पंजाब के 7 गांवों का टूटा संपर्क, पढ़ें लोगों की दर्दनाक हकीकत

Edited By Kalash,Updated: 29 Jun, 2025 06:24 PM

7 villages of punjab lost connectivity

7 गांवों का भारत से सम्पर्क टूट गया है तथा इन गांवों तक पहुंचने का एकमात्र सहारा नाव ही है।

गुरदासपुर (विनोद): गुरदासपुर जिले के सीमावर्ती कस्बे दीनानगर के अंतर्गत मकौडा पत्तन में रावी नदी पर बने अस्थायी पुल के हटाने से रावी नदी के उस पार रहने वाले 7 गांवों का भारत से सम्पर्क टूट गया है तथा इन गांवों तक पहुंचने का एकमात्र सहारा नाव ही है। आजादी के बाद रावी नदी के उस पार 14 गांव बसे हुए थे, लेकिन आजादी के 76 साल बीतने के बावजूद किसी भी सरकार ने इन गांवों की सुध नहीं ली, जिसके कारण कई लोग इन गांवों को छोड़कर चले गए हैं। वर्तमान में रावी नदी के पार 14 में से केवल 7 गांव ही मौजूद हैं। रावी नदी पर स्थायी पुल न होने के कारण इन लोगों के पास कोई सुख सुविधा नहीं है, जिसके कारण आज भी देश की आजादी उनके लिए कोई मायने नहीं रखती।

रावी नदी पार रहने वाले ग्रामीण रमन कुमार, सतीश कुमार, हरदीप सिंह ने बताया कि भारत-पाक सीमा से सटे करीब एक दर्जन गांवों के लोग यूं तो भारत का हिस्सा हैं, लेकिन बरसात के दिनों में इन गांवों के लोग खुद को असहाय महसूस करते हैं। आजादी के इतने सालों बाद भी पुल पार रहने वाले 7 गांवों के लोग खुद को गुलाम समझते हैं, क्योंकि जब भी यह अस्थाई पुल उठाया जाता है तो उनका देश से संपर्क टूट जाता है।

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लोगों का कहना है कि आजकल हमें यह भी नहीं पता कि हम किस देश के नागरिक हैं, क्योंकि यह इलाका दो नदियों के पार और एल.ओ.सी. के साथ है। बरसात के दिनों में नहर विभाग द्वारा बनाया गया प्लाटून पुल उठा दिया जाता है और लोगों को आवागमन के लिए एक ही नाव का सहारा लेना पड़ता है। नदी में पानी का स्तर अधिक होने के कारण कई बार यह दुर्गम हो जाता है और इसके पार के 7 गांव टापू बन जाते हैं और फिर लोगों के आवागमन के लिए कोई रास्ता नहीं बचता है। रावी नदी के उस पार बसे 7 गांवों भरयाल, तुरबानी, रायपुर चिब, मम्मी चक्रंग, काजले, झुंबर, लसियां ​​आदि के लोग सरकार से हर साल एक स्थायी पुल की उम्मीद करते हैं, लेकिन कुछ नहीं मिलता।

उल्लेखनीय है कि मकौड़ा पत्तन, पर दो नदियां मिलती हैं। एक जम्मू-कश्मीर से आने वाली बरसाती नदी उज्ज और दूसरी शिवालिक पहाड़ियों से आने वाली सदा बहार रावी नदी जो माधोपुर से होकर गुजरती है। इस स्थान पर यह उज्ज नदी से मिलकर झील का रूप ले लेती है। इस स्थान पर विभाग हर साल अक्तूबर-नवंबर माह में एक अस्थायी प्लाटून पुल लगाता है और बरसात आने पर हटा देता है, जो नदी पार करने का एकमात्र साधन है, जिससे उस पार रहने वाले किसान अपने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में खेती के लिए जरूरी उपकरण लेकर आते-जाते हैं। इस बार विभाग ने 15 दिन पहले प्लाटून पुल हटा दिया है। जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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