण मरीजों की समस्या बढ़ सकती है।

जानकारी के अनुसार गर्मियों में समर वेकेशन का चलन दशकों से चला आ रहा है। अगले सप्ताह से दिल्ली स्थित एम्स जैसे देश के बड़े अस्पतालों सहित पंजाब के सभी सरकारी मेडीकल कालेजों में समर वेकेशन शुरू हो जाएगी। 50 प्रतिशत फैकल्टी-डॉक्टर समर वेकेशन यानी गर्मियों की छुट्टियों पर चले जाएंगे। समर वेकेशन फैकल्टी स्टाफ का अधिकार है, लेकिन इससे चिकित्सा व इससे जुड़ी शिक्षा प्रणाली प्रभावित होती है। सरकारी मेडीकल कालेज गुरु नानक देव अस्पताल अमृतसर में 26 विभाग है। हर विभाग में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर्स व एसोसिएट प्रोफेसर्स हैं।

उदाहरण के तौर पर अनाटमी, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, कम्युनिटी मेडिसिन, एनेस्थीसिया, गायनी, पीडियाट्रिक, साइकेट्री, रेडियोलॉजी आदि इन 26 विभागों में 30 प्रोफेसर व 230 असिस्टेंट व एसोसिएट्स प्रोफेसर हैं। 15 मई से शुरू होने वाली समर वोकेशन के लिए तकरीबन सभी प्रोफेसर्स ने आवेदन कर दिया है। कोरोना की वजह से 2020-21 में प्रोफेसरों यानी फैकल्टी को समर वोकेशन नहीं मिला था। 2 वर्षों में लगातार काम कर रहे इन फैकल्टी को अवकाश तो चाहिए ही। अब समर वेकेशन नजदीक हैं और फैकल्टी के अवकाश पर जाने की वजह से अस्पताल व मेडीकल कालेज खाली हो जाएगा, लेकिन मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं है। गुरु नानक देव अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 1500 मरीज ओ.पी.डी. में जांच करवाने आते हैं। इसके अलावा 1126 बेडे वाले इस अस्पताल में हमेशा 1000 मरीज उपचाराधीन रहते हैं। फैकल्टी के अवकाश पर जाने से इन मरीजों की तीमारदारी जूनियर, सीनियर रेजिडेंट पैरा मेडिकल स्टाफ के कंधों पर होगी। मुट्ठी भर यह डाक्टर इतने मरीजों की न तो ओ.पी.डी में जांच कर पाते हैं और न ही अस्पताल में उपचाराधीन मरीजों की तीमारदारी कर सकते हैं। ऐसे में हर बार मरीज ही पिसता है।

उधर, दूसरी तरफ पता चला है की अवकाश के लिए आवेदन देने वाले फैकल्टी ने भी 80 के करीब अप्लाई किया हुआ है। सामान्य दिनों में सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों की संख्या 1500 औसतन के करीब होती है जबकि भर्ती मरीजों की संख्या 1000 के करीब होती है। डाक्टर के छुट्टी पर जाने के बाद स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, क्योंकि जिन मरीजों ने बड़े डाक्टरों को दिखाना है, वह समर वेकेशन के कारण छुट्टी पर होंगे। अधिकतर लोगों में धरना है की वह बड़े डाक्टर को दिखाकर अपनी तसल्ली प्रकट करते हैं। इस दौरान मरीजों की समस्या बढ़ जाएगी, क्योंकि बड़े साहब ठंडी हवा ले रहे होंगे व मरीज दर्द से पीड़ा में जकड़े होंगे।

री-इंप्लाइंड प्रोफेसर भी उठाते हैं समर वेकेशन का लुत्फ
फैकल्टी को अर्न लीव नहीं मिलती। सरकार उन्हें समर वोकेशन के नाम पर 39 दिन का अवकाश देती है। कुछ वर्ष पूर्व तक सीनियर रैजीडेंट डाक्टरों को समर वेकेशन मिलती थी, पर अब सरकार ने इसे बंद कर दिया है। सरकार का यह निर्णय भी मरीजों की पीड़ा बढ़ाने के लिए काफी है कि री-इंप्लाइड किए गए। प्रोफेसर को भी समर वेकेशन का लाभ दिया जाता है। सेवामुक्त हो चुके प्रोफैसरों को सरकार री इंप्लाइमैंट देती है और पैंशन के साथ-साथ भारी भरकम वेतन भी इसके बाद इन्हें समर वोकेशन मिलता है, मैडीकल कालेज में 8 री-इंप्लाइड प्रोफैसर हैं।

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