Edited By Vatika,Updated: 11 Jun, 2019 03:16 PM
अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में जून 1984 में फौज द्वारा हुए ऑप्रेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान अपने कब्जे में लिए गए सिख धार्मिक ग्रंथों व साहित्य की वापसी को
नई दिल्ली: अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में जून 1984 में फौज द्वारा हुए ऑप्रेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान अपने कब्जे में लिए गए सिख धार्मिक ग्रंथों व साहित्य की वापसी को लेकर सामने आ रहे रोजाना नए खुलासों के कारण सिख सियासत गर्मा गई है। दिल्ली से लेकर अमृतसर तक सियासी पारा गर्म हो गया है।
खुलासों के बाद जहां सिख संगतों में नाराजगी है, वहीं विरोधी सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं। इसको लेकर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मनजीत सिंह जी.के. ने भी सोमवार को बड़ा हमला बोला है। साथ ही एस.जी.पी.सी. से लेकर उसके पीछे खड़े अकाली दल के खिलाफ घेरेबंदी की है। जी.के. ने सेना द्वारा उस समय सिख रैफरैंस लाइब्रेरी, केंद्रीय सिख संग्रहालय, तोशाखाना, शिरोमणि कमेटी दफ्तर तथा गुरु रामदास लाइब्रेरी से जब्त किए सामान की वापसी पर शिरोमणि कमेटी की रहस्यमय चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़े किए। जी.के. ने आरोप लगाया कि शिरोमणि कमेटी कौम को गुमराह कर रही है इसलिए शिरोमणि कमेटी को इस मामले पर तुरंत श्वेत पत्र जारी करना चाहिए।
जी.के. ने दावा किया कि शिरोमणि कमेटी अभी भी यह बताने की हालत में नहीं है कि कमेटी का कितना धार्मिक व साहित्यिक खजाना लूटा गया तथा कितना वापस आया है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए मंजीत सिंह जी.के. ने कहा कि अभी तक तो शिरोमणि अकाली दल पर पंथ का सौदा करने का दोष लगता था, पर अब तो ग्रंथ को ही बेचने के तथ्य सामने आ गए हैं। 12 करोड़ में एक हस्तलिखित स्वरूप कमेटी के नुमाइंदों द्वारा बेचने के मीडिया द्वारा किए गए दावे के बाद जी.के. ने कहा कि अब सच सामने आना चाहिए। जी.के. ने खुलासा किया कि फौज ने सारा सामान सी.बी.आई. को सौंप दिया था ताकि दिल्ली में चल रहे एक केस में जरनैल सिंह का ङ्क्षलक विदेशी एजैंसियों से साबित किया जा सके पर सी.बी.आई. को इस साहित्यिक खजाने में से देशविरोधी कुछ भी नहीं मिला था। आखिरकार कोर्ट के आदेश पर सी.बी.आई. को यह खजाना वापस देने को मजबूर होना पड़ा।