Edited By Kalash,Updated: 27 Aug, 2025 02:31 PM
पंजाब सरकार द्वारा लोगों को 'ईजी रजिस्ट्री सिस्टम' देने के नाम पर शुरू किया गया ईजी रजिस्ट्रेशन सिस्टम अब लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है
जालंधर (चोपड़ा): पंजाब सरकार द्वारा लोगों को 'ईजी रजिस्ट्री सिस्टम' देने के नाम पर शुरू किया गया ईजी रजिस्ट्रेशन सिस्टम अब लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है, जिसकी वजह सरकार ने राज्य भर के सब रजिस्ट्रार/तहसीलदारों के लिए हाल ही में 11 से बढ़ाकर 33 नए आब्जेक्शन प्वाइंट्स जोड़ कुल 44 बना दिए हैं। अब हर सब-रजिस्ट्रार और तहसीलदार को अपनी आईडी में आने वाले दस्तावेजों की इन 44 बिंदुओं के आधार पर गहन स्क्रूटनी करनी होगी। सब रजिस्ट्रार-2 कार्यालय में तैनात नायब तहसीलदार जगतार सिंह और रवणीत कौर व सब रजिस्ट्रार-1 कार्यालय में तैनात नायब तहसीलदार दमनवीर सिंह और गुरमन गोल्ड़ी ने बताया कि उन्होंने सरकार की हिदायतों के मुताबिक दस्तावेजों की चैकिंग व पुष्टि का काम शुरू कर दिया हुआ है।
यानी अब एक छोटी-सी रजिस्ट्री करवाने निकला आम आदमी पहले से कहीं ज़्यादा पेंचों में उलझ सकता है। ईजी रजिस्ट्रेशन नियम के अनुसार सब-रजिस्ट्रार/तहसीलदार को किसी भी डॉक्यूमेंट पर 48 घंटे के भीतर या तो अप्रूवल देना होगा या आब्जेक्शन लगाना होगा। पहले जहां 11 बिंदुओं पर ही डॉक्यूमेंट्स चैक होते थे, अब उन्हें 44 बिंदुओं की लंबी लिस्ट के हिसाब से जांचना पड़ेगा। इससे अधिकारियों पर काम का बोझ भी बढ़ेगा और आवेदकों के लिए नई-नई परेशानियों के दरवाजे खुल गए हैं।
सरकार ने चैकलिस्ट में कई नए तकनीकी और कानूनी प्वाइंट्स शामिल किए हैं। इनमें से कुछ तो इतने बारीक हैं कि आम आदमी तो छोड़िए, अनुभवी अर्जीनवीस भी माथापच्ची में उलझ जाएंगे और रजिस्ट्री करवाने के जाल में फंसे रहेंगे। लोग पहले ही सरकार पर बार-बार सिस्टम में बदलाव कर आमजन को परेशान करने का आरोप लगा रहे है। अब 44 प्वाइंट्स वाली चैकलिस्ट के बाद उनके असंतोष फैलना संभाविक है। लोगों का कहना है कि अगर यह नियम लागू रहे तो लोग महीनों तक रजिस्ट्री के लिए चक्कर काटेंगे।
कालोनाइजर गगन कपूर का मानना है कि पंजाब सरकार ने ईजी रजिस्ट्रेशन के जरिए लोगों को ऑनलाइन और पारदर्शी सुविधा देने का दावा किया था। लेकिन अब हर रजिस्ट्री के लिए 44 चैकलिस्ट प्वाइंट्स की बाध्यता ने इसे उल्टा और जटिल बना दिया है। उनका कहना है कि सरकार का यह कदम सिस्टम को आसान करने के बजाय और उलझाने वाला है।
सरकार द्वारा जारी कुछ अहम प्वाइंट्स इस प्रकार हैं
- अपलोड की गई पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द हो चुकी है।
- लाल लकीर से संबंधित संपत्ति की पुरानी रजिस्ट्री संलग्न नहीं है।
- संपत्ति का ट्रांसफर पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 19 ए (1) का उल्लंघन करता है।
- एन.आर.आई./विदेशी नागरिक द्वारा कृषि भूमि खरीदी जा रही है तो क्या आर.बी.आई. की अनुमति ली गई है।
- ई-एन.ओ.सी. पढ़ने योग्य नहीं है।
- गवाह नियमावली के अनुसार सही है या गलत।
- खसरा गिरदावरी की कॉपी 15 दिन से ज़्यादा पुरानी।
- महिला खरीदार महिला-छूट का दुरुपयोग तो नहीं कर रही?
- क्या बेची जा रही संपत्ति पर किसी बैंक का कर्ज तो नहीं?
- क्या धारा 19ए(1) / किसी अन्य अधिनियम या आदेश के तहत बिक्री पर प्रतिबंध।
- माननीय न्यायालय/कलेक्टर/संबंधित प्राधिकारी द्वारा संपत्ति कुर्क/रोक।
- रजिस्ट्री में संपत्ति विवरण अधूरा/त्रुटिपूर्ण।
- आवश्यक एन.ओ.सी., कुर्सीनामा, गिरदावरी, खसरा/फर्द संलग्न नहीं या पठनीय नहीं।
- मुख्तारनामा संलग्न नहीं, फर्जी/रद्द/विदेश में सत्यापित पर नक्काशी नहीं।
- स्टाम्प शुल्क/पंजीकरण शुल्क का सही मूल्यांकन नहीं।
- जमा राशि गलत/भूमि से संबंधित नहीं/संलग्न नहीं।
- सिस्टम/ऑफिस में अपलोड दस्तावेज़ पंजीकृत या सत्यापित नहीं।
- रजिस्ट्री किसी अन्य कार्यालय में पंजीकृत मुख्तारनामा से जुड़ी, पर सत्यापन नहीं।
- महिला छूट का दावा नियम अनुसार नहीं।
यानी अब छोटी-सी गलती भी रजिस्ट्री को रोक सकती है।
अर्जीनवीसों का दर्द : काम आसान नहीं और पेचीदा हो गया
इस संबंध में एडवोकेट सन्नी कपूर का कहना है कि पहले भी सिस्टम में रोजाना बदलाव से लोग परेशान रहते थे। अब 44 प्वाइंट्स की चैकलिस्ट ने काम को और मुश्किल कर दिया है। हर फाइल पर इतना समय लगेगा कि समय पर अप्रूवल मिलना मुश्किल हो जाएगा।" कपिल कुमार अर्जीनवीस ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ईजी रजिस्ट्रेशन का नाम तो रखा आसान, लेकिन अब यह ‘ईजी टेंशन’ सिस्टम बन चुका है।
जनता की परेशानी: “सिर्फ दस्तावेज ही दस्तावेज”
जिन लोगों को अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री करनी होती है, उन्हें अब अधिक दस्तावेज़ जुटाने और हर बिंदु पर सही ठहराने की जद्दोजहद करनी होगी। उदाहरण के तौर पर यदि किसी ने स्टाम्प ड्यूटी में छूट का दावा किया, तो अब हर प्रमाण पत्र संलग्न करना अनिवार्य होगा। गवाह तक पर सवाल उठ सकते हैं कि अगर वह सही गांव का नहीं है या नंबरदार का सत्यापन नहीं है। यानी आम नागरिक का बोझ बढ़ गया है और कई बार तो काम लटकने से दोबारा फीस और दस्तावेज लाने पड़ेंगे।
भ्रष्टाचार बढ़ने की संभावना
रैवेन्यू विभाग से संबंधित विशेषज्ञों का मानना है कि इतने सारे प्वाइंट्स जुड़ने से अधिकारियों को और अधिक शक्ति मिल गई है। अब वे मामूली कमी बताकर फाइल रोक सकते हैं और अप्रूवल के लिए दबाव बना सकते हैं। इससे भ्रष्टाचार बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
सरकार का तर्क: “फर्जीवाड़ा रोकना जरूरी”
वहीं रेवेन्यू विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन 44 प्वाइंट्स का मकसद फाइलों की बारीकी से जांच करना है ताकि फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल न हो, प्रतिबंधित संपत्तियों की बिक्री रोकी जा सके, स्टाम्प ड्यूटी की चोरी पर लगाम लगाई जा सके। अधिकारियों के मुताबिक यह कदम जनहित में है और लंबे समय में लोगों को फायदा देगा।
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