पति की शहादत सुन पत्थर बनी पत्नी, मासूम के सिर से उठा पिता का साया

Edited By swetha,Updated: 16 Jan, 2020 09:59 AM

hearing husband s martyrdom wife becomes stone

पिता की शहादत से अंजान मासूम परी

गुरदासपुर(विनोद, हरमनप्रीत): जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के माछिल सैक्टर में तैनात थे भारतीय सेना के 45 राष्ट्रीय राइफल्स के 26 वर्षीय सिपाही रणजीत सिंह सलारिया 4 साथियों सहित हजारों फुट ऊंची चोटी पर माइनस 30 डिग्री तापमान में देश की सीमा की सुरक्षा करते हुए शहीद हो गए।  एल.ओ.सी. पर ड्यूटी के दौरान अचानक हिमखंड की चपेट में आने से अपने उनकी शहादत की खबर जैसे ही उनके गांव सिद्धपुर पहुंची तो पूरे गांव में मातम पसर गया। 

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शहीद रणजीत सलारिया के पिता ठाकुर हरबंस सिंह सलारिया ने बताया कि उन्हें बेटे की यूनिट से फोन आया कि उनका रणजीत सिंह देश की सुरक्षा करते हुए शहीद हो गया है।  वहीं शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने बताया कि शहीद रणजीत की पार्थिव देह बुधवार गांव पहुंचनी थी।  मगर कश्मीर में मौसम बेहद खराब होने के कारण नहीं लाया जा सका। अब बृहस्पतिवार को वायुयान से अमृतसर अथवा जम्मू लाया जाएगा। वहां से सैन्य वाहन से उन्हें घर पहुंचाया जाएगा और सैन्य सम्मान के साथ साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

पिता की शहादत से अंजान मासूम परी
शहीद रणजीत सलारिया की शादी पिछले वर्ष 26 जनवरी को जिला पठानकोट के गांव रानीपुर बासा में हुई थी और अक्तूबर में उसके घर बेटी ने जन्म लिया था जिसका उन्होंने नाम परी रखा। उसके जन्म पर वह 2 माह की छुट्टी लेकर घर आए थे। 9 नवम्बर को वह छुट्टी काट कर ड्यूटी के लिए वापस लौटे। 3 माह की नन्ही परी घर के हर सदस्य को विलाप करते हुए एकटक निहारते हुए मुस्करा रही थी। उस मासूम को यह अहसास भी नहीं था कि उसके सिर से पापा का साया उठ चुका था। 

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पत्थर की मूर्ति बनी शहीद की पत्नी दीया 
शहीद की पत्नी दीया पति की शहादत को सुन पत्थर की मूर्ति बन गई। शादी के पहले ही साल में वह सुहागन से विधवा बना गई। शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविन्द्र सिंह विक्की ने उसे दिलासा दिया। 

अधूरा रह गया नया मकान बनाने का सपना
शादी के समय रणजीत ने नया मकान बनवाने के लिए नींव भरवाई थी। उसने शादी के बाद इसका निर्माण करवाने की बात कही थी, लेकिन नया घर बनने से पहले ही वह राष्ट्र की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे गया। उसका नया घर बनाने का सपना अधूरा रहा गया।

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