Edited By Vatika,Updated: 14 Oct, 2019 04:29 PM
करीब 2 साल पहले नोटबंदी व जी.एस.टी. की मार तथा अब आर्थिक मंदहाली के चलते सुस्त पड़े बाजार, रियल एस्टेट बाजार में गिरते
होशियारपुर (अमरेन्द्र): करीब 2 साल पहले नोटबंदी व जी.एस.टी. की मार तथा अब आर्थिक मंदहाली के चलते सुस्त पड़े बाजार, रियल एस्टेट बाजार में गिरते जमीनों के दाम के अलावा बहुत से ऐसे सामाजिक व आर्थिक कारणों के चलते प्रवासी पंजाबियों का अब अपनी ही मिट्टी से मोह टूटने लगा है। पंजाब में निवेश तो दूर लाल फीताशाही, भ्रष्टाचार और लगातार गिरते मुनाफे के चलते जमीनी सौदों का घाटे का साबित होना आप्रवासी पंजाबियों को पंजाब में निवेश से दूर करता जा रहा है। पिछले 5-6 दशकों से इंगलैंड, अमरीका, कनाडा, जर्मनी सहित विभिन्न एशियाई, अफ्रीकी व यूरोपीय देशों में अपनी पैठ बनाते चले जाने के बाद करीब 12 लाख प्रवासी पंजाबी और उनकी अगली पीढिय़ां अब उन्हीं देशों को अपनी मातृभूमि मानने लगे हैं। हाल यह है कि अपनी जड़ों की तलाश में वतन की याद अब उनकी अगली पीढ़ियों को नहीं सताती है।
खरीदार से अब विक्रेता बनने लगे हैं एन.आर.आईज
एक समय था जब विदेशों में बसे पंजाबी जब वहां से लौटकर गांव पहुंचते थे तो गांवों के साथ-साथ अपने नजदीकी शहर में खुलकर जमीन खरीदा करते थे। त्यौहार के दिनों में विदेशों से भारी संख्या में पंजाबी न सिर्फ अपनी मिट्टी के मोह में गांव लौटते थे, बल्कि सम्पत्ति में भारी निवेश किया करते थे लेकिन अब हाल यह है कि रिश्तेदारों के किसी शादी समारोह या किसी पवित्र स्थान पर नतमस्तक होने के लिए आने वाले एन.आर.आईज यहां पर निवेश करने की बजाय आमतौर पर सम्पत्ति बेचने का प्रयास करने लगे हैं।
रियल एस्टेट में निवेश नहीं रहा लाभदायक
पंजाब में दोआबा क्षेत्र को एन.आर.आईज का हर्टलैंड माना जाता है। कई एन.आर.आईज ने बताया कि हाल ही में लागू रियल एस्टेट एक्ट प्रभावी नहीं है। होशियारपुर के एन.आर.आई. मोहिन्दर सिंह के अनुसार इस साल पहले मैंने एक प्लाट 50 लाख में खरीदा था लेकिन इस समय इसे 30 लाख रुपए में भी बेच नहीं पा रहा हूं।