जानें कौन है पंजाब में सब से कम उम्र में विधायिका बनी नरिन्दर कौर भराज

Edited By Urmila,Updated: 13 Mar, 2022 02:40 PM

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पंजाब विधान सभा मतदान के नतीजों में आम आदमी पार्टी के हक में चली सुनामी में आम घरों के उम्मीदवारों ने कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के धाकड़ नेताओं को मात देते विधान सभा में ...

संगरूर (विजय कुमार सिंगला): पंजाब विधान सभा मतदान के नतीजों में आम आदमी पार्टी के हक में चली सुनामी में आम घरों के उम्मीदवारों ने कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल के धाकड़ नेताओं को मात देते विधान सभा में पहली बार हाजिरी भरी है। ‘आप’ ने पंजाब अंदर झाड़ू फेर जीत प्राप्त करके साबित कर दिया कि पंजाब के लोग रिवायती पार्टियों के व्यवस्था से ऊब चुके थे इसलिए बदलाव के लिए तैयार आम आदमी पार्टी को अपना फतवा दिया है। यदि विधान सभा हलका संगरूर की बात की जाए तो यहां से एक आम किसान परिवार की बेटी नरिन्दर कौर भराज ने पहली बार विधान सभा की चुनाव लड़े और रिकार्ड तोड़ वोटों के साथ जीत प्राप्त की।

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भराज ने कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता विजय इन्दर सिंगला को भारी वोटों के फर्क के साथ हराया। यहां यह बात जिक्रयोग्य है कि विजय इन्दर सिंगला मौजूदा कांग्रेस में कैबिनेट मंत्री थे और इससे पहले वह लोक सभा मैंबर भी संगरूर से रह चुके हैं। नरिन्दर भराज ने विजय इन्दर सिंगला को 35868 वोटों के साथ हराया। भराज पंजाब में सबसे कम उम्र (27 साल) में विधायिका बनी हैं। उन्होंने अपने नामजदगी पत्र एक्टिवा स्कूटरी पर जाकर भरे और चुनाव प्रचार दौरान भी वह आम लोगों में विचरती रही। उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से एल.एल.बी. की है। भराज दो बार ‘आप’ की जिला यूथ प्रधान भी बनी। 2014 की लोक सभा मतदान दौरान संगरूर जिले में नौजवान पीढ़ी की तरफ से ‘आप’ का बूथ लगाने के लिए कोई आगे नहीं था आ रहा तो नरिन्दर कौर ने गांव भराज में बूथ लगाया था। भराज सांझे परिवार में रहती है, जिसमें उनके माता-पिता, दादा-दादी और चाचा-चाची हैं। उनके भाई की छोटी उम्र में ही मौत हो गई थी।

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उनके पिता गुरनाम सिंह काफी समय से आम आदमी पार्टी के साथ जुड़े हुए थे परन्तु उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती थी, इसी करके भराज अपने पिता की जिम्मेदारी अपने सिर लेकर ‘आप’ का हिस्सा बन गई। उनको ‘मिन्नी भगवंत मान’ के नाम के साथ भी बुलाया जाता है। उनके पिता खेतीबाड़ी करते हैं। इस तरह कह सकते हैं कि इस बार ‘आप’ के हक में चली सुनामी ने बड़े-बड़े राजनीतिक नेताओं को नकार कर आम घरों के बेटियों और पुत्रों को विजेता बनाया। 

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