खनन ठेकेदारों को पंजाब की नदियों से 1.6 करोड़ मीट्रिक टन रेत-बजरी निकालने की छूट

Edited By Sunita sarangal,Updated: 06 Jan, 2021 09:51 AM

mining contractors punjab s rivers

पर्यावरण मंजूरी मिलने में हो रही देरी के चलते सरकार ने निकाला बीच का रास्ता

चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): खनन ठेकेदार अब पंजाब की नदियों से 1.6 करोड़ मीट्रिक टन रेत-बजरी निकाल सकेंगे। पंजाब सरकार ने इन्हें इस संबंधी छूट दे दी है। ठेकेदारों को यह छूट इसलिए दी गई है क्योंकि सरकार द्वारा चिन्हित माइनिंग साइट्स को पर्यावरण मंजूरी मिलने में देरी हो रही है। पंजाब सरकार ने प्रदेशभर में करीब 196 माइनिंग साइट्स चिन्हित की थीं लेकिन अब तक केवल 52 माइनिंग साइट्स को ही पर्यावरण मंजूरी मिल पाई है। इसके चलते खनन ठेकेदारों पर आर्थिक नुकसान के बादल मंडराने लगे थे, जिसके चलते सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए अब नदियों से गाद निकालने के नाम पर रेत-बजरी निकालने का रास्ता साफ कर दिया है। 

चंडीगढ़ के पंजाब भवन में खान एवं भूविज्ञान मंत्री सुखबिंद्र सिंह सरकारिया ने कहा कि पंजाब की नदियां गाद से भरी पड़ी हैं, जिसके चलते नदियों की जल संग्रहण क्षमता कम हो गई है, जो मानसून के दौरान बाढ़ का कारण बन जाती हैं। विशेषज्ञों के सुझाव पर गाद निकासी में खनन ठेकेदारों को भागीदार बनाया जा रहा है। इससे एक पंथ दो काज होंगे। नदियों से गाद निकल जाएगी और ठेकेदारों को रेत-बजरी मिल जाएगी।

हालांकि पंजाब सरकार की इस पहल को लेकर विरोधी सुर भी सुनाई देने लगे हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक बेशक सरकार नदियों से गाद निकाल सकती है लेकिन गाद निकासी के नाम पर खनन की गतिविधियां करना उचित नहीं है। ऐसा इसलिए भी है कि भारत सरकार ने 2020 में ही नदियों से रेत निकासी को लेकर कई तरह के नियम तय किए हैं। खासतौर पर नदियों में तलहटी से रेत निकालने को लेकर विस्तृत अध्ययन का प्रावधान किया गया है। 

गाद के नाम पर खनन के कई मामले न्यायालयों में विचाराधीन, पंजाब की योजना पर उठे सवाल
पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो देशभर में गाद के नाम पर खनन से जुड़े कई मामले न्यायालयों में विचाराधीन हैं। ऐसे में पंजाब में गाद निकासी के जरिए खनन की गतिविधियों को मंजूरी देने पर सवाल उठना लाजिमी है। यह मामला इसलिए भी गंभीर है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आंध्र प्रदेश की कृष्णा नदी से गाद निकासी के नाम पर खनन की गतिविधियों पर कड़ा संज्ञान लिया था। 

ट्रिब्यूनल ने बाकायदा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया था, जिसने मौके का सर्वे कर पाया कि नदियों से रेत की निकासी अनसाइंटिफिक तरीके से की गई, जिससे पर्यावरण को नुक्सान पहुंचा। इस पर ट्रिब्यूनल ने आंध्रप्रदेश सरकार को 100 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। इसी कड़ी में केरल व दक्षिण के कुछ राज्यों की नदियों से गाद के नाम पर रेत की निकासी के मामले न्यायालयों के विचाराधीन हैं। 

पंजाब में 25 जगह होगी गाद निकासी
पंजाब सरकार ने नदियों में गाद निकासी के नाम पर माइनिंग के लिए 25 जगहें चिन्हित की हैं। पंजाब खनन एवं भूविज्ञान विभाग के अधिकारियों की मानें तो इन 25 जगहों के लिए राज्य सरकार को पर्यावरण मंजूरी की जरूरत नहीं है, क्योंकि नदियों से गाद निकासी पर पर्यावरण कानून लागू नहीं होते हैं। इसलिए इन चिन्हित जगहों को लेकर पर्यावरण दृष्टि से कोई अध्ययन भी नहीं किया गया है। ठेकेदारों को दी गई मंजूरी में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उन्हें जितनी सामग्री निकालने की मंजूरी मिली है, उतनी सामग्री ही वे निकालें।

ठेकेदारों ने अब तक जमा करवाए 200 करोड़ रुपए
खनन ठेकेदार अब तक पंजाब सरकार को करीब 200 करोड़ रुपए जमा करवा चुके हैं। इसमें से ठेकेदारों ने करीब 75 करोड़ रुपए ऑक्शन के समय ही जमा करवा दिए थे। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सरकार की कोशिश पहले साल में 306 करोड़ रुपए की वसूली के लक्ष्य को प्राप्त करने की है। बेशक पर्यावरण मंजूरी मिलने में हो रही देरी और कोविड-19 के कारण ठेकेदारों को कुछ समय की रियायत दी गई लेकिन अब ऑक्शन की तय शर्तों के मुताबिक ही उन्हें धनराशि जमा करवानी होगी। 

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