Punjab के Schools का हैरानीजनक कारनामा, CM दरबार पहुंचा मामला

Edited By Sunita sarangal,Updated: 23 Aug, 2025 05:08 PM

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शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि यह एक तरह का शैक्षिक व्यापार बन चुका है

लुधियाना (विक्की): पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) से एफिलिएशन प्राप्त कई निजी स्कूल इन दिनों नियमों की खुलकर अवहेलना कर रहे हैं जिसकी एक शिकायत भी मुख्यमंत्री को हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसे अनेको स्कूल हैं जिनके पास मान्यता तो केवल दसवीं तक की है लेकिन वे अपने स्कूलों में 12वी तक की कक्षाएं पढ़ा रहे हैं। ऐसे स्कूलों के पास न तो क्वालिफाइड टीचर्स हैं और न ही बच्चों को प्रैक्टिकल की तैयारी करवाने के अन्य जरूरी संसाधन लेकिन यह खेल पिछले कई सालों से चल रहा है।

जानकारी के अभाव में पेरेंट्स अपने बच्चों का भविष्य ऐसे अध्यापकों के हाथ ने सौंप रहे हैं जो खुद किसी बच्चों को पढ़ाए जा रहे विषय के विशेषज्ञ नहीं हैं। इस गतिविधि में उनका साथ कुछ ऐसे स्कूल दे रहे हैं जिनके पास 12वी तक की मान्यता है लेकिन वे बोर्ड के तय मानकों के अनुसार पर्याप्त छात्र संख्या जुटाने में नाकाम रहे हैं। ऐसे में दसवीं तक की एफिलिएशन वाले स्कूल अपने स्कूल में 11वीं कक्षा में मेडिकल, आर्ट्स, कॉमर्स स्ट्रीम में बच्चे का दाखिला कर लेते हैं और बोर्ड को स्टूडेंट्स का दाखिला भेजने के समय स्टूडेंट्स को 12वी तक के एफिलिएटेड स्कूल के साथ अटैच कर देते हैं। जिससे छात्र पढ़ाई तो किसी स्कूल में करता है और उसका रोल नंबर उस दूसरे स्कूल में आता है जिसने उसको अपने यहां अटैच किया होता है।

नियमों के अनुसार यह वो स्कूल हैं जो बोर्ड से 12वी तक की एफिलिएशन लेने के लिए निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं करते लेकिन ज्यादा कमाई के चक्कर में 10वीं के बाद भी विद्यार्थी को अपने स्कूल से किसी दूसरे स्कूल में नहीं जाने देना चाहते। इन बच्चों को वास्तविक रूप से पढ़ाई उसके पुराने स्कूल में ही करवाई जाती है, लेकिन बोर्ड के रिकार्ड में उनका नाम एफिलिएशन प्राप्त दूसरे स्कूलों के विद्यार्थियों के तौर पर दर्ज कर दिया जाता है। इसके बदले बच्चों के अभिभावकों से और छोटे स्कूल प्रबंधन से रकम ली जा रही है।

शिक्षा जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि यह एक तरह का शैक्षिक व्यापार बन चुका है, जिसमें शिक्षा की गुणवत्ता से ज्यादा स्कूलों के लाइसेंस और बोर्ड की औपचारिकताएं पूरी करने पर जोर है। इससे न केवल नियमों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि असली पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। कुछ अभिभावकों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उनके बच्चों का नाम किसी अन्य स्कूल में दर्ज है, जबकि बच्चा रोजाना पढ़ाई अपने स्थानीय स्कूल में करता है। इस गड़बड़ी की वजह से न तो बच्चों की शैक्षिक प्रगति का सही रिकॉर्ड तैयार हो पाता है और न ही बोर्ड को वास्तविक स्थिति का पता चलता है।

सूत्रों के अनुसार पहले भी इस तरह की कई शिकायतें हुई हैं यदि इस पर जांच बैठाई गई तो दर्जनों स्कूलों की मान्यता पर तलवार लटक सकती है। अधिकारियों का कहना है कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले स्कूलों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। जल्द ही ऐसे संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रवृत्ति से शिक्षा व्यवस्था की साख गिर रही है और अगर समय रहते इसे रोका नहीं गया तो यह बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का रूप ले सकती है।

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