शराब के ठेकों पर पव्वे की सेल खा गया... छोटू!

Edited By Vatika,Updated: 26 Oct, 2020 02:30 PM

liquor sale effect in punjab

शराब के ठेके पर पव्वे की सेल को छोटू खा रहा है और यदि छोटू की प्रसिद्धि इसी प्रकार चलती रही तो आने वाले समय में पव्वे तो क्या बोतलों और अधों की बारी भी आ जाएगी।

अमृतसर (इन्द्रजीत/अनिल): शराब के ठेके पर पव्वे की सेल को छोटू खा रहा है और यदि छोटू की प्रसिद्धि इसी प्रकार चलती रही तो आने वाले समय में पव्वे तो क्या बोतलों और अधों की बारी भी आ जाएगी। यह छोटू कोई सर्कस का जोकर नहीं, जो कमाल दिखा रहा है! छोटू शराब की बोतल की तरह एक सबसे छोटा पैमाना है। पहले शराब के ठेकों पर बोतल और पव्वे की डिमांड होती थी, लेकिन अब ठेकों पर इस छोटू नामक इकाई की इतनी मांग हो चुकी है कि हर जगह छोटू-छोटू हो चुकी है।

क्यों हाथों-हाथ बिकता है छोटू
सामान्य तौर पर शराब की बोतल जिसकी कीमत 700 है, उसका आधा जिसे अधिया कहते हैं कि कीमत 390 रुपए है, वही उसका चौथाई हिस्सा जिसे पव्वा कहते की कीमत 200 रूपया चलती है। इसमें मुश्किल उन लोगों को होती थी, जो बोतल का चौथाई हिस्सा यानी पव्वा खरीदते थे, उसमें कीमत से 15 प्रतिशत अधिक देना पड़ता था, लेकिन अब दो-तीन कंपनियों ने छोटू मार्किट में उतार दिए हैं। यह सबसे छोटा पैमाना है, इसमें मात्र एक पैग शराब का ही आता है वही बोतल में 13 हाफ में 6 और क्वार्टर में तीन पेग होते हैं। बड़ी बात है कि कंपनियों ने छोटू की कीमत 50 रुपए रखी है, इस लिहाज से छोटू की कीमत पहले की अपेक्षा 35 प्रतिशत कम पड़ती है।

छोटू के आने से बढ़ेंगे शराबी
शराब पीने के लिए शराबी को सबसे बड़ी मुश्किल यह होती है कि यदि वह किसी भी स्थान पर बैठता है तो उसके पास शराब का कोई भी पैमाना चाहे बोतल, हाफ या क्वार्टर! इसे वह एक ही समय में एक ही बार अथवा एक ही सांस में नहीं पी सकता। इसके लिए शराब पीने वाले को एक ठिकाना चाहिए, जहां पर वह कम से कम आधा घंटा बैठ सके। यदि शराब पीते कोई आ जाए तो पैमाने को छुपाना मुश्किल हो जाता है। वही छोटू एक पेग की इकाई है। पियक्कड़ लोग किसी भी रेहड़ी पर खड़े हो जाते हैं और एक पैग पानी में डालकर एक ही सांस में गटक जाते हैं। वहीं अन्य पैमानों में किसी दुकान टी-स्टॉल अथवा रेहड़ी पर शराब पीना खतरे से खाली नहीं, वहां पुलिस पडऩे का खतरा होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस एक पेग के पैमाने के कारण जगह-जगह लोग शराब पिएंगे और इसका आकार छोटा होने के कारण किसी को शक भी नहीं होता। लोग किसी भी स्थान पर इसका प्रयोग करेंगे। इस संबंध में कुछ आबकारी विभाग के लोगों से पूछने पर उन्होंने कहा कि विभाग का काम है, शराब की सेल से रैवेन्यू कमाना बाकी काम सरकार का है, वही ठेकेदारों का कहना है कि शराब के गट्टू की बिक्री से सेल बढ़ेगी और सरकार का रैवेन्यू भी आगे से बढ़ेगा।

क्या है छोटू का आकार?
शराब की बड़ी बोतल में 12 पेग, हाफ में 6 पेग, क्वार्टर में 3 पैग की मात्रा पिछले 100 से भी अधिक वर्षों से चली आ रही है। सामान्य तौर पर एक व्यक्ति क्वार्टर, यदि दो हो तो हाफ और अगर इससे अधिक हो तो बोतल खरीदी जाती है। वहीं इन दिनों में एक पेग की पैकिंग कुछ कंपनियों ने भेजी है, जिसकी मार्किट में भारी डिमांड बन रही है, इस सबसे छोटी इकाई को छोटू कहते हैं।

बुजुर्ग लोगों की बन रहा पसंद
बड़ी संख्या में बुड्ढ़े लोग ऐसे हैं, जिन्हें परिवारिक अथवा चिकित्सा के तौर पर एक दो पैग से अधिक शराब पीने से मना किया हुआ है, लेकिन अन्य पैमाने में अधिक शराब होने के कारण पीने वाला व्यक्ति बेकाबू होकर ज्यादा पी जाता है। उधर इस पैमाने में एक पेग की भर्ती होने के कारण ओवर एज लोग इसका ही इस्तेमाल करेंगे। इसके अतिरिक्त कम पीने वाले व्यक्ति अथवा पीने वाली महिलाओं की यह पसंद बन सकते हैं।

सार्वजनिक तौर पर बेचने पर लगे पाबंदी : सरस्वती
ऑल इंडिया दशनाम श्री पंचजूना भेख गोसाईया संत समाज के महासचिव एवं दंडी स्वामी आश्रम डेरा नूरपुर के प्रमुख संचालक महंत बाबा रमेशानंद सरस्वती ने कहा कि ऐसी चीजें उन लोगों के लिए पाबंदीशुदा अथवा लाइसैंसशुदा तौर पर रखी जाए जो वृद्ध हो अथवा जिन्हें इतनी मात्रा की ही आवश्यकता हो। सार्वजनिक तौर पर इस इकाई की शराब को बेचने से जगह-जगह शराब पीने वालों की संख्या बढ़ जाएगी, इससे शराब की प्रवृत्ति बढ़ जाएगी, गुंडागर्दी बढ़ेगी, वही समाज में अस्थिरता पैदा होगी।

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