Edited By swetha,Updated: 21 Jul, 2019 11:54 AM
पंजाब में सरकार द्वारा ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिंह सिद्धू को एस.टी.एफ. का प्रमुख नियुक्त करने के बाद जहां यह संदेश दिया गया है कि सरकार नशों के खिलाफ अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने जा रही है।
जालन्धर(धवन): पंजाब में सरकार द्वारा ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिंह सिद्धू को एस.टी.एफ. का प्रमुख नियुक्त करने के बाद जहां यह संदेश दिया गया है कि सरकार नशों के खिलाफ अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने जा रही है। वहीं दूसरी तरफ सरकार ने मौजूदा डी.जी.पी. दिनकर गुप्ता तथा ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिद्धू के मध्य बेहतर तालमेल बैठाने के लिए फैसला किया है कि सिद्धू सीधे अब डी.जी.पी. गुप्ता को रिपोर्ट करेंगे।
सरकारी हलकों से पता चला है कि पहले हरप्रीत सिद्धू तथा पूर्व डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के मध्य बेहतर तालमेल नहीं था।
अब सरकार ने पंजाब पुलिस तथा एस.टी.एफ. के बीच आपसी तालमेल बढ़ाने की तरफ दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि नशों के विरुद्ध प्रभावी ढंग से जंग को आगे बढ़ाया जा सके। एस.टी.एफ. को नशे के खिलाफ तब तक प्रभावी सफलता नहीं मिल सकती है जब तक पंजाब पुलिस के अधिकारियों का पूरा सहयोग नहीं मिलता है। सरकारी हलकों ने बताया कि मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह ने बी.के. भवरा को इंटैलीजैंस चीफ तथा हरप्रीत सिद्ध को एस.टी.एफ. प्रमुख नियुक्त कर पंजाब पुलिस के आला तंत्र में सत्ता के समीकरण को भी संतुलित करने की कोशिश की है। पंजाब पुलिस में पिछले काफी समय से आपसी खींचतान चल रही थी। इस पर विराम लगाने के उद्देश्य से ही मुख्यमंत्री ने सख्त कदम उठाते हुए पुलिस अधिकारियों के बीच में संतुलन कायम किया है।
मुख्यमंत्री ने ए.डी.जी.पी. हरप्रीत सिद्धू को नशों के खिलाफ कमान इसलिए सौंपी क्योंकि उनके पास ऐसी रिपोर्ट पहुंच रही थी कि राज्य के कुछ हिस्सों में चिट्टे की बिक्री फिर से चलन में आ गई है। सिद्धू को एस.टी.एफ. की कमान सौंप कर सरकार ने एक बार फिर से यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह नशों के मामले में एक कड़ा स्टैंड लेने जा रही है तथा साथ ही पुलिस में अनुशासनहीनता सहन नहीं करेगी। वहीं मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार ने भी सिद्धू की नियुक्ति में अहम भूमिका निभाई तथा पूरी तरह से सिद्धू की वापसी के फैसले का समर्थन किया।