Edited By Subhash Kapoor,Updated: 07 Nov, 2024 10:52 PM
पंजाब के सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे कंप्यूटर अध्यापकों ने संघर्ष को अब और तेज करने का मन बना लिया है। अपनी मांगों को लेकर 68 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे इन अध्यापकों को शुक्रवार लुधियाना में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से मिलने का आश्वासन...
लुधियाना (विक्की) : पंजाब के सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे कंप्यूटर अध्यापकों ने संघर्ष को अब और तेज करने का मन बना लिया है। अपनी मांगों को लेकर 68 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे इन अध्यापकों को शुक्रवार लुधियाना में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से मिलने का आश्वासन दिया गया था। मुख्यमंत्री कल धानासू गांव में नव-निर्वाचित सरपंचों के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने वाले हैं, उनके साथ आप के राष्ट्रीय कन्वीनर अरविन्द केजरीवाल भी भाग लेंगे। कंप्यूटर अध्यापकों को उम्मीद थी कि उनकी मांगों पर बातचीत होगी लेकिन मीटिंग के लिए समय ना दिए जाने के कारण कंप्यूटर अध्यापकों में रोष बढ़ गया है।
इसी कड़ी में आज प्रशासन ने जिले के एसीपी 4 थाना जमालपुर में कंप्यूटर अध्यापक भूख हड़ताल संघर्ष कमेटी के पदाधिकारियों की एक बैठक जिला मजिस्ट्रेट के साथ करवाई। इस बैठक में जिला अध्यक्ष जसविंदर सिंह, नवजोत सिंह, बवलीन बेदी, हरप्रीत कौर, और गुरप्रीत कौर सहित कई पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर विस्तार से चर्चा की और मांग पत्र सौंपा। उन्होंने बताया कि उनकी कोई नई मांग नहीं है; वे केवल अपने रेगुलर ऑर्डर्स में दर्ज सभी अधिकारों की बहाली चाहते हैं। कंप्यूटर अध्यापक भूख हड़ताल संघर्ष कमेटी का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानीं, तो वे विरोध को और अधिक तीव्र करेंगे और सरकार के हर कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।
प्रशासनिक अधिकारियों ने अध्यापकों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगों का समाधान जल्द से जल्द निकाला जाएगा और मुख्यमंत्री से मुलाकात की कोशिश की जाएगी। हालांकि, अधिकारियों के भरोसे के अनुसार मुख्यमंत्री से मिलने का समय तय नहीं हो पाया, जिससे अध्यापकों में गहरी निराशा है। कंप्यूटर अध्यापकों ने चेतावनी दी कि अगर उन्हें समय पर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं मिला, तो वे कल मुख्यमंत्री के लुधियाना आगमन पर उन्हें काले झंडे दिखाकर विरोध जताएंगे और आम जनता को अपनी समस्याओं से अवगत कराएंगे। कंप्यूटर अध्यापक भूख हड़ताल संघर्ष कमेटी ने ऐलान किया कि यह प्रदर्शन सिर्फ एक शुरुआत है, और मांगें पूरी न होने पर आगे और भी कड़े कदम उठाए जाएंगे। उनका कहना है कि सरकार ने उनके साथ किए गए वादों को नज़रअंदाज किया है, और वह अपने अधिकारों की प्राप्ति तक चुप नहीं बैठेंगे।