पंजाब के लोगों की लग गई Lottery! रातों-रात करोड़ों में पहुंचे जमीनों के रेट

Edited By Vatika,Updated: 09 Jun, 2025 01:56 PM

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सच कहें तो हम लोगों की चारों ओर से लॉटरी लग गई है। कभी सोचा नहीं था

मोहाली: सच कहें तो हम लोगों की चारों ओर से लॉटरी लग गई है। कभी सोचा नहीं था कि सोया हुआ भाग्य इस तरह जाग उठेगा। एक नई उम्मीद और नए जोश लोगों के मन में जागे हैं, जिसके लिए पंजाब सरकार जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। उक्त भावनात्मक और खुशी से भरे विचार ज़िला पटियाला की तहसील राजपुरा के उन 8 गांवों  माणकपुर, खेडा गज्जू, गुरदित्तपुरा, हदायतपुरा, लेहला, ऊंचा खेड़ा, उरना और चंगेरा के लोगों के हैं जिन्हें सरकार द्वारा ज़िला मोहाली में शामिल किया गया है। इन गांवों के लोगों का कहना है कि पहले उन्हें अपने कई कामों के लिए ज़िला मुख्यालय पटियाला तक करीब 50 किलोमीटर का सफर करना पड़ता था, जबकि अब मोहाली का सफर सिर्फ 17-18 किलोमीटर रह गया है। इससे उनका समय और यात्रा दोनों में कमी आई है, जिससे वे बेहद खुश हैं।

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ज़मीनों के दामों में रातों-रात उछाल
लोगों ने बताया कि जिस दिन से इन गांवों को मोहाली के साथ जोड़े जाने की घोषणा हुई है, खासतौर पर बड़े निवेशकों और रियल एस्टेट कारोबारियों की आवाजाही इन गांवों की ओर बढ़ गई है और ज़मीनों की खरीद-फरोख्त तेज़ हो गई है। महज 15 दिनों के भीतर एक ज़मीन का टुकड़ा तीन बार ज़्यादा मुनाफे पर बिक चुका है। पहले जहां एक एकड़ ज़मीन का रेट 1 करोड़ था, अब मोहाली में शामिल होने के बाद यह 3 करोड़ से ऊपर पहुंच गया है। मुख्य सड़कों के किनारे की ज़मीनें तो 5 करोड़ तक बिक रही हैं। जब ये गांव पटियाला ज़िले में थे और ज़िला मुख्यालय से दूर थे, तब प्रॉपर्टी डीलर यहां खास दिलचस्पी नहीं लेते थे, लेकिन अब ज़िला मुख्यालय के पास आने से चंद दिनों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। यह इलाक़े की तरक्की और लोगों की खुशहाली की दिशा में एक शानदार कदम है। इससे यहां के किसानों और ज़मीन मालिकों के लिए आमदनी के नए रास्ते खुलेंगे। इसका एक और पहलू यह है कि पहले इन गांवों के लोग आम इंसान की तरह मजदूरी कर जीवनयापन कर रहे थे, लेकिन अब ज़मीनों की लगातार बढ़ती कीमतों ने उनका ध्यान अपनी ओर खींचना शुरू कर दिया है।

पंचायतों/गांवों से ली गई थी सहमति
गांव माणकपुर की सरपंच कुलविंदर कौर, गुरदित्तपुरा की सरपंच परमजीत कौर, लैहला के सरपंच अमरिंदर सिंह, हदायतपुरा के सरपंच अमरनाथ, ऊचा खेड़ा के सरपंच मुकेश कुमार, ऊरणां की सरपंच कमलजीत कौर, गज्जू खेड़ा के सरपंच जवाहर लाल, और चंगेड़ा के सरपंच हरिंदर सिंह ने बताया कि पिछली पंचायतों के कार्यकाल के दौरान मौजूदा सरकार ने इन गांवों को मोहाली के साथ जोडऩे के लिए सहमति मांगी थी। सभी आठ पंचायतों ने अपने पंचायत सदस्यों और गांववासियों की रज़ामंदी से प्रस्ताव पास करके क्च.ष्ठ.क्क.ह्र. के माध्यम से सरकार को भेजे थे। इसके बाद सरकार ने इस संबंध में सारी जरूरी कार्रवाई पूरी कर ली।

अब मिलेंगी बेहतर सुविधाएं
सरकार के फैसले के तहत अब माणकपुर की लगभग 4386 एकड़, गुरदित्तपुरा की 3000 एकड़, लैहला की 500 एकड़, चंगेड़ा की 460 एकड़, ऊरणां की 400 एकड़, हदायतपुरा की 3000 एकड़, ऊचा खेड़ा की 3114 एकड़ और गज्जू खेड़ा की 1100+ एकड़ ज़मीन अब मोहाली ज़िले के प्रशासनिक दायरे में आ गई है। लोगों को उम्मीद है कि इस फैसले से विकास की नई संभावनाएं पैदा होंगी। गांवों को अच्छी सड़कें, स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने का पानी और सफाई व्यवस्था जैसी नई सुविधाएं मिलेंगी क्योंकि मोहाली एक विकसित ज़िला है, जहां टेक्नोलॉजी पार्क, आधुनिक बुनियादी ढांचा और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय निवेश आ रहा है।
 

राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव
सरकार के इस फैसले से बड़े स्तर पर राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव देखने को मिलेगा। नवशामिल गांव अब मोहाली के नगर निगम, ब्लॉक कमेटी या जिला स्तर के प्रशासन से जुड़ जाएंगे। भविष्य में इन गांवों के लोगों की आवाज़ भी निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इन नए गांवों की भागीदारी से यहां नए रोजग़ार और शिक्षा के अवसर पैदा होंगे।

कई प्रकार की चुनौतियां भी मौजूद
जहाँ एक ओर यह बदलाव कई तरह की सकारात्मक संभावनाएँ लेकर आया है, वहीं कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि क्या मोहाली जिला प्रशासन इन गांवों की पिछड़ी हुई बुनियादी स्थिति को जल्दी बदल सकेगा? क्या यहां पर समयबद्ध तरीके से नई योजनाएं लागू हो सकेंगी? क्या इन गांवों के लोग नए प्रशासनिक सिस्टम के साथ तालमेल बिठा सकेंगे? इस बदलाव को केवल कागज़ी घोड़ा बनने से रोकने के लिए सरकार और प्रशासन को तुरंत एक्शन लेने होंगे। नए वित्तीय और संपत्ति संबंधी आंकड़े तैयार करके विकास योजनाओं की रूपरेखा बनानी होगी। जनता के साथ संवाद स्थापित कर यह विश्वास बनाना होगा कि यह बदलाव उनके हित में है। इन 8 गांवों का मोहाली में शामिल होना केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि एक बड़ी आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। यदि इस परिवर्तन को सही ढंग से लागू किया गया, तो यह क्षेत्र आने वाले समय में पंजाब के सबसे विकसित क्षेत्रों में से एक बन सकता है।



 

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