Edited By Tania pathak,Updated: 25 Oct, 2020 08:45 AM

ड्राफ्ट में कहा गया है कि कानून मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए लाभकारी होंगे। ड्राफ्ट पर जनता से 31 अक्तूबर तक...
चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): पंजाब में केंद्र के मॉडल टैनैंसी एक्ट यानी आदर्श किराएदारी अधिनियम को लागू करने की तैयारी की जा रही है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि कानून मकान मालिक और किराएदार दोनों के लिए लाभकारी होंगे। ड्राफ्ट पर जनता से 31 अक्तूबर तक सुझाव मांगे गए हैं। मॉडल टैनैंसी एक्ट के जरिए आपसी इकरारनामे से विवाद की संभावना कम होगी और विवाद की स्थिति में प्रस्तावित कानून में निर्धारित प्रावधान के तहत जल्द समाधान निकाला जा सकेगा।
पंजाब निकाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो मॉडल टैनैंसी एक्ट किराए की मार्कीट के विकास को प्रोत्साहित करेगा, जिससे निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा। साथ ही किराए के हाऊसिंग सैक्टर का विस्तार होगा। इसी कड़ी में किराए की मार्कीट को आकर्षक, टिकाऊ और समावेशी बनाने के लिए खाली जगह का इस्तेमाल मुमकिन हो सकेगा।
मॉडल टैनैंसी एक्ट की शुरूआत के बाद किसी भी जगह को आपसी सहमति के आधार पर लिखती तौर पर इकरारनामे के बगैर किराए पर नहीं दिया जा सकेगा। यह एक्ट रिहायशी और व्यापारिक किराएदारी पर लागू होगा। एक्ट शहरी के अलावा देहाती इलाके पर भी लागू होगा। किराए का निर्धारण मकान मालिक और किराएदार के बीच इकरारनामे से किया जाएगा। विवाद का समाधान करने के लिए फास्ट ट्रैक अद्र्ध न्यायिक ढांचे की व्यवस्था होगी। एक्ट बिना आॢथक सीमा के किराएदारी पर लागू होगा। इकरारनामे के बाकी रहते समय के लिए किराएदारी की शर्तें मालिकों के वारिस के साथ-साथ किराएदार पर लागू होंगी। वहीं, मौजूदा समय किराएदारी की बात करें तो राज्य के मौजूदा किराए से संबंधित कानून के अधीन रहेंगी।
पंजाब में लाखों मकान खाली
निकाय विभाग के अधिकारियों की मानें तो पंजाब में लाखों मकान खाली हैं। किराए के मकसद के लिए उपलब्धता न होने का मुख्य कारण मौजूदा कानून है, जिससे किराएदारी सिस्टम प्रोत्साहित नहीं हो पा रहा। केंद्र सरकार के मॉडल टैनैंसी एक्ट को जिमींदार और किराएदार दोनों के हितों व अधिकारों में संतुलन स्थापित करने और इमारत को अनुशासित व कुशल ढंग से किराए पर देने के लिए जवाबदेह और पारदर्शी माहौल बनाने के लिए तैयार किया गया है। यह प्रवासियों, कर्मचारियों, पेशेवरों व विद्याॢथयों सहित समाज के अलग-अलग आमदन समूहों के लिए बेहतर किराया रिहायशी स्टॉक मुहैया करवाएगा। साथ ही देशभर के किराए के मकान पर बने कानूनी ढांचे में सुधार लाएगा। इससे किराए के हाऊसिंग सैक्टर में निजी भागीदारी के प्रोत्साहित होने की उम्मीद भी है, जिससे मकानों की गंभीर कमी को दूर किया जा सकेगा। अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा किराए के कानून लंबी मुकद्दमेबाजी की प्रक्रिया से गुजरते हैं।
किराए के हाऊसिंग स्टॉक की गुणवत्ता और मात्रा को कम कर दिया है, जिससे किराए से कम आमदन होती है। यही वजह है कि मकान मालिक मकान को किराए पर देने से गुरेज करता है। किराए पर मकान देना वित्तीय तौर पर फायदे का सौदा नहीं रहा है, जिसके चलते सब स्टैंडर्ड किराया बाजार में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। इसके अलावा कम आमदनी वाले परिवार के लिए मकान रखना एक चुनौती है। इस समस्या को दूर करने के लिए किराए के मकानों को उत्साहित करना जरूरी है।