14 फरवरी का सचः इस दिन भगत सिंह सहित इन जांबाज बहादुरों को सुनाई थी फांसी की सजा

Edited By Anjna,Updated: 14 Feb, 2019 12:02 PM

truth of valentines day

कहते हैं प्यार को खुदा से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है। जब प्यार किसी की जिंदगी में आता है तो उसकी जिंदगी के मायने ही बदल जाते हैं अगर किसी को किसी से प्यार हो जाए तो उसे इजहार-ए-इश्क अवश्य करना चाहिए, वहीं 14 फरवरी को मनाए जाने वाले वैलेंटाइन्ज-डे को...

संगरूर(विवेक सिंधवानी): कहते हैं प्यार को खुदा से भी ऊपर का दर्जा प्राप्त है। जब प्यार किसी की जिंदगी में आता है तो उसकी जिंदगी के मायने ही बदल जाते हैं अगर किसी को किसी से प्यार हो जाए तो उसे इजहार-ए-इश्क अवश्य करना चाहिए, वहीं 14 फरवरी को मनाए जाने वाले वैलेंटाइन्ज-डे को लेकर युवाओं में काफी उत्साह बना हुआ है। हर कोई वैलेंटाइन्ज-डे का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। युवाओं ने इस त्यौहार को मनाने के लिए फरवरी माह की शुरूआत से ही तैयारियां करनी शुरू कर दी थी लेकिन पश्चिमी सभ्यता का प्रतीक वैलेंटाइन्ज-डे को मनाने में व्यस्त युवा दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ सभ्यता को भूलते जा रहे हैं।
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14 फरवरी को भगत सिंह,सुखदेव तथा राजगुरु को सुनाई थी फांसी की सजा
इतिहासकारों की मानें तो 14 फरवरी के दिन ब्रिटिश सरकार ने देश को विदेशी जंजीरों से मुक्त करवाने का प्रयास कर रहे 3 जांबाज बहादुरों भगत सिंह,सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। 

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बच्चे, बूढ़े और युवा शहीदों की शहादत को याद करने की बजाय वैलेंटाइन्ज-डे मनाने में व्यस्त
यह कैसी विडम्बना है कि बच्चे, बूढ़े और युवा शहीदों की शहादत को याद करने की बजाय वैलेंटाइन्ज-डे मनाने में व्यस्त हैं। युवा वैलेंटाइन्ज-डे पर हजारों रुपए खर्च कर अपने प्रियतम को तो महंगे गिफ्ट प्रदान करेंगे लेकिन भगत सिंह,राजगुरु तथा सुखदेव सिंह जैसे शहीदों व देशभक्तों की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करने के लिए उनके पास फूटी कौड़ी तक नही है। प्यार की आड़ में शहीदों की शहादत को भूलना भारतीय संस्कृति के विपरीत है।

भारत की संस्कृति का हो रहा है अपमान
नौजवान चेतन बस्सी का कहना है कि आज के दौर में लोग पश्चिमी संस्कृति के रंग में रंगते जा रहे हैं जो स्वदेशी सभ्यता का अपमान है। प्यार की आड़ में वैलेंटाइन्ज-डे मनाना और शहीदों को भूलना उनकी शहादत का अपमान है। जब देश में वैलेंटाइन्ज-डे नही मनाया जाता था क्या तब भारतीय एक दूसरे से प्यार नही करते थे।  


शहीदों की शहादत को समझना जरूरी
राजेश गांधी का कहना है कि युवा प्यार की परिभाषा के साथ शहीदों की शहादत को समझना भी जरूरी है। शहीदों के बलिदान के कारण ही आज देशवासी आजादी की सांस ले रहे हैं। युवा पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगकर भारतीय संस्कृति व सभ्यता को भूलते जा रहे हैं लेकिन युवाओं को जागने की जरूरत है।

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