पंजाब का आर्थिक संकट गहराया, हर वर्ग डिफाल्टर हुआ, सिर्फ बैंक फायदे में

Edited By swetha,Updated: 14 Feb, 2020 08:38 AM

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लघु उद्योगों पर बैंकों का 55895 करोड़ कर्ज

जालंधर(नरेन्द्र मोहन): पंजाब का बजट पेश होने से पहले की राज्य के बैंकों ने प्रदेश में चल रहे आर्थिक संकट की तस्वीर पेश कर दी है। किसान, उद्योगपति, मजदूर, छात्र समेत सभी वर्ग संकट में हैं। कर्ज अदा न कर पाने से डिफाल्टरों की संख्या बढ़ रही है। ऐसी स्थिति तब है जब पंजाब सरकार के खजाने का बड़ा हिस्सा उपरोक्त वर्ग पर आंखें मूंद कर खर्च किया जा रहा है। पंजाब की ऐसी स्थिति देखते हुए ही बैंकों ने भी कर्ज देने से हाथ खीच लिए हैं, जबकि बैंकों की वसूली और जमा-राशियों में वृद्धि हो रही है। 

हालांकि पंजाब सरकार ने बैंकों द्वारा विभिन्न वर्गों को उनके विकास के लिए कर्ज देने पर हाथ खींचने पर रोष प्रकट किया था, परन्तु अभी भी इन वर्गों की स्थिति में कोई खास फर्क नजर नहीं आया है। दिसम्बर, 2019 तक किसानों पर कर्ज बढ़ कर 71061 करोड़ रुपए हो चुका है। ठीक एक वर्ष पूर्व दिसम्बर, 2018 में यह कर्ज 69,012 करोड़ रुपए था। वर्ष 2017 में पंजाब सरकार ने किसानों के लिए खेती कर्ज माफी योजना भी शुरू की थी। सरकार का यह दावा था कि कर्ज माफी योजना से किसानों की स्थिति सुधरेगी, परन्तु हालात विपरीत ही हुए। 

बैंकों द्वारा अपने कर्ज के उपलब्ध करवाए डाटा अनुसार दिसम्बर 2019 तक 1,64,265 किसान डिफाल्टर घोषित किए गए हैं और इन किसानों पर 9074 करोड़ का कर्ज है, जिसे ये किसान दे पाने में अक्षम हैं। दिसम्बर, 2018 में ऐसे किसानों की संख्या 1,47,907 थी और बैंकों का कर्ज 7949 करोड़ था। जून 2017 में डिफाल्टर राशि 4236 करोड़ रुपए थी।

लघु उद्योगों पर बैंकों का 55895 करोड़ कर्ज 
राज्य के मध्यम और लघु उद्योगों पर भी आर्थिक मार लगातार जारी है। हालांकि इस वर्ग की स्थिति किसानों जैसी तो नहीं है, परन्तु इनकी स्थिति भी संवेदनशील बनी हुई है। 8 लाख से अधिक मध्यम और लघु उद्योगों पर बैंकों का 55895 करोड़ रुपए का कर्ज है। इनमें से 5888 करोड़ रुपए की ऐसी राशि है जो डूबने के कगार पर है। उद्योगपतियों पर सरकार द्वारा चलाई वन टाइम सैटलमैंट व अन्य राहत योजनाओं के बाद बैंकों के डूबने वाली राशि कम हुई है। वर्ष 2017 में यह राशि 5537 करोड़ रुपए थी, वर्ष 2018 में यह बढ़ कर 6791 करोड़ रूपए हो गई थी। छात्रों को दिए कर्ज में भी डिफाल्टरों की संख्या बढ़ी है। अल्पसंख्यकों, दलितों को दिए जाने वाले कर्ज में भी बैंकों ने कमी की है, क्योंकि उनमें भी डिफाल्टरों की संख्या बढ़ती जा रही है।

 वर्ष 2017 (दिसम्बर) तक जमा राशि 3,51,972 करोड़,   उधार-2,42,044, बचत-1,09,928 (करोड़ों में)
 वर्ष 2018 (दिसम्बर) तक जमा राशि 3,66,929 करोड़, उधार-2,44,292, बचत-1,12,637 (करोड़ों में)
 वर्ष 2019 (दिसम्बर) तक जमा राशि 406948 करोड़, उधार-255205, बचत-151743 (करोड़ों में)

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