पंजाब में पैदा हो सकता है गंभीर संकट! आम जनता पर पड़ेगा सीधा असर

Edited By Kalash,Updated: 01 Jul, 2025 06:05 PM

serious crisis arise in punjab

अपनी पतली आर्थिक हालत को लेकर रोष प्रदर्शन कर चुके हैं।

गुरदासपुर (हरमन): पूरे पंजाब में भट्ठा मालिकों द्वारा 7 महीने भट्ठे बंद करने की घोषणा ने भट्ठा उद्योग से जुड़े कई मुद्दों, संकटों और परेशानियों को उजागर कर दिया है। 7 महीने भट्ठे बंद रखने की घोषणा ज्यादातर मालवा से संबंधित भट्ठा मालिकों द्वारा की गई है, जबकि जिला गुरदासपुर और इस क्षेत्र की पूरी बेल्ट में काम करने वाले भट्ठा मालिकों ने अभी तक इस संबंध में ईंटों के भट्ठे बंद रखने का कोई भी ऐलान, समर्थन या विरोध नहीं किया है। 

यदि पिछले वर्षों की बात की जाए, तो गुरदासपुर जिले में भट्ठे सिर्फ 4 महीने ही बंद रहते थे क्योंकि भट्ठा मालिकों का दावा है कि मालवा और माझा के अंदर बारिश की मात्रा और अन्य परिस्थितियों में बहुत फर्क है, जिसके कारण 7 महीने भट्ठे बंद रखने की सूरत में उनका बहुत नुकसान होता है। गुरदासपुर की इस बेल्ट में काम करने वाले भट्ठा मालिक पहले ही कई तरह की आर्थिक चुनौतियों और संकटों में घिरे होने का दावा कर रहे हैं, जिनका कहना है कि ईंटें तैयार करने के रास्ते में परेशानियों के रोड़े हैं। दूसरी ओर, भट्ठा मजदूर भी कई बार अपनी पतली आर्थिक हालत को लेकर रोष प्रदर्शन कर चुके हैं।

गुरदासपुर जिले की क्या है स्थिति?

गुरदासपुर भट्ठा मालिक एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष राजीव बजाज और वरिष्ठ पदाधिकारी कश्मीर सिंह गुराया ने बताया कि गुरदासपुर जिले के अंदर लगभग 1663 भट्ठे हैं, जिनमें से 37 भट्ठे पहले ही बंद हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि 126 भट्ठों पर मालिकों द्वारा टैक्स भरा जाता रहा था। लेकिन पिछले सीजन में कई तरह की मुश्किलों के कारण 33 प्रतिशत भट्ठा मालिकों ने अपने भट्ठे नहीं चलाए। उन्होंने कहा कि हालात बेहद बदतर बनते जा रहे हैं और यह उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी भट्ठा मालिक इस कारोबार से तौबा कर जाएंगे।

मालवा और माझा में क्या है फर्क?

राजीव बजाज ने बताया कि मालवा में बारिश कम होने के कारण उस क्षेत्र में भट्ठा मालिक साल में सिर्फ एक बार भट्ठे चलाते हैं। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र के भट्ठे बड़े पैमाने पर ईंटें तैयार करते हैं, जिनके द्वारा जनवरी महीने में भट्ठों में आग लगाई जाती है और जून-जुलाई में सारा काम समेट लिया जाता है। जबकि माझा क्षेत्र में बारिश ज्यादा होने के कारण इस क्षेत्र में भट्ठा मालिक पहले मार्च से जून तक भट्ठे चलाते हैं, जिसके बाद चार महीने भट्ठे बंद रखकर फिर अक्तूबर से दिसंबर तक भी ईंटें तैयार की जाती हैं।

इस क्षेत्र में सिर्फ 4 महीने ही भट्ठे बंद रखे जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बेहद घाटा पड़ता है। हालांकि, मालवा क्षेत्र के भट्ठा मालिक सिर्फ एक बार ही आग लगाकर इकट्ठा माल तैयार कर लेते हैं, जिसे वे जुलाई के बाद पूरे पंजाब में बेचते हैं। उन्होंने कहा कि वे यूनियन द्वारा 7 महीने भट्ठे बंद रखने के फैसले का कोई विरोध नहीं कर रहे हैं और गुरदासपुर जिले के अंदर मीटिंग करके फैसला लेंगे।

क्या हैं बड़ी चुनौतियां?

राजीव बजाज ने बताया कि माझा क्षेत्र में भट्ठा मालिक बहुत बड़ी समस्याओं में घिरे हुए हैं। बारिश आने के कारण बहुत नुकसान होता है। भट्ठा चलाने के कारण ईंधन भी ज्यादा लगता है और लेबर भी ज्यादा पड़ती है। उन्होंने कहा कि इस जिले से एक्सप्रैस हाईवे के शुरू हुए निर्माण के कारण मिट्टी की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है, जिसके कारण अब मिट्टी 3 गुना ज्यादा रेट पर मिल रही है।

उन्होंने कहा कि करीब 2-3 साल पहले एक एकड़ में से एक फुट गहरी मिट्टी खोदने का रेट एक लाख रुपये था। लेकिन अब यही रेट 3 लाख रुपये तक हो गया है। सरकार की खनन नीति भी परेशानी का कारण बनती है। कोयले का रेट भी पिछले सालों के मुकाबले काफी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि बेशक अब कोयले के रेट में कुछ गिरावट आई है। लेकिन यदि करीब चार साल पहले से तुलना की जाए तो रेट बहुत बढ़ गए हैं।

बड़ी समस्या बनी लेबर की कमी

लोकल लेबर पहले ही अरब देशों सहित अन्य जगहों पर जा चुकी है, और छत्तीसगढ़, यूपी बिलासपुर जैसे राज्यों से आने वाली लेबर भी अब भट्ठा मालिकों को बहुत परेशान कर रही है। हालात यह बने हुए हैं कि एडवांस पेमैंट लेने के बावजूद लेबर पंजाब में नहीं आ रही, और जो भट्ठा मजदूर पंजाब में आ रहे हैं, उनके द्वारा भी मालवा क्षेत्र को प्राथमिकता दी जा रही है क्योंकि वहां भट्ठा मालिकों का काम अब ज्यादा है। इस कारण लेबर की कमी भी भट्ठा मालिकों के लिए काफी बड़ी सिरदर्द बनी हुई है, जिसका ईंटों के उत्पादन पर असर पड़ रहा है।

ईंटों के रेट को लेकर लोग भी नाखुश?

एक ओर भट्ठा मालिक और भट्ठों पर काम करने वाले मजदूर भी अपनी परेशानियों में घिरे हुए हैं। लेकिन दूसरी ओर 1000 ईंटों का रेट 6800 से 7000 रुपये होने के कारण आम लोग भी काफी शिकायत करते हैं कि ईंटों के रेट काफी बढ़ चुके हैं। अब जब पंजाब के भट्ठा मालिकों ने सात महीने भट्ठे बंद करने का ऐलान किया है, तो इसका असर भी ईंटों के रेटों पर पड़ेगा क्योंकि जुलाई की शुरुआत में ही माझा सहित पंजाब के अन्य क्षेत्रों में चल रहे भट्ठे बंद हो जाएंगे, जिसके बाद ईंटों के रेट में 200 से 500 रुपए तक का इजाफा होगा।

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