Edited By Kamini,Updated: 21 Nov, 2021 10:05 AM
कृषि अधिनियमों के विरुद्ध चले किसान आंदोलन के दौरान भले ही किसानों ने राजनीतिक नेताओं को आंदोलन के पास फटकने नहीं दिया परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून रद्द करने की घोषणा के उपरांत राजनीतिक दलों में आंदोलन का...
जालंधर (एन. मोहन) : कृषि अधिनियमों के विरुद्ध चले किसान आंदोलन के दौरान भले ही किसानों ने राजनीतिक नेताओं को आंदोलन के पास फटकने नहीं दिया परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून रद्द करने की घोषणा के उपरांत राजनीतिक दलों में आंदोलन का श्रेय लेने की दौड़ लग गई है। आम आदमी पार्टी के बाद अब कांग्रेस ने किसान आंदोलन को भुनाने के लिए राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर प्रैस कांफ्रैंसें करने का निर्णय लिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने पंजाब, हरियाणा समेत सभी राज्यों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों को पत्र भेज कर कहा है कि कृषि कानून रद्द होने की जीत में कांग्रेस और खास रूप से राहुल गांधी के योगदान को लेकर राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर प्रैस कांफ्रैंसें की जाएं अर्थात कांग्रेस नेता राहुल गांधी को किसान आंदोलन का नेता साबित करने के प्रयास पार्टी ने शुरू कर दिए हैं।
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पत्र में यह भी कहा गया है कि किसान आंदोलन में अपनी जिंदगी गंवा चुके 700 किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडल मार्च और रैलियां की जाएं और पार्टी के नेता अपने-अपने क्षेत्र में उन किसान परिवारों से मिलने जाएं जो अपनी जानें गंवा चुके हैं। हालांकि कांग्रेस द्वारा यह भी निर्देश थे कि 20 नवम्बर को किसान विजय दिवस के रूप में मनाया जाए और राज्य व जिला मुख्यालय पर किसान विजय सभाएं की जाएं, परन्तु पंजाब में श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए अन्य सभी पाॢटयों के नेताओं समेत कांग्रेस नेताओं की दौड़ लगी हुई है।
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पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ श्री करतारपुर साहिब के दर्शनों के लिए गए हुए थे, जो दोपहर बाद वापस लौट आए। हालांकि पहले की तरह भाजपा ने सिद्धू के पाकिस्तान में हुए स्वागत को लेकर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं परन्तु सिद्धू व अन्य कांग्रेस नेताओं की व्यस्तता के चलते पंजाब में आज किसान विजय दिवस को सक्रिय रूप से नहीं मनाया जा सका।
किसान पहले ही अन्य राजनीतिक दलों के साथ-साथ पंजाब कांग्रेस के नेताओं का किसान आंदोलन में विरोध कर चुके हैं। सांसद रवनीत सिंह बिट्टू, विधायक कुलबीर सिंह जीरा के बाद कुछ दिन पहले ही राजपुरा के पास पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू के काफिले को किसानों ने घेर लिया था। ऐसे में मृतक किसान परिवारों के घरों में जाना कांग्रेस नेता रिस्क जैसी स्थिति देख रहे हैं।
एक किसान नेता ने बताया कि पहले की तरह ही राजनीतिक नेताओं के विरोध का अनौपचारिक निर्णय है और शीघ्र ही संयुक्त किसान मोर्चा इस विषय पर आचार संहिता जारी करने की तैयारी में है।
इधर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में तीन कृषि कानून रद्द होने को लेकर आज चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय समेत पटियाला, संगरूर, बङ्क्षठडा, बरनाला, फरीदकोट, फिरोजपुर, फाजिल्का, अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, होशियारपुर और रोपड़ समेत अन्य जिलों और तहसीलों में धन्यवाद के तौर पर श्री सुखमणि साहिब के पाठ करवाए और किसानी संघर्ष के शहीदों को समॢपत अरदास की। पार्टी के नेताओं ने किसान आंदोलन में अपने योगदान की भी चर्चा की। अकाली दल भी किसान आंदोलन की विजय पर कोई कार्यक्रम करने की तैयारी में है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पंजाब विधानसभा चुनावों को अब महज 3 माह से अधिक का समय रह गया है और ऐसे में कोई भी पार्टी कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं छोडऩा चाहती, जिसका फायदा किसी दूसरे को हो।
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