स्मॉग का कहरः जालंधर में 462 तक पहुंचा प्रदूषण का स्तर

Edited By Sunita sarangal,Updated: 30 Oct, 2019 09:29 AM

pollution level reached 462 in jalandhar

दीपावली पर चलाए पटाखों व पराली जलाने के कारण पंजाब के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।

जालंधर(विशेष): दीपावली पर चलाए पटाखों व पराली जलाने के कारण पंजाब के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। इस जहरीली हुई हवा में जहां सांस लेने में मुश्किल आ रही है वहीं सुबह हल्की धुंध पड़ने से स्मॉग का कहर बरपने लगा है। रात के समय विजीबिलिटी काफी कम हो गई है। जालंधर में मंगलवार को एयर क्वालिटी इंडैक्स (ए.क्यू.आई.) 462 दर्ज किया गया जो सोमवार को 377 था। यह आंकड़ा पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का है, वहीं लुधियाना में ए.क्यू.आई. 258 और अमृतसर में 300 से कम होकर 270 पहुंच गया है। 
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आसमान में जमा हुई धूल व धुएं की परत 
स्मॉग से फिलहाल लोगों को राहत मिलने वाली नहीं है। पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के मौसम विभाग की प्रभारी डा. प्रभजोत कौर ने बताया कि इस समय हवा की स्पीड 2 किलोमीटर प्रति घंटा से कम रहने के साथ ही तापमान गिर गया है जिसकी वजह से धुएं व धूल की एक परत आसमान में जमा होकर रह गई है। स्मॉग का प्रभाव इतना जबरदस्त है कि यह सूर्य की रोशनी को जमीन पर पड़ने से रोक रही है। इस समय रात का तापमान 14 से 16 डिग्री सैल्सियस जबकि सुबह 29 से 30 डिग्री सैल्सियस के बीच रहने लगा है। मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि 96 घंटों के बाद कहीं-कहीं हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। 

सांस के रोगियों की संख्या बढ़ी
इस जहरीली हवा में दमा के रोगियों को भारी परेशानी आने लगी है। सांस लेने में दिक्कत होने के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। डाक्टरों के अनुसार वायु प्रदूषण से छाती के रोग, आंखों में जलन, फेफड़ों की बीमारियां हो रही हैं। सुबह की सैर करने वाले लोगों को स्मॉग में सैर करने से मना किया जा रहा है। 
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पराली जलाने के 1602 मामले आए सामने 
पंजाब रिमोट सैंसिंग सैंटर लुधियाना के सीनियर वैज्ञानिक डा. अनिल सूद ने खुलासा किया कि 29 अक्तूबर 2019 को पंजाब के अलग-अलग जिलों में 1602 नए मामले पराली जलाने के रिकार्ड हुए हैं, जबकि 29 अक्तूबर 2018 को 1376 व इसी दिन 2017 को 2785 मामले रिकार्ड हुए थे। कृषि विशेषज्ञ इस बात से बेहद चिंतित हैं कि पराली न जलाने को लेकर जमीनी स्तर पर जागरूक करने के बावजूद किसानों द्वारा पराली जलाने के मामलों में कोई कमी नहीं आई है। इस प्रदूषित वातावरण में इंसान तो क्या, जानवर भी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। 

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