करतारपुर कॉरीडोर में अहम रोल अदा करने वाले सिद्धू को ‘क्रैडिट वार’ से किसने किया बाहर

Edited By Vatika,Updated: 19 Oct, 2019 09:27 AM

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पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के खुले दर्शनों के लिए दोनों देशों की तरफ से कॉरीडोर तैयार करके रास्ता खोला जा रहा है और आशा जताई जा रही है कि अगले महीने यह रास्ता हर हालात में खोल दिया जाएगा

लुधियाना (नवीन): पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के खुले दर्शनों के लिए दोनों देशों की तरफ से कॉरीडोर तैयार करके रास्ता खोला जा रहा है और आशा जताई जा रही है कि अगले महीने यह रास्ता हर हालात में खोल दिया जाएगा। तैयारियां दोनों देशों में जोरों पर चल रही हैं जिसके लिए खास कर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस में इस रास्ते को खोलने के लिए ‘क्रैडिट वार’ छिड़ी दिखाई दे रही है परन्तु इस रास्ते के लिए अहम रोल अदा करने वाले पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं।

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इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह दौरान सिद्धू ने किया था यत्न 
जब पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन हुआ था और इमरान खान ने बतौर वजीर-ए-आजम कसम ग्रहण करनी थी तो आयोजित होने वाले समागम में इमरान खान ने अपने खिलाड़ी मित्र नवजोत सिंह सिद्धू को भी न्यौता भेजा था व सिद्धू ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमेरन्द्र सिंह के विरोध के बावजूद पाकिस्तान में होने वाले समागम में शिरकत की थी। नवजोत सिद्धू उस समय पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री थे व इस फेरी दौरान उन्होंने करतारपुर साहब के लिए रास्ता खोलने के लिए भी यत्न किया था।

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बाजवा से जफ्फी को लेकर हुई थी सिद्धू की आलोचना
जब सिद्धू पाकिस्तान गए थे तो वहां पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जावेद बाजवा के साथ मिलने मौके दोनों ने एक दूसरे को जफ्फी डाल ली थी जिस कारण सिद्धू विरोधियों ने उन्हें निशाने पर लिया व देशभर में आलोचना का शिकार भी होना पड़ा था। सिद्धू को केवल विरोधियों का ही नहीं बल्कि अपनी पार्टी के नेताओं का विरोध भी बर्दाश्त करना पड़ा था, परन्तु सिद्धू ने स्पष्ट किया था कि उन्होंने तो करतारपुर साहब का कॉरीडोर खोलने के लिए अनुरोध किया था जिसको पाकिस्तान सरकार ने स्वीकार कर लिया था और इसी खुशी में ही जफ्फी डाली गई थी।

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मुख्यमंत्री के साथ बढ़ती गई दूरियां
पाकिस्तान से सिद्धू मुख्यमंत्री के लिए काला तीतर भी लाए थे परन्तु मुख्यमंत्री ने सिद्धू की यह भेंट स्वीकार नहीं की थी जिस के बाद सिद्धू और कैप्टन में दूरियां बढ़ती गई थीं और नौबत यहां तक आ गई थी कि सिद्धू को कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा तक देना पड़ गया था। 

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इस्तीफा देने के बाद बिल्कुल शांत हैं सिद्धू
कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद सिद्धू आज तक बिल्कुल ही शांत दिखाई दे रहे हैं। न तो वह कोई बयानबाजी करते हैं और न ही कोई ज्यादा राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं। बस अमृतसर में अपनी रिहायश पर आने वाले लोगों को मिल रहे हैं। करतारपुर साहिब के रास्ते के लिए चाहे कि पहले भी कई हस्तियों द्वारा यत्न किए जाते रहे हैं परन्तु इस बार सिद्धू द्वारा किए गए यत्नोंं को अनदेखा नहीं किया जा सकता परन्तु कैप्टन के साथ पंगा पडऩे के बाद सिद्धू लगभग हर काम से ही किनारा किए बैठे हैं जिस पर अब शिरोमणि अकाली दल और कैप्टन के कांग्रेसी धड़ेे में इस कॉरीडोर का क्रैडिट लेने के लिए दौड़ लगी दिखाई दे रही है। 

पहले जत्थे में सिद्धू के पाकिस्तान जाने पर संशय
चाहे सिद्धू पहले भी यह कहते रहे हैं कि उन्होंने कुछ नहीं किया है, यह काम तो गुरु साहब ने खुद ही करवाया है और कभी भी क्रैडिट लेने की बात नहीं की थी परन्तु फिर भी जिस तरह अब शिरोमणि अकाली दल-भाजपा और कांग्रेसियों, खासकर कैप्टन धड़ेे द्वारा इस काम का  श्रेय लेने का यत्न किया जा रहा है, इस दौड़ में सिद्धू पता नहीं कही गुम हो गए दिखाई दे रहे हैं। अब सुनने में आ रहा है कि रास्ता खुलने मौके पर पहले जत्थे में पंजाब के सभी विधायक कैप्टन के नेतृत्व में पाकिस्तान जाएंगे, परन्तु ऐसे में सिद्धू पाकिस्तान जाते हैं या नहीं इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।

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