ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार होने से होने से बचना है तो...

Edited By Urmila,Updated: 22 Jun, 2022 12:28 PM

if you want to avoid being a victim of online fraud then

इंटरनेट के आने से जहां लोगों का काम आसान हो गया है और आपसी दूरियां कम हो गई हैं, वहीं ऑनलाइन ठगी के मामले भी हद से आगे निकल गए ...

अमृतसर (संजीव): इंटरनेट के आने से जहां लोगों का काम आसान हो गया है और आपसी दूरियां कम हो गई हैं, वहीं ऑनलाइन ठगी के मामले भी हद से आगे निकल गए हैं। रिजर्व बैंक और पुलिस प्रशासन द्वारा बार-बार अलर्ट जारी करने के बावजूद लोग आए दिन ऑनलाइन ठगी का शिकार हो रहे हैं। चाहे धोखे से लोगों के खातों से पैसे ट्रांसफर करना हो या किसी की डिटेल लेकर पैसे निकालना हो, ऑनलाइन धोखेबाज हर दिन नए फॉर्मूले का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन घोटालों से बचने के लिए थोड़ी-सी सावधानी आपकी मेहनत की कमाई को बचा सकती है। अपने पैसे को बचाने के लिए थोड़ी-सी चौकसी जरूरी है।

कैसे हो रही है धोखादेही?
-लकी ड्रा के नाम पर
-बैंक खाते को आधार कार्ड से जोड़ने के नाम पर
-बिजली बिल भरने के नाम पर
-बैंक अधिकारी बनकर खाता अपडेट कराने के नाम पर
-ए.टी.एम. और क्रेडिट कार्ड लैप्स के नाम पर

मोबाइल पर कभी भी निजी जानकारी सांझा न करने की सलाह
यह धोखादेही को वे तरीके हैं जिसके जरिए जालसाज लोगों के खातों से लाखों रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर कर रहे हैं। रिजर्व बैंक ने बार-बार लोगों को सलाह दी है कि वे अपनी निजी जानकारी कभी भी मोबाइल फोन पर सांझा न करें, फिर भी लोग धोखाधड़ी के शिकार हो रहे हैं। शातिर लोग एक के बाद एक धोखा देने का नया तरीका खोज रहे हैं, जिसके लिए लोगों को सावधान रहना होगा, किसी भी हाल में उनका खाते का ओ.टी.पी. किसी के साथ सांझा न करें। अपने खाते की जानकारी फोन पर किसी के साथ सांझा न करें।

किसी भी समय पैसे लेने के लि ओ.टी.पी. की कोई जरूरत नहीं है
आपके खाते में पैसे डालने के बहाने आपसे ओ.टी.पी. कहा गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी भी समय ओ.टी.पी. की आवश्यकता नहीं है। इस ओ.टी.पी. नंबर देने की जरूरत उस समय देनी पड़ती है जब आपके खाते में से किसी और को भुगतान करना होता है। अगर कोई आपसे पूछता है कि क्या आप चाहते हैं तो वह सीधे आपके खाते से पैसे ट्रांसफर करने वाला है तो तुरंत फोन बंद कर दें।

किसी अजनबी द्वारा भेजे गए मोबाइल फोन पर कभी भी लिंक न खोलें
यह जालसाजों के पैसे ट्रांसफर करने का पुराना तरीका है, जिसमें जालसाज पहले ग्राहक को लिंक भेजता है और जैसे ही वह व्यक्ति लिंक खोलता है, उसके द्वारा बनाया गया एक पेज खुल जाता है जिस पर आप अपनी जानकारी सांझा करते हैं और आपका खाता खाली हो जाता है। इसलिए किसी अजनबी द्वारा भेजे गए ऐप पर कभी भी अपनी निजी जानकारी या किसी बैंक खाते की जानकारी सांझा न करें।

भावनाओं से खेलकर की जाती है ऑनलाइन ठगी
बुजुर्ग लोग भी इन दिनों इंटरनेट का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन इंटरनेट की पूरी जानकारी न होने के कारण ये लोग अक्सर ठगों के सॉफ्टवेयर पर रहते हैं। जालसाज भावनात्मक रूप से अपना शिकार बना लेते हैं। ऑनलाइन फ्रॉड के लिए टेक्नोलॉजी जिम्मेदार नहीं, पीड़ित हैं। जब हम किसी के बारे में बात करते हुए भावुक हो जाते हैं तो यह समय ठगों का शिकार होने का होता है। कई बार ऐसा देखा गया है कि ऑनलाइन धोखेबाज या तो भावुक हो जाते हैं या उनके मन में डर पैदा कर देते हैं या कई दिनों तक बात करने के बाद उनकी बातों में फंस जाते हैं और अपने पीड़ितों का विश्वास जीत लेते हैं और उन्हें अपने पीड़ित का बैंक खाता खाली करना पड़ता है, ऐसा करने में धोखाबाजों को जरा-सी भी देर नहीं लगती।

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