Edited By Subhash Kapoor,Updated: 30 Jun, 2025 10:06 PM

नगर निगम में इस समय 30 से अधिक ऐसे पार्षद हैं, जिन्हें निगम के सरकारी सिस्टम की न तो पूरी जानकारी है और न ही वे अपने वार्ड में तैनात अफसरों की कार्यप्रणाली से परिचित हैं।
जालंधर (खुराना): नगर निगम में इस समय 30 से अधिक ऐसे पार्षद हैं, जिन्हें निगम के सरकारी सिस्टम की न तो पूरी जानकारी है और न ही वे अपने वार्ड में तैनात अफसरों की कार्यप्रणाली से परिचित हैं। ऐसे में इन दिनों कई पार्षद अपनी वार्ड संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए सीधे मेयर ऑफिस पर निर्भर हो गए हैं। इन्हीं में से एक पार्षद नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र से हैं, जो अक्सर अपने वार्ड की समस्याएं लेकर मेयर ऑफिस पहुंचते हैं और अपने लेटर पैड पर लिखे शिकायती पत्र सौंपते हैं। लेकिन हाल ही में उनके द्वारा दिए गए एक पत्र ने निगम के स्टाफ को मुस्कुराने का भरपूर मौका दे दिया।
दरअसल, उक्त पार्षद को अपने वार्ड में बंद सीवरेज की समस्या को लेकर मेयर को पत्र देना था। उन्हें अपने पत्र में लिखना था, "मेयर साहब, मेरे वार्ड में बंद सीवरेज की समस्या काफी ज्यादा है, इसलिए सुपर सक्शन का प्रबंध किया जाए।" लेकिन गलती से उन्होंने लिखा, "मेयर साहब, मेरे वार्ड में बंद सीवरेज की समस्या काफी ज्यादा है इसलिए सुपर सैक्स का प्रबंध किया जाए।"जैसे ही यह पत्र मेयर ऑफिस के स्टाफ के हाथ लगा, वहां मौजूद सभी कर्मचारी और अधिकारी हंस पड़े। यह पत्र निगम की फाइलों में आज भी लगा हुआ है।
यह घटना इस ओर भी इशारा करती है कि पार्षदों को निगम व्यवस्था और प्रशासनिक भाषा की समुचित जानकारी और ट्रेनिंग की आवश्यकता है। एक छोटी सी गलती उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकती है। नगर निगम जैसी संवेदनशील संस्था में जनप्रतिनिधियों की ऐसी भूलें बताती हैं कि केवल चुनाव जीतना ही काफी नहीं, बल्कि सिस्टम की बारीक समझ और भाषा की शुद्धता भी उतनी ही जरूरी है।