Edited By Subhash Kapoor,Updated: 08 Sep, 2024 08:49 PM
आज गांव बूथगढ़ में माहौल उस समय बेहद गमगीन हो गया और हर आंख नम हो गई, जब प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री अध्यापक कुलदीप भुंबला (नौजवान) पिता की अर्थी को दो मासूम बेटियों पलक और शगुन ने अपना कंधा दिया। इस दृश्य को देखकर जहां कुलदीप के सगे संबंधियों,...
बलाचौर (ब्रह्मपुरी) : आज गांव बूथगढ़ में माहौल उस समय बेहद गमगीन हो गया और हर आंख नम हो गई, जब प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री अध्यापक कुलदीप भुंबला (नौजवान) पिता की अर्थी को दो मासूम बेटियों पलक और शगुन ने अपना कंधा दिया। इस दृश्य को देखकर जहां कुलदीप के सगे संबंधियों, मित्रों को अत्यंत दुख था पर पिता की अर्थी अपने कंधे पर उठने वाली मासूम बेटियों पर मान भी लोग कर रहे थे।
गौरतलब है कि मास्टर कुलदीप शिक्षा और समाज के हर क्षेत्र में बेहद लोकप्रिय थे, लेकिन 6 सितंबर की रात को 45 साल की उम्र में उनका असमय निधन हो गया। जिससे अपनी वृद्ध माता का सहारा तथा पत्नी नीलम के सिर का साया तथा तीन तीन मासूम बेटियों का पिता सदा के लिए उनसे बिछड़ गया। यह सब देखने और सुनने वाले सुन्न हो गए कि कौन इस परिवार की पहाड़ जैसी मौत के भार को बंटाएगा। मासूम बेटियों को कौन हौंसला देगा पर आज जैसे कुलदीप ने अपनी बेटियों का पालन पोषण पुत्रों से अधिक किया था। आज उन बेटियों पलक, शगुन और अनवी ने सुनने वालों तथा समाज को यह हौंसले की मिसाल दी कि मुसीबत में परिवार को कैसे संभालना है।
खास बात यह रही कि सभी अंतिम रस्में अपने प्यारे पिता की करते समय अंतिम रस्में करते समय दुख से सुन्न इन बेटियों की आंखों से एक भी आंसू नहीं गिरा, जिससे उन सभी को यह दर्द सहन करने की शक्ति मिली। मास्टर कुलदीप नमित परिवार के साथ शोक जताने वालों का इक्टठ का दिन 11 और 12 सितंबर को रखा गया है।