विजिलेंस की राडार पर पंजाब का यह सिविल अस्पताल, सामने आया बड़ा घोटाला

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 27 Jun, 2025 06:59 PM

this civil hospital of punjab is on the radar of vigilance

बठिंडा के सिविल अस्पताल में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां कंडम और लंबे समय से बंद पड़ी गाड़ियों व एंबुलेंसों में डीजल-पेट्रोल डलवाकर करीब 30 लाख रुपए का घोटाला किए जाने का आरोप है।

बठिंडा (विजय वर्मा) :  बठिंडा के सिविल अस्पताल में भ्रष्टाचार का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां कंडम और लंबे समय से बंद पड़ी गाड़ियों व एंबुलेंसों में डीजल-पेट्रोल डलवाकर करीब 30 लाख रुपए का घोटाला किए जाने का आरोप है। अब यह मामला राज्य विजिलेंस ब्यूरो के राडार पर आ गया है और जांच तेज़ कर दी गई है। 

सूत्रों के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा अस्पताल में तैनात रहे एक वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी की शह पर किया गया, जिन्होंने बंद पड़ी सरकारी गाड़ियों और एंबुलेंस में ईंधन भरवाने के फर्जी बिल पास कर सरकारी खजाने को भारी चूना लगाया। मामले में दस्तावेजी हेराफेरी और रिकॉर्ड में गड़बड़ी की पुष्टि के बाद विजिलेंस विभाग ने अस्पताल प्रबंधन से विस्तृत रिकॉर्ड तलब किया है। विजिलेंस ने मांगा एक साल का रिकॉर्ड विजिलेंस विभाग की ओर से 6 मई 2025 को सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल अफसर को पत्र भेजकर 1 जून 2024 से 15 मई 2025 तक सभी सरकारी/निजी वाहनों, एंबुलेंस और जनरेटर में डाले गए ईंधन से संबंधित बिलों की जानकारी मांगी गई है। ये सभी बिल उसी अधिकारी द्वारा पास किए गए हैं, जिस पर घोटाले का आरोप है। इसके अलावा रिसेप्शन डेस्क पर पहुंचे मरीजों की संख्या, रसीदें जारी करने वाला जिम्मेदार स्टाफ और एंबुलेंस की जरूरत वाले मरीजों का विवरण भी मांगा गया है, जिससे विजिलेंस यह जांच सके कि ईंधन वितरण का कोई औचित्य था भी या नहीं। आरोपी ने जांच से बचने के लिए की दस्तावेज़ों में हेराफेरी शिकायतकर्ता हरतेज सिंह निवासी गांव घुद्दा, बठिंडा ने बताया कि उन्होंने मामले की शिकायत पंजाब सरकार के स्वास्थ्य मंत्री और बठिंडा के डिप्टी कमिश्नर को दी थी। जांच प्रक्रिया शुरू होते ही आरोपी अधिकारी ने 8 अप्रैल को छुट्टी के दिन अस्पताल पहुंचकर दस्तावेजों में हेराफेरी की ताकि सबूतों को मिटाया जा सके। शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया कि जांच अधिकारी डॉ. चंद्रशेखर ने स्वयं उन्हें फोन पर स्वीकार किया था कि मामला 20-30 लाख रुपए के गबन से जुड़ा हुआ है। जांच में ढिलाई पर सरकार सख्त हालांकि पहले अस्पताल स्तर पर जांच का प्रयास किया गया, लेकिन दस्तावेजों की छेड़छाड़ और सहयोग ना मिलने के चलते अब इस घोटाले की जांच राज्य विजिलेंस विभाग को सौंपी गई है। संयुक्त डायरेक्टर कंप्लेंट सेल ने सख्त हिदायत दी है कि अस्पताल प्रबंधन सभी दस्तावेज़ समय पर उपलब्ध करवाए और जांच में सहयोग करें। वहीं सरकारी गाड़ियों में फर्जी तरीके से ईंधन डलवाकर किए गए करोड़ों के घोटाले से आम जनता के विश्वास को गहरी चोट पहुंची है।

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