Edited By Vatika,Updated: 15 Jun, 2021 01:59 PM
देश की सेवा करने का सपना लेकर फ़ौज में भर्ती हुए नौजवान को यह नहीं पता था कि वह 2 -3 साल बाद
बठिंडाः देश की सेवा करने का सपना लेकर फ़ौज में भर्ती हुए नौजवान को यह नहीं पता था कि वह 2 -3 साल बाद शहीद हो जाएगा और बाद में उसकी मां दर -दर की ठोकरें खाने को मज़बूर होगी।
दरअसल, बठिंडा के गांव महिमा सरजा की बेटी की, जिसे 7-8 साल पहले कैंसर की बीमारी ने घेर लिया था। कई ऑपरेशन करवाने के बाद भी बीमारी ने उसका पीछा नहीं छोड़ा तो आखिर डाक्टर ने फिर इलाज करवाने के लिए बुलाया लेकिन इलाज करवाने के लिए लाखों रुपए की रकम कहां से आए? जिस कारण पिता को अपना घर बेचने का फ़ैसला लेना पड़ा। दुखों की मारी इस बेटी की कहानी दिल झंझोड़ देगी। शहीद फ़ौजी की मां गर्व से कहती है कि उसके बेटे ने देश के लिए कुर्बानी दे दी है लेकिन देश ने उसके लिए क्या किया?
शहीद फ़ौजी की मां का दर्द तब और गहरा होता गया जब कागज़ों में से उसका नाम ही हटा दिया। आज कागज़ों में शहीद फ़ौजी की मां का देहांत हो चुका है लेकिन वास्तविकता में वह ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है जिसमें उसके ससुराल ने भी उसका साथ देने की बजाए पीट-पीट कर घर से निकाल दिया। बेटे की शहादत के बाद न उसकी सार ससुराल ने ली और ना सरकार ने। आखिर बेटी को अपना पिता याद आया और रोती बिलखती उम्मीद लेकर पिता के घर आ गई। समय का सितम देखे कि पिता के घर भी 7-8 सदस्य खाने वाले हैं लेकिन कमाने वाला एक ही बेटा जिसे शारीरिक हीनता के कारण संघर्ष करना पड़ रहा है। इतना कुछ होने के बावजूद भी पिता के लिए अपनी बेटी पहले है जिसने उसके इलाज के लिए घर बिकने लगा दिया है तांकि बेटी का इलाज हो सके।